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पश्चिम बंगाल : तीसरी बार CM पद की शपथ लेते ही ममता बनर्जी ने रच दिया इतिहास

पश्चिम बंगाल : तीसरी बार CM पद की शपथ लेते ही ममता बनर्जी ने रच दिया इतिहास

कोलकाता: ममता बनर्जी ने तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही इतिहास रच दिया है. वो देश की ऐसी पहली महिला हैं, जो तीसरी बार मुख्यमंत्री बनी हैं. मौजूदा वक्त में ममता बनर्जी ही एक महिला हैं जो एक राज्य की कमान संभाल रही हैं.

ममता दीदी ने पहली बार 184 सीटें जीतकर पश्चिम बंगाल में 34 साल के लेफ्ट राज को समाप्त किया था 20 मई 2011 को शपथ ली थी, दूसरी बार 211 सीटें जीतकर ममता ने फिर वापसी की और 27 मई 2016 को शपथ ली. अब उन्होंने तीसरी बार पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है.


ममता बनर्जी ने पहली बार 20 मई 2011 को 1 बजकर 1 मिनट पर सीएम पद की शपथ ली थी. उनके शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पी चिदम्बरम, एके एंटनी और प्रणब मुखर्जी पहुंचे थे, राजभवन में 3200 लोगों की मौजूदगी में ममता दीदी ने शपथ ली थी. ममता दीदी ने ये सरकार कांग्रेस के साथ मिलकर बनाई थी. ममता के पहले कैबिनेट में टीएमसी के 36 मंत्री थे और कांग्रेस के 7 मंत्री शामिल थे.

पश्चिम बंगाल में पहली बार एक महिला ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 2012 में टाइम मैगजीन ने ममता बनर्जी को दुनिया की 100 प्रभावशाली हस्तियों में शामिल किया था.


दूसरी बार साल 2016 में एक बार फिर बहुमत के साथ जीतकर ममता बनर्जी वापस सरकार में आईं. पिछली बार से इस बार 27 सीटें ज़्यादा थीं. ममता ने 27 मई को पिछली बार से अलग राज भवन की जगह कोलकाता के रेड रोड पर हजारों की भीड़ के सामने एक विशाल मंच पर, देश के नामी गिरामी नेताओं की मौजूदगी में दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर शपथ ली और दूसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं.

उनके इस शपथ ग्रहण समारोह में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरडेजी नेता लालू प्रसाद यादव शामिल थे.


अब तीसरी बार 5 मई 2021 यानी आज के दिन ममता बनर्जी ने एक बार फिर राजभवन के टाउनहॉल में सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर शपथ लिया. कोरोना संकट के चलते कार्यक्रम को पहले की तरह भव्य नहीं रखा गया और ना ही ममता दीदी के मंत्रिमंडल को आज शपथ दिलाई गई.

इस बार के शपथ ग्रहण में ममता बनर्जी ने क्रिकेटर सौरव गांगुली, पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, वाममोर्चा से विमान बोस, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को आमंत्रित किया है. हालांकि दिलीप घोष ने दीदी के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत नहीं की.

2016 में सताने लगा था ममता दीदी को डर बनर्जी ने जब साल 2016 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उस वक्त राज्य में सिर्फ 3 सीटों पर बीजेपी ने फतह हासिल की थी लेकिन उसी वक्त ममता को भगवा से खतरा सताने लगा था और वो तभी से एंटी बीजेपी रणनीति पर काम करने लगी थीं.

उन्होंने 2016 में ही मोदी विरोधी नेताओं को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था, क्योंकि उन्हें पता कि आगे जाकर उनका मुकाबला सीधे नरेंद्र मोदी से होने वाला है. 2011 में ममता ने शपथ ग्रहण की शुरुआत में ईश्वर के नाम पर शपथ ली थी. 'मैं इश्वर के नाम पर शपथ लेती हूं...'

2016 में उनका नैरेटिव बदल गया और उन्होंने शपथ ग्रहण की शुरुआत में ईश्वर और अल्लाह का नाम लिया. 'मैं ईश्वर और अल्लाह के नाम पर शपद लेती हूं...' इस बार भी उन्होंने ईश्वर के नाम पर शपथ लिया.

वैसे तो इस बार भी दीदी ने अपनी सीटों में इजाफा किया है, लेकिन बीजेपी ने ममता बनर्जी को कड़ी टक्कर दी है. कांग्रेस और लेफ्ट पूरी तरह से साफ हो चुके हैं और ममता के अगले 5 साल जिस विपक्षी दल से मुकाबला करना है, जिसने पिछले 7 सालों में कई राज्यों में विपक्ष में रहते हुए सत्ता पलट दी है.