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PM Modi Untold Stories: नरेंद्र मोदी की 10 अनकही कहानियां! जब मगरमच्छ को पकड़ ले आए थे घर....

PM Modi Untold Stories: नरेंद्र मोदी की 10 अनकही कहानियां! जब मगरमच्छ को पकड़ ले आए थे घर....

PM Modi Untold Stories : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) वर्ष 2014 के बाद से एक दमदार वैश्विक नेता के तौर पर उभरे हैं. कई बड़े मौकों पर उन्होंने निर्णय लेने की क्षमता से देश और दुनिया को दिखाया है कि वे इरादे के कितने पक्के हैं. वे अपने आलोचना को भी सकारात्मकता के साथ लेते रहे हैं. उन्होंने अपने भाषणों में कहा कि आलोचना से उन्हें और ज्यादा अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है.

17 सितंबर को उनका जन्मदिन (PM Modi 71st Birthday) है. वर्ष 1950 में इसी तारीख को उनका जन्म हुआ था और वे इस बार 71 वर्ष पूरा कर अपने जीवन के 72वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं. उम्र के इस पड़ाव पर आकर भी नरेंद्र मोदी ऊर्जावान बने हुए हैं.

प्रधानमंत्री का जीवन यूं तो एक खुली किताब की तरह रहा है, लेकिन बहुत सारे लोगों के लिए पीएम मोदी के जीवन की कई कहानियां अनकही हैं, कई किस्से अनसुने हैं. आइए आज कुछ ऐसे ही किस्सों के बारे में जानते हैं.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बचपन से ही संन्यासी बनना चाहते थे. गुजरात के वडनगर में पैदा हुए नरेंद्र को बचपन से साधु जीवन और संन्यास बहत पसंद था. एक बार तो वे घर छोड़कर भी चले गए थे. 6 भाई-बहनों के परिवार में नरेंद्र मोदी का बचपन गरीबी में गुजरा है. बडनगर रेलवे स्टेशन पर उनके पिता की चाय की दुकान थी और वे स्कूल से आने के बाद चाय बेचा करते थे. वे युवावस्था की दहलीज पर थे और महज 17 वर्ष की उम्र में घर छोड़ वे अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर निकल गए थे.


नरेंद्र की स्कूली पढ़ाई बडनकर में ही हुई. वे बचपन से ही भाषण की कला में माहिर थे. आज उनके भाषणों में बहुत प्रभाव दिखता है. अपने भाषणों से वे हर वर्ग को आकर्षित कर लेते हैं. उनके भाषणों से ऐसा जाहिर होता है कि वे हर विषय के विद्वान हैं. हालांकि इसके पीछे उनकी मेहनत और तैयारी होती है. बहुत सारे विषयों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अच्छा ज्ञान रखते हैं.


नरेंद्र मोदी में बचपन से ही गुणी रहे हैं. वे कई तरह की पाठ्येत्तर गतिविधियों में माहिर रहे हैं. उन्हें साइंस और इतिहास विषय काफी पसंद रहे हैं. पढ़ाई में अच्छा होने के साथ-साथ वे शेरो-शायरी के लिए भी जाने जाते थे. आज भी उनके भाषणों में इसका असर दिखता है. उनके स्कूल में उनकी आवाज और अभिनय कला की भी चर्चा की जाती है. इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी बचपन से ही एक अच्छे तैराक भी रहे हैं.


नरेंद्र मोदी के बचपन का यह किस्सा भी शानदार है. वे अपने बचपन के दोस्त के साथ शर्मिष्ठा सरोवर गए थे और वहां से एक मगरमच्छ के बच्चे को ही पकड़ ले आए थे. तब उनकी मां हीरा बा ने उन्हें समझाया था कि बच्चे को मां से अलग कर देना कितनी बुरी बात है. मां की बात समझने पर वे वापस मगरमच्छ के बच्चे को सरोवर छोड़ आए थे.


नरेंद्र मोदी बचपन में शरारती भी थे. एक शरारती किस्से का जिक्र उन्होंने मन की बात कार्यक्रम में भी किया था. उन्होंने बताया था कि वे शहनाई बजाने वालों को इमली दिखा दिया करते थे, ताकि उनके मुंह में पानी आ जाए और वे शहनाई ना बजा पाएं. शहनाईवादक गुस्सा होकर नरेंद्र मोदी के पीछे भी भागते थे. उनका मानना है कि शरारतों से भी बच्चों का विकास होता है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि शरारत के साथ बच्चों को पढ़ाई पर भी ध्यान देना चाहिए.


नरेंद्र मोदी को बचपन से ही पशु-पक्षियों से प्रेम रहा है. ‘कॉमनमैन नरेंद्र मोदी’ में किशोर मकवाना ने एक किस्सा ​लिखा है. स्कूली दिनों में नरेंद्र एक एनसीसी कैंप में गए जहां से बाहर निकलना मना था. गोवर्धनभाई पटेल नाम के एक शिक्षक ने देखा कि मोदी एक खंभे पर चढ़े हुए हैं तो उन्हें बहुत गुस्सा आया, लेकिन अगले ही पल उन्होंने देखा कि नरेंद्र खंभे पर चढ़कर एक फंसे हुए पक्षी को निकालने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने नरेंद्र के इस कृत्य की प्रशंसा की.


हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान नरेंद्र मोदी के स्कूल का रजत जयंती वर्ष था. उस स्कूल में चारदीवारी तक नहीं थी. तब विद्यालय समिति के पास इतना पैसा भी नहीं था कि चारदीवारी बनवाई जा सके. छात्र नरेंद्र के मन में विचार आया कि छात्रों को मिलकर इसमें मदद करनी चाहिए. अभिनय में माहिर नरेंद्र ने अपने साथियों के साथ एक नाटक का मंचन किया और इससे जो पैसे आए, स्कूल को दे दिया.


नरेंद्र मोदी के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. परिवार के लिए संभव नहीं था कि वे जूते खरीद कर दे सकें. एक बार उनके मामा ने उन्हें सफेद कैनवस जूते खरीद कर दिए. रंग सफेद था तो जूते गंदे होने का डर था और नरेंद्र मोदी के पास पॉलिश के लिए पैसे नहीं होते थे. ऐसे में उन्होंने एक तरीका निकाला. शिक्षक चॉक के जो टुकड़े फेंक देते थे, नरेंद्र उन्हें जमा कर लेते थे और फिर उनका पाउडर बनाकर उसे ​भिंगोकर अपने जूतों पर लगा लिया करते थे. सूखने पर जूते चकाचक दिखते थे.


नरेंद्र मोदी के 66वें जन्मदिन पर बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने एक किस्सा शेयर किया था. बिग बी के शब्दों में “मुख्यमंत्री निवास में आपसे पहली बार मुलाकात हुई थी. वो साधारण सा एक घर था और उससे भी बहुत साधारण सा कमरा था. मैं अपनी फिल्म ‘पा’ के लिए टैक्स में छूट की मांग के लिए आपसे मिलने गया था. तब आपने कहा कि साथ में फिल्म देखते हैं. आप अपनी ही गाड़ी में ही थिएटर ले गए. मेरे साथ फिल्म देखी और साथ में खाना खाया. इस बीच आपसे गुजरात टूरिज्म को लेकर भी बातचीत हुई.” बता दें कि अमिताभ गुजरात टूरिज्म के ब्रांड एंबेसडर भी हैं. उनका ‘कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में’ संवाद काफी लोकप्रिय हुआ.


रिलायंस के फाउंडर धीरुभाई अंबानी ने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी. इस बारे में उनके उद्योपति बेटे अनिल अंबानी ने बताया था. यह किस्सा शेयर करते हुए उन्होंने लिखा था, “मैं 1990 के दशक में पहली बार नरेंद्र मोदी से मिला. मेरे पिता धीरूभाई अंबानी ने तब उन्हें घर पर खाने के लिए बुलाया था. बातचीत के बाद पापा ने कहा था- लंबी रेस ने घोड़ो छे, लीडर छे, पीएम बनसे. उनका मतलब था- ये लंबी रेस का घोड़ा है, सही मायने में लीडर है, ये प्रधानमंत्री बनेगा. पापा ने उनकी आंखों में सपने देख लिए थे. वो वैसे ही थे जैसे अर्जुन को अपना विजन पता होता था.”

आज नरेंद्र मोदी को एक लोक​प्रिय प्रधानमंत्री के तौर पर देखा जाता है. वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने जितनी शानदार जीत दर्ज की थी, उससे भी शानदार जीत 2019 में हासिल की. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने रिकॉर्ड कायम किया है.