भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं कोरोना केस, जानें कब लिया जाता है लॉकडाउन लगाने का फैसला...
COVID-9 Cases In India: भारत में कोरोना ने एक बार फिर पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। इसके नए वेरिएंट से अब तक एक हजार से ज्यादा लोग पॉजिटिव पाए गए हैं और ये सिलसिला लगातार जारी है। भारत के अलग-अलग राज्यों से रोजाना कई मामले सामने आ रहे हैं, वहीं कुछ लोगों की मौत की खबर भी सामने आई है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार की तरफ से तमाम तरह की सावधानियां बरती जा रही हैं, साथ ही राज्यों को भी निर्देश दिए जा रहे हैं। ऐसे में लोगों के मन में भी कई तरह के सवाल हैं, कई लोग लॉकडाउन की बातें भी सोशल मीडिया पर कर रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि ये फैसला कब लिया जाता है और इसके क्या नियम हैं।
भारत में मिले दो सब वेरिएंट
भारत में कोरोना के जो मामले आ रहे हैं, उनमें कोविड के वेरिएंट के सब वेरिएंट शामिल हैं। NB.1.8.1 और LF.7 ओमिक्रॉन के वेरिएंट थे, जिसके बाद अब इनके सब वेरिएंट JN.1 और LF.7 सामने आ रहे हैं। ज्यादातर लोग JN.1 से पीड़ित बताए जा रहे हैं। हालांकि डॉक्टर का कहना है कि ये वेरिएंट इतने खतरनाक नहीं हैं और लोगों को पैनिक होने की जरूरत नहीं है।
कब लगता है लॉकडाउन?
अब उस सवाल का जवाब देते हैं, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर लोग खूब चर्चा कर रहे हैं. लॉकडाउन ऐसे ही नहीं लगाया जाता है. सरकार की तरफ से ये फैसला तभी लिया जाता है, जब कोरोना से होने वाली मृत्यु दर काफी ज्यादा हो जाए। यानी कोरोना फैलने से लोगों की मौत का बहुत ज्यादा खतरा हो, ऐसे में तमाम मार्केट और बाकी चीजें बंद कर दी जाती हैं। लॉकडाउन आखिरी विकल्प होता है, इससे पहले सरकारों की तरफ से कुछ हल्की पाबंदियां लगाई जाती हैं और लोगों को सावधान रहने के लिए कहा जाता है।
पैनिक होने की जरूरत नहीं
कोरोना की पहली और दूसरी वेव ने दुनियाभर में तबाही मचाई थी, जिसके बाद सब कुछ बंद करना पड़ा था और इसका सरकारों को नुकसान भी झेलना पड़ा। हालांकि अब लोगों ने कोरोना की वैक्सीन लगवाई है, साथ ही बूस्टर डोज भी लिया है। इसीलिए कोरोना के वेरिएंट इतने घातक नहीं हैं. कुल मिलाकर लॉकडाउन जैसी स्थिति फिलहाल नहीं होने वाली है, ऐसे में आपको पैनिक होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। आपको खुद से कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो करना है और आप इस वायरस से सुरक्षित रहेंगे।