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10 गुना तेजी से पिघल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर, पानी को तरसेंगे भारत समेत कई पड़ोसी देश!

10 गुना तेजी से पिघल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर, पानी को तरसेंगे भारत समेत कई पड़ोसी देश!


नई दिल्ली । दुनियाभर में बढ़ते हुए तापमान का हिमालय के ग्लेशियरों (Himalayan glaciers) पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है. हालात ऐसे हो गए हैं कि ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. खबर तो ये भी है कि गंगोत्री जैसे बड़े ग्लेशियर अगले बीस तीस वर्षों में खत्म हो सकते हैं. ये आशंकाएं एकबारगी तो फिल्मी कहानी जैसी लगती है, लेकिन है सौ फीसदी सच.

क्या सूख जाएंगी गंगा-ब्रह्मपुत्र-सिंधु नदियां? क्या बूंद-बूंद पानी को तरसेंगे भारत के करोड़ों लोग? ये सवाल यूं ही नहीं है. दुनियाभर के विशेषज्ञों को ये डर यूं नही सता रहा है, इसके पीछे बेहद ठोस वजह है. पृथ्वी का तीसरा ध्रुव है वाटर टावर ऑफ एशिया, जिसपर काफी हद तक हमारा भविष्य निर्भर है. इसे दुनिया हिमालय के ग्लेशियर के नाम से जानती है. डरा देने वाली इन आशंकाओं ने यहीं से जन्म लिया है.



आशंका है कि कुछ इसी तरह से आने वाले सालों में हिमालय के ग्लेशियर पिघलते रहे तो भीषण तबाही मचेगी, प्रलय आ जाएगा. पर्यावरण संकट विकराल रूप लेगा. कई बड़ी नदियां सूख जाएंगी. भारत ही नहीं हमारे कई पड़ोसी मुल्क तक बूंद-बूंद पानी को तरस जाएंगे. त्राहीमाम मच जाएगा. हिमालय के ग्लेशियर की पिघलने की रफ्तार इतनी ज्यादा हो गई है कि भारत, नेपाल, चीन, बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान समेत कई देश इसकी चपेट में आएंगे. ये देश कुछ सालों में पानी की भयानक किल्लत से जूझेंगे.

हाल ही में हुई एक स्टडी में ये फिक्र बढ़ाने वाला खुलासा हुआ है. यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिकों ने स्टडी की है कि हिमालय के ग्लेशियर 10 गुना तेजी से पिघल रहे हैं. स्टडी में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि साल 2000 के बाद ये रफ्तार तेज हुई है. स्टडी में दावा है कि दुनिया के दूसरे ग्लेशियरों की तुलना में हिमालय के ग्लेशियर कुछ ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं.


ये खतरा कितना बड़ा है, इसका अंदाजा आप ग्लेशियर के घटते क्षेत्रफल से लगा सकते हैं. वैज्ञानिकों ने छोटा हिमयुग यानी Little Ice Age के बाद के 14,798 ग्लेशियरों का अध्ययन किया. इस दौरान ग्लेशियरों ने अपना 40 फीसदी हिस्सा खो दिया है. ये 28 हजार वर्ग किलोमीटर से घटकर 19,600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर आ गया है. इस दौरान इन ग्लेशियरों से 590 क्यूबिक किलोमीटर बर्फ पिघल गई है. हालांकि हिमालय के ग्लेशियर में भी सबसे ज्यादा नेपाल में पिघल रहे हैं. पूर्वी नेपाल और भूटान के इलाके में इनके पिघलने की दर सबसे ज्यादा है.

इसका सीधा असर दुनियाभर के समुद्र के जलस्तर पर पड़ा है. समुद्र के जलस्तर में 0.92 मिलीमीटर से 1.38 मिलीमीटर की बढ़ोतरी हुई है. ये भारत के लिए और भी खतरनाक संकेत हैं, क्योंकि आर्कटिक और अंटार्कटिका के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा ग्लेशियर वाला बर्फ हिमालय पर है और इसलिए इसे तीसरा ध्रुव यानी Third Pole भी कहा जाता है. भारत और भारत के पड़ोसी देशों की ज्यादातर नदियां हिमालय के ग्लेशियर से ही निकली हैं, चाहे वो गंगा, सिंध हो या फिर ब्रह्मपुत्र.


स्टडी में इस बात की चेतावनी दी गई है कि नदी के किनारे रहने वाले लोग पानी के लिए तरस जाएंगे. ग्लेशियर के पिघलने से खतरा इतना ही भर नहीं है. एक और बड़ी समस्या सामने आई है. हिमालय पर ग्लेशियरों के पिघलने की तेज गति से कई झीलों का निर्माण हो गया है, जो खतरनाक है. अगर इन झीलों की बाउंड्री टूटती है तो केदारनाथ और रैणी गांव जैसा हादसा हो सकता है.