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यूपी चुनाव: मंत्री अनुप्र‍िया पटेल ने भदोही में वोट मांगते हुए कहा- प्रत्‍याशी को भूल जाइए, बम के बीच से भारतीय बच्‍चों को न‍िकाल कर ला रही मोदी सरकार

यूपी चुनाव: मंत्री अनुप्र‍िया पटेल ने भदोही में वोट मांगते हुए कहा- प्रत्‍याशी को भूल जाइए, बम के बीच से भारतीय बच्‍चों को न‍िकाल कर ला रही मोदी सरकार

भदोही : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Election 2022) के दौरान भदोही में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) ने कहा कि मोदी सरकार बम धमाकों के बीच से यूक्रेन में फंसे भारत के बेटे-बेटियों को सुरक्षित निकालकर ला रही है। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि यूक्रेन पर रूस ने हमला बोल दिया है, वहां आग बरस रही है, लेकिन इस सरकार के चार-चार मंत्री वहां गए हैं और भारतीय नागरिकों को विमान में बैठाकर बम धमाकों के बीच से सुरक्षित वापस लेकर आ रहे हैं।

भदोही में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अनुप्रिया पटेल ने कहा, “भदोही के भी चार-चार बच्चे हैं। ये होता है मजबूत सरकार का मतलब और ये होते हैं मजबूत सरकार के मायने और ये मजबूत सरकार आपने बनाई है। आप यहां से किसी प्रत्याशी को वोट देने नहीं जा रहे हैं, भूल जाइए प्रत्याशी को।” अनुप्रिया पटेल गुरुवार को भदोही में थीं, जहां उन्होंने एक चुनावी सभा को संबोधित किया था।

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा, “आप देश की तरक्की के लिए, देश की मजबूती के लिए, उत्तर प्रदेश की खुशहाली के लिए और अपने जीवन की समृद्धि और खुशहाली के लिए बटन दबाने जा रहे हैं। 2014, 2017 और 2019 की तरह आप एनडीए गठबंधन पर विश्वास का बटन दबाइए।”


बता दें कि यूक्रेन पर रूसी सेना के हमले लगातार जारी हैं और इस दौरान युद्धग्रस्त देश में फंसे भारतीय नारगिकों को सुरक्षित वापस लाने का सिलसिला जारी है। अभी भी हजारों नागरिक यूक्रेन में फंसे हुए हैं, जिनको लाने के लिए भारतीय वायुसेना ने मोर्चा संभाला हुआ है। भारतीय नागरिक रोमानिया और पोलैंड की सीमाओं पर पहुंच रहे हैं जहां से विमान उनको लेकर भारत के लिए उड़ान भर रहे हैं।

यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों, जिनमें अधिकांश छात्र हैं, उनको बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। यूक्रेन की राजधानी कीव और खारकीव में बमबारी के बीच उन्हें बंकरों में छिपकर खुद को बचाना पड़ा है। भारत लौटे कई छात्रों ने अपनी तकलीफें बयां करते हुए कहा कि वहां पर उनको खाने-पीने की चीजें नहीं मिल पा रही थीं, बार्डर तक उनको कड़ाके की ठंड में कई-कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा।