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Editorial : कोरोना को रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू क्यों लगाया जाता है? क्या ये सही में होता है असरदार

Editorial : कोरोना को रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू क्यों लगाया जाता है? क्या ये सही में होता है असरदार


विशेष लेख । कोरोनावायरस के केस एक बार फिर बढ़ने लगे हैं और राज्य सरकारों ने नाइट कर्फ्यू का सिलसिला शुरू कर दिया है. मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश ने प्रदेश में कोरोना को लेकर नाइट कर्फ्यू का ऐलान किया है. इससे पहले भी कोरोना की दूसरी लहर के बाद अधिकतर राज्यों ने लंबे समय तक नाइट कर्फ्यू जारी रखा था. लेकिन, लोगों का मानना होता है कि जब लोग दिन में बाहर निकलते हैं तो फिर नाइट कर्फ्यू का क्या फायदा है. सोशल मीडिया पर भी लोग नाइट कर्फ्यू का असरदार ना मानने को लेकर अलग-अलग मीम शेयर कर रहे हैं.

ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि आखिर सरकार नाइट कर्फ्यू का सहारा क्यों लेती हैं. साथ ही किस तरह से नाइट कर्फ्यू के जरिए कोरोना पर नियंत्रण और भीड़ इकट्ठा ना करने में मदद मिलती है. समझते हैं कि आखिर नाइट कर्फ्यू किस तरह काम करता है…



दरअसल, नाइट कर्फ्यू में रात 8 बजे, 10 बजे या 11 बजे से सुबह 6 बजे तक लोगों के सार्वजनिक स्थानों पर घूमने-फिरने की मनाही होती है. हर सरकार प्रदेश के हिसाब से इस टाइमिंग में बदलाव करती रहती है. इससे होता क्या है कि लोगों के रात में आवाजाही पर रोक लगाई जाती है, ताकि रात में लोग इक्ट्ठा ना हो सके. अगर 8 बजे से नाइट कर्फ्यू लगाया जाता है तो इससे लोग लंबे समय तक बाजारों में नहीं रहते हैं और अपने आवश्यक कार्य के लिए बाहर जाते हैं और जो रात में घूमने और इक्ट्ठे होने की आदत है, उस पर नियंत्रण लगता है.


सरकार ये कदम क्यों उठाती है, इस पर केशरी न्यूज के राजस्थान प्रभारी दिलेर सिंह पहले राजस्थान के गृह सचिव एनएल मीणा से बात की थी, जिन्होंने बताया था कि किस तरह से नाइट कर्फ्यू से कोरोना को रोकने में मदद मिलती है. उन्होंने बताया था कि कोरोना वायरस के बढ़ते केस पर नियंत्रण करने के लिए राजस्थान सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए थे, जिसमें नाइट कर्फ्यू भी शामिल था. एनएल मीणा का मानना है कि इससे वाकई केसों पर नियंत्रण लगा है और केस में काफी कमी आती है.

एमएल मीणा के अनुसार, ‘जितनी भीड़ बाजार में इकट्ठी बाजार में होती है, उतना ही केस बढ़ने की संभावना होती है. वहीं, लोग थोड़े लापरवाह हो रहे थे और गाइडलाइंस की ठीक से पालना नहीं हो रही थी. इसलिए भीड़ को नियंत्रण करने के लिए यह कदम उठाया जाता है और इसका ही रिजल्ट है कि केस में कमी आती है. इससे लोग अपने घर में रहते हैं तो इंफेक्शन के चांस काफी कम हो जाते हैं. सर्दी में भी लोग रात तक घूमते हैं और होटल रेस्टोरेंट में जाते हैं, तो अब इससे इनपर नियंत्रण होता है. यह काफी असरदार रहता है.’


क्रिसमस के साथ ही सर्दियों की छुट्टियों में लोगों का घूमना फिरना शुरू हो जाता है. वहीं, न्यू ईयर में तो लोग रात में ज्यादा घूमना पसंद करते हैं तो इस वक्त यह काफी असरदार हो सकता है. इससे क्रिसमस नाइट और न्यू ईयर पर होने वाली भीड़ को कम किया जा सकता है और इससे संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है.


इससे पहले सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी कोविड को लेकर नाइट कर्फ्यू लगाया गया था. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, Pueblo की मेयर Nicholas Gradisar ने बताया था कि नाइट कर्फ्यू कोरोना के बढ़ती रेट को कम करने के लिए लगाया था. उन्होंने बताया था कि अक्सर 20 से 50 साल तक के लोग रात में घूमते रहते हैं और मस्ती के लिए इकट्ठे होते हैं और इससे इस पर नियंत्रण आया है.