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अचानक 15 लोगों के खाते में ₹ 1.5 करोड़ बैक में गलती से ट्रांसफर , पीएम मोदी ने भेजा यह सोच किया ?

अचानक 15 लोगों के खाते में ₹ 1.5 करोड़ बैक में गलती से ट्रांसफर , पीएम मोदी ने भेजा यह सोच किया ?


हैदराबाद : कॉपी-पेस्ट के चक्कर में भारतीय स्टेट बैंक के एक कर्मचारी ने एक सरकारी योजना के पैसे गलत लोगों के खातों में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद शुरू हुई पैसे वापस लेने की प्रक्रिया, जिसके लिए बैंक कर्मचारियों को नाको चने चबाने पड़ रहे हैं।


घटना तेलंगाना की है, जहां राज्य सरकारी की बहुचर्चित योजना के 1.5 करोड़ रुपये दूसरे के खातों में चले गए। जिनके खातों में पैसे पहुंचे, वह हैरान तो थे, लेकिन दौलत की बरसात देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। फिर क्या था, रकम निकाले भी गए और यह सोचकर कर्ज चुकता भी किया जाने लगा कि पीएम मोदी ने किसी योजना की तहत इतनी बड़ी मेहरबानी की है। पैसे रिफंड की प्रक्रिया अभी भी पूरी नहीं हुई है और बैंक कर्मचारियों की नींदें उड़ी हुई हैं।



एक रिपोर्ट के मुताबिक स्टेट बैंक के एक कर्मचारी की गलती से 1.5 करोड़ रुपये 15 लोगों के खातों में ट्रांसफर हो गए, जबकि वह पैसे खास लाभार्थियों के अकाउंट में जाने थे। जब उस कर्मचारी को अपनी गलती का अंदाजा हुआ तो उसके हाथ-पांव फूल गए। यह तेलंगाना सरकार की एक प्रमुख योजना दलित बंधु स्कीम का फंड था। राज्य सरकार यह रकम अनुसूचित जातियों के परिवारों को कमाई का उचित जरिया स्थापित करने के लिए एकमुश्त सहायता के तौर पर देती है। इसके तहत सरकार की ओर से योजना की 100% रकम यानी 10 लाख रुपये प्रति परिवार दी जाती है। लेकिन, यह पैसा इस स्कीम के उचित लाभार्थियों के खाते में ना जाकर 15 अन्य लोगों के अकाउंट में ट्रांसफर हो गए।


इस घटना के बारे में सैफाबाद पुलिस ने बताया कि 24 अप्रैल को रंगारेड्डी जिला कलेक्ट्रेट की एसबीआई ब्रांच के एक कर्मचारी ने दुर्घटनावश 1.5 करोड़ रुपये लोटस हॉस्पिटल के 15 कर्मचारियों की सैलरी अकाउंट में 10-10 लाख रुपये के हिसाब से ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद पुलिस ने इन 'दुर्घटनावश' लाभार्थियों के खिलाफ एक केस दर्ज किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'जैसे ही गलती का पता चला, बैंक अधिकारियों ने कर्मचारियों (अस्पताल के) को कॉल किया और पूरी रकम वापस ट्रांसफर करने को कहा।....' लेकिन, इसमें एक बड़ा पेच फंस गया।


बैंक अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल के 14 कर्मचारियों ने रकम वापस करने में ज्यादा दिक्कत नहीं की, लेकिन लैब टेक्नीशियन महेश इस रकम को लौटाने में नाकाम रहा। बैंक कर्मचारियों का फोन पर भी उससे संपर्क नहीं हो पा रहा था। दरअसल, महेश को लगा कि उसके बैंक खाते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसी स्कीम के तहत अचानक 10 लाख रुपये क्रेडिट हुए हैं। उसने सोचा कि उधार चुकता करने का इससे बेहतर मौका नहीं मिलेगा। उसने कुछ रकम फौरन निकाले और अपना कर्ज चुकता कर दिया।


बैंक अफसरों के मुताबिक, 'बार-बार गुजारिश करने पर भी वह पैसे नहीं लौटा रहा था। आखिरकार बुधवार को बैंक अधिकारियों ने एक शिकायत दर्ज कराई और आईपीसी की धारा 403 के तहत महेश के खिलाफ मुकदमा किया।' बैंक से हुई इतनी बड़ी चूक के बारे में उस अफसर ने कहा कि 'एक बैंक कर्मचारी की कॉपी-पेस्ट वाली गलती ने इतना बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया।'