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मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं...देश की इकोनॉमी संभालने वाली वित्त मंत्री ने क्यों कही ये बात? जानिए,,,।

मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं...देश की इकोनॉमी संभालने वाली वित्त मंत्री ने क्यों कही ये बात? जानिए,,,।

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ किया कि वह लोक सभा चुनाव नहीं लड़ने जा रही है। एक टीवी कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि पार्टी के अध्यक्ष ने उनसे लोक सभा चुनाव लड़ने के बारे में पूछा था और दक्षिण की सीट से चुनाव लड़ने की पेशकश की थी।आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु की सीट से उन्हें पेशकश की गई थी। लेकिन उन्होंने दस दिनों तक इस बारे में सोचने के बाद चुनाव लड़ने से मना कर दिया।

इस वजह से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहीं वित्त मंत्री

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि चुनाव में जिस तरीके से पैसे खर्च किए जाते हैं, उस हिसाब से मेरे पास पैसा नहीं है और मुझे इस बात को लेकर भी दिक्कत है कि चुनाव में समुदाय व धर्म जैसी चीजों को जीत तय करने का आधार बनाया जाता है। इसलिए मैंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया और मेरे लिए यह खुशी की बात है कि पार्टी अध्यक्ष भी मेरे विचार से सहमत हो गए।

निर्मला सीतारमण ने पुरानी पेंशन पर कही ये बात

नई दिल्ली में बुधवार को एक कार्यक्रम में सीतारमण ने कहा कि राज्यों को पुरानी पेंशन स्कीम के नाम पर वोटर को ललचाने का काम नहीं करना चाहिए। उनका इशारा उन राज्यों की तरफ था जिन्होंने वोट पाने के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का वादा किया। उन्होंने बताया कि पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से गठित कमेटी सभी स्टेकहोल्डर्स से बात की है।

राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर करना होगा काम

सीतारमण ने कहा कि देश के विकास के लिए केंद्र व राज्य को साथ मिलकर काम करना होगा क्योंकि सुधार करना सिर्फ केंद्र का काम नहीं है। प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाना होगा और केंद्र व राज्य को कोई भी नीति लागू करने में कोई भेदभाव नहीं करना होगा।

वित्त मंत्री ने बताया कैसे भारत बनेगा विकसित राष्ट्र

उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर, निवेश, इनोवेशन व समावेशी विकास के इन चार कारकों से ही देश को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाया जा सकता है और सरकार इसे ध्यान में रखकर ही काम कर रही है। तभी वर्ष 2014-15 से लेकर आगामी वित्त वर्ष 2024-25 तक इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च में 433 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। इंफ्रा पर खर्च करके सरकार निजी निवेश लाने में सफल हुई है। अपने तीसरे टर्म में भी सरकार अपने सुधार कार्यक्रमों के सिलसिला को जारी रखेगी।