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भारत में संपूर्ण लॉकडाउन नहीं लगाने का फैसला अर्थव्यवस्था की दृष्टि से पॉजिटिव

भारत में संपूर्ण लॉकडाउन नहीं लगाने का फैसला अर्थव्यवस्था की दृष्टि से पॉजिटिव

विचारभारत बीते दो सालों से कोरोना महामारी से जूझ रहा है. जब दिसंबर 2019 में पहली बार भारत में कोरोना के मामले सामने आए तो सरकार ने इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब मार्च में कोरोना के मामले तेज होने लगे तो मोदी सरकार ने 24 मार्च 2020 को देश में पूर्ण लॉकडाउन लगाने की घोषणा कर दी. लॉकडाउन से सिर्फ लोग नहीं रुके, बल्कि देश की अर्थ व्यवस्था भी रुक गई. देश कई महीनों तक पूरी तरह से बंद रहा. हालांकि जब मामले धीरे-धीरे सुधरने लगे तो बंद काम-धंधे भी पटरी पर लौटने लगे. लेकिन अप्रैल 2021 के मध्य में देश में कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी जो पहली लहर के मुकाबले ज्यादा भयानक और खतरानक थी. इस लहर में लाखों लोग कोरोना पॉजिटिव हुए और अपनी जान नहीं बचा सके.

 पर देश में संपूर्ण लॉकडाउन न होने के चलते अर्थव्यवस्था की स्थिति भी पॉजिटिव दिख रही है. यह देश के लिए शुभ संकेत है. क्योंकि कोरोना की तीसरी लहर हो या चौथी लहर अगर सरकार के पास या जनता के पास धन नहीं होगा तो कोरोना से मुकाबला भी संभवन नहीं होगा.

लॉकडाउन को लेकर पिछली बार बहुत राजनीति हुई थी. कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन लगाकर देश की अर्थव्यवस्था को तो बहुत नुकसान हुआ था पर भारत ने यूरोप और अमेरिका की तुलना में लोगों की जान बचाने में सफल हुए थे. पर शायद पिछली बार हुई आलोचना के चलते ही केंद्र सरकार ने इस बार लॉकडाउन नहीं लगाया और राज्य सरकारों से अपील की कि वह भी लॉकडाउन को अंतिम विकल्प के रूप में देखें. क्योंकि केंद्र सरकार को पता है कि अगर लॉकडाउन लगाया गया तो देश की अर्थव्यवस्था इस तरह से गिरेगी कि फिर उसे उठा पाना मुश्किल हो जाएगा. लेकिन केंद्र ने भले ही लॉकडाउन ना लगाया हो पर देश के तमाम राज्य सरकारों ने अपने-अपने हिसाब से लॉकडाउन लगाया और उससे कोरोना के कंट्रोल होने के दावे भी कर रही हैं. पर आंशिक लॉकडाउन लगाने का ही फायदा ये नजर आ रहा है कि दुनिया भर की टॉप एजेंसियां भारत की अर्थव्यवस्था के अभी गर्त में जाने की बात नहीं कर रही हैं.


अर्थव्यवस्था पर क्या कहती हैं देश की एजेंसियां
देश में कोरोना की दूसरी लहर ने जिस तरह के संकट उत्पन्न किए हैं, उससे अर्थव्यवस्था को भी क्षति पहुंची है. हालांकि वह इतनी ज्यादा नहीं है जितनी कोरोना की पहली लहर से हुई थी. अभी हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के कारण लगे लॉकडाउन और दूसरी पाबंदियों की वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट की आशंका है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति समिति ने भी कहा कि चालू वित्त वर्ष में कोरोना की दूसरी लहर के चलते अर्थव्यवस्था की रिकवरी में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. दुनिया भर के अध्ययनों में भी यही माना गया है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर की वजह से भारत के विकास दर में कुछ गिरावट जरूर देखने को मिलेगी. हालांकि यह ज्यादा बड़ी नहीं होगी.