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पहलगाम हमले के पहले ट्रंप फैमिली और PAK आर्मी चीफ आसिम मुनीर के बीच हुई थी बड़ी क्रिप्टो डील.. जिसमें बेटा दामाद भी थे शामिल...

पहलगाम हमले के पहले ट्रंप फैमिली और PAK आर्मी चीफ आसिम मुनीर के बीच हुई थी बड़ी क्रिप्टो डील.. जिसमें बेटा दामाद भी थे शामिल...

पाकिस्तान और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परिवार के बीच हाल ही में हुई एक क्रिप्टो डील ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है। यह समझौता पाकिस्तान के नवगठित क्रिप्टो काउंसिल और अमेरिका की कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के बीच हुआ है, जिसमें ट्रंप परिवार की 60% हिस्सेदारी है.इस डील की टाइमिंग और इसमें शामिल प्रमुख हस्तियों के कारण भारत और अमेरिका में इसकी गहन जांच हो रही है।

क्या है मामला?

NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल, एक क्रिप्टोकरेंसी और डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) फर्म है, जिसकी स्थापना 2024 में हुई थी। इस कंपनी में डोनाल्ड ट्रंप के बेटे एरिक और डोनाल्ड जूनियर, साथ ही उनके दामाद जारेड कुशनर की संयुक्त रूप से 60% हिस्सेदारी है। अप्रैल 2025 में, इस कंपनी ने पाकिस्तान की क्रिप्टो काउंसिल के साथ एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में ब्लॉकचेन तकनीक और डिजिटल फाइनेंस को बढ़ावा देना है।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुई डील

यह डील उस समय हुई जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की। इस डील की टाइमिंग और इसमें शामिल प्रमुख हस्तियों के कारण भारत और अमेरिका में इसकी गहन जांच हो रही है।

दामाद-बेटा शामिल

इस डील में ट्रंप परिवार की भागीदारी ने नैतिक और राजनीतिक सवाल खड़े कर दिए हैं। डील के दौरान, वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के सह-संस्थापक ज़ाचरी विटकॉफ के नेतृत्व में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल इस्लामाबाद पहुंचा, जहां उनकी मुलाकात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर से हुई. इस बैठक की गोपनीयता और ट्रंप परिवार की कंपनी की भागीदारी ने इस डील को और भी संदिग्ध बना दिया है।

यह डील न केवल पाकिस्तान के डिजिटल फाइनेंस क्षेत्र में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति और नैतिकता के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. ट्रंप परिवार की कंपनी की भागीदारी और डील की टाइमिंग ने इसे एक विवादास्पद मुद्दा बना दिया है, जिसकी जांच भारत और अमेरिका दोनों में हो रही है. आने वाले समय में इस डील के प्रभाव और इसके पीछे की मंशा पर और अधिक प्रकाश डाला जा सकता है।