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Crime News: मोबाइल चोरी करने की नौकरी? पहले 45 दिन की ट्रेनिंग, फिर 25,000 रूपये की  मिलेगी सैलरी,,,।

Crime News: मोबाइल चोरी करने की नौकरी? पहले 45 दिन की ट्रेनिंग, फिर 25,000 रूपये की मिलेगी सैलरी,,,।

क्राइम भर्ती न्यूज :: दुनिया में कई तरह के प्रोफेशनल कोर्सेज होते हैं जिनके कंप्लीट करने के बाद लोगों को अच्छी-खासी जॉब्स मिल जाती है। कुछ सेक्टर ऐसे हैं जिसमें लोगों को कॉलेज से ही प्लेसमेंट मिल जाती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कहीं मोबाइल चोरी का भी कोई कोर्स होगा और उसे कंप्लीट करने पर लोगों को 25000 रुपये की मंथली सैलरी भी मिलेगी। यह पढ़ने में काफी अजीब लग सकता है लेकिन यह सच है जिसका खुलासा गुजरात की लोकल क्राइम ब्रांच द्वारा किया गया है।

दरअसल, गुजरात के अहमदाबाद में लोकल क्राइम ब्रान्च ने एक मोबाइल चोरी करने वाले अजीबो-गरीब रैकेट का खुलासा किया है। इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। वहीं जब पुलिस ने उनसे पूछताछ की तो सामने आया कि इन दोनों से मोबाइल चोरी काम सैलरी देकर करवाया जा रहा था। खुलासा ये भी हुआ है कि दोनों ही लोग झारखंड के रहने वाले हैं और 25-25 हजार रुपये की सैलरी पर मोबाइल चोरी करते थे। 

लोकल क्राइम ब्रांच ने जब मोबाइल चोरी करने वाले इन दोनों ही लोगों को ही गिरफ्तार किया तो उनके पास से करीब 20 लाख रुपये की कीमत के फोन भी बरामद किए हैं। क्राइम ब्रांच ने बताया है कि उनकी पहचान अविनाश महतो और श्याम कुर्मी के तौर पर हुई है। अविनाश की उम्र महज 19 और श्याम की उम्र 26 साल है. पूछताछ में सामने आया कि दोनों को ही अविनाश के बड़े भाई पिंटू महतों और राहुल महतो ने मोबाइल चोरी करने के लिए नौकरी पर रखा था। इन्हें चोरी के लिए नेपाल और बांग्लादेश भी भेजा गया था।

45 दिनों की चोरी की ट्रेनिंग 

इस मोबाइल चोरी करने वाले रैकेट को लेकर एक खास बात सामने आई है। पूछताछ में पता चला है कि झारखंड में मजदूरी करने वाले श्याम और अविनाश को मोबाइल चोरी करने के लिए 45 दिन की ट्रेनिंग भी दी गई थी। इन दोनों को ही भीड़भाड़ वाले इलाकों में चोरी करने के लिए भेजा जाता था। एक किसी इंसान का ध्यान भटकाता था और दूसरा मोबाइल टोरी करके भाग जाता था। क्राइम ब्रांच की पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकारा है कि वे अहमदाबाद, गांधीनदर, वडोदरा, आनंद और राजकोट में फोन चोरी कर चुके हैं।

इन आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने अब तक मोबाइल चोरी के 19 केस दर्ज कर रखे थे। इन दोनों को ही सूरत रेलवे स्टेशन पर रहने के लिए ठिकाना भी दिया गया था। ये लोग चोरी करके सारा माल अपने मालिकों को देते थे, और उन्हें हर महीने 25 हजार रुपये की सैलरी मिलती है।