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Bada Mangal 2025: पहला बड़ा मंगल के दिन इस विधि-विधान और नियम के साथ करें बजरंगबली की पूजा, तो होगी श्रीराम की कृपा...

Bada Mangal 2025: पहला बड़ा मंगल के दिन इस विधि-विधान और नियम के साथ करें बजरंगबली की पूजा, तो होगी श्रीराम की कृपा...

Bada Mangal 2025: 13 मई को ज्येष्ठ माह का पहला बड़ा मंगल है। ज्येष्ठ माह में आने वाले हर मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है।कहते हैं कि बड़ा मंगल के दिन हनुमान जी की आराधना करने से भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। बड़ा मंगल के दिन बजरंगबली के साथ ही भगवान राम की भी उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह के मंगलवार के दिन ही पहली बार हनुमान जी अपने प्रभु श्रीराम से मिले थे। तो आइए जानते हैं कि पहला बड़ा मंगल के दिन बजरंगबली की पूजा किस विधि और नियम के साथ करना चाहिए।

धार्मिक मत है कि हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही बल और बुद्धि में वृद्धि होती है। इसके अलावा, ऋण से भी मुक्ति मिलती है। अगर आप भी पैसों की तंगी से निजात पाना चाहते हैं, तो बड़े मंगल पर भक्ति भाव से हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें।

    पंचमुखी रुद्रावतार हनुमान जी महाराज 

॥ जीवन में सुख शांति और समृद्धि के लिए करें ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पूरा पाठ॥

मंगलो भूमिपुत्रश्चऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकायःसर्वकामविरोधकः॥
लोहितो लोहिताक्षश्चसामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमोभूतिदो भूमिनन्दनः॥
अङ्गारको यमश्चैवसर्वरोगापहारकः।
वृष्टेः कर्ताऽपहर्ता चसर्वकामफलप्रदः॥
एतानि कुजनामानिनित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्यधनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥1।।

धरणीगर्भसम्भूतंविद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं चमङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडास्वल्पापि भवति क्वचित्॥
अङ्गारक महाभागभगवन् भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशयः॥
ऋणरोगादिदारिद्रयंये चान्ये चापमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापानश्यन्तु मम सर्वदा॥2।।

अतिवक्रदुराराभोगमुक्तजितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यंरुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥
विरञ्चि शक्रविष्णूनांमनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्वेनग्रहराजो महाबलः॥
पुत्रान्देहि धनं देहित्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेनशत्रुणां च भयात्ततः॥
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यःस्तौति च धरासुतम्।
महतीं श्रियमाप्नोतिह्यपरो धनदो युवा॥3।।

वीरविंशतिकाख्यं श्री हनुमत्स्तोत्रम् ॥
लाङ्गूलमृष्टवियदम्बुधिमध्यमार्ग
मुत्प्लुत्ययान्तममरेन्द्रमुदो निदानम्।
आस्फालितस्वकभुजस्फुटिताद्रिकाण्डं
द्राङ्मैथिलीनयननन्दनमद्य वन्दे॥
मध्येनिशाचरमहाभयदुर्विषह्यं
घोराद्भुतव्रतमियं यददश्चचार।
पत्ये तदस्य बहुधापरिणामदूतं
सीतापुरस्कृततनुं हनुमन्तमीडे॥4।।

यः पादपङ्कजयुगं रघुनाथपत्न्या
नैराश्यरूषितविरक्तमपि स्वरागैः।
प्रागेव रागि विदधे बहु वन्दमानो
वन्देञ्जनाजनुषमेष विशेषतुष्ट्यै॥
ताञ्जानकीविरहवेदनहेतुभूतान्
द्रागाकलय्य सदशोकवनीयवृक्षान्।
लङ्कालकानिव घनानुदपाटयद्यस्तं
हेमसुन्दरकपिं प्रणमामि पुष्ट्यै॥5।।

घोषप्रतिध्वनितशैलगुहासहस्र
सम्भान्तनादितवलन्मृगनाथयूथम्।
अक्षक्षयक्षणविलक्षितराक्षसेन्द्रमिन्द्रं
कपीन्द्रपृतनावलयस्य वन्दे॥6।।

हेलाविलङ्घितमहार्णवमप्यमन्दं
धूर्णद्गदाविहतिविक्षतराक्षसेषु।
स्वम्मोदवारिधिमपारमिवेक्षमाणं
वन्देऽहमक्षयकुमारकमारकेशम्॥6।।

जम्भारिजित्पसभलम्भितपाशबन्धं
ब्रह्मानुरोधमिव तत्क्षणमुद्वहन्तम्।
रौद्रावतारमपि रावणदीर्घदृष्टि
सङ्कोचकारणमुदारहरिं भजामि॥7।।

दर्पोन्नमन्निशिचरेश्वरमूर्धचञ्चत्कोटीरचुम्बि
निजबिम्बमुदीक्ष्य हृष्टम्।
पश्यन्तमात्मभुजयन्त्रणपिष्यमाण
तत्कायशोणितनिपातमपेक्षि वक्षः॥8॥

अक्षप्रभृत्यमरविक्रमवीरनाशक्रोधादिव
द्रुतमुदञ्चितचन्द्रहासाम्।
निद्रापिताभ्रघनगर्जनघोरघोषैः
संस्तम्भयन्तमभिनौमि दशास्यमूर्तिम्॥9॥

आशंस्यमानविजयं रघुनाथधाम
शंसन्तमात्मकृतभूरिपराक्रमेण।
दौत्ये समागमसमन्वयमादिशन्तं
वन्दे हरेः क्षितिभृतः पृतनाप्रधानम्॥10।।

यस्यौचितीं समुपदिष्टवतोऽधिपुच्छ
दम्भान्धितां धियमपेक्ष्य विवर्धमानः।
नक्तञ्चराधिपतिरोषहिरण्यरेता
लङ्कां दिधक्षुरपतत्तमहं वृणोमि॥11।।

क्रन्दन्निशाचरकुलां ज्वलनावलीढैः
साक्षाद्गृहैरिवबहिः परिदेवमानाम्।
स्तब्धस्वपुच्छतटलग्नकृपीटयोनि
दन्दह्यमाननगरीं परिगाहमानाम्॥
मूर्तैर्गृहासुभिरिव द्युपुरं व्रजद्भिर्व्योम्नि
क्षणं परिगतं पतगैर्ज्वलद्भिः।
पीताम्बरं दधतमुच्र्छितदीप्ति पुच्छं
सेनां वहद्विहगराजमिवाहमीडे॥13।।

स्तम्भीभवत्स्वगुरुबालधिलग्नवह्नि
ज्वालोल्ललद्ध्वजपटामिव देवतुष्ट्यै।
वन्दे यथोपरि पुरो दिवि दर्शयन्तमद्यैव
रामविजयाजिकवैजयन्तीम्॥
रक्षश्चयैकचितकक्षकपूश्चितौ यः
सीताशुचो निजविलोकनतो मृतायाः।
दाहं व्यधादिव तदन्त्यविधेयभूतं
लाङ्गूलदत्तदहनेन मुदे स नोऽस्तु॥14।।

आशुद्धये रघुपतिप्रणयैकसाक्ष्ये
वैदेहराजदुहितुः सरिदीश्वराय।
न्यासं ददानमिव पावकमापतन्तमब्धौ
प्रभञ्जनतनूजनुषं भजामि॥
रक्षस्स्वतृप्तिरुडशान्तिविशेषशोण
मक्षक्षयक्षणविधानमितात्मदाक्ष्यम्।
भास्वत्प्रभातरविभानुभरावभासं
लङ्काभयंकरममुं भगवन्तमीडे॥15।।

तीर्त्वोदधि जनकजार्पितमाप्य चूडारत्नं
रिपोरपि पुरं परमस्य दग्ध्वा।
श्रीरामहर्षगलदश्वभिषिच्यमानं
तं ब्रह्मचारिवरवानरमाश्रयेऽहम्॥
यः प्राणवायुजनितो गिरिशस्य शान्तः
शिष्योऽपि गौतमगुरुर्मुनिशङ्करात्मा।
हृद्यो हरस्य हरिवद्धरितां गतोऽपि
धीधैर्यशास्त्रविभवेऽतुलमाश्रये तम्॥16।।

स्कन्धेऽधिवाह्य जगदुत्तरगीतिरीत्या
यः पार्वतीश्वरमतोषयदाशुतोषम्।
तस्मादवाप च वरानपरानवाप्यान्
तं वानरं परमवैष्णवमीशमीडे॥17।।

उमापतेः कविपतेः स्तुतिर्बाल्यविजृम्भिता।
हनूमतस्तुष्टयेऽस्तु वीरविंशतिकाभिधा॥18।।

"बोलिए बजरंगबली की जय" जय श्रीराम" 

संकटमोचन हनुमानजी वाराणसी 

बड़ा मंगल पूजा विधि

* बड़ा मंगल के दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र पहन लें।
* इसके बाद मंदिर या पूजाघर को साफ-सुथरा कर गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें।
* इसके बाद लकड़ी की एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछा दें।
* चौकी पर हनुमान जी और भगवान राम की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
* मूर्ति के सामने एक शुद्ध घी या तेल का दीया जलाएं।
* फल, फूल- माला, सिंदूर, धूप, मिठाई आदि पूजा सामग्री अर्पित करें।
* हनुमान जी को बेसन के लड्डू या बूंदी का भोग लगाएं। भोग में तुलसी जरूर रखें।
* इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ और मंत्रों का जाप करें।
* पूजा के आखिर में हनुमान जी की आरती जरूर करें।

हनुमान जी के मंत्र

ॐ नमो भगवते हनुमते नम:
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्
ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा
कवन सो काज कठिन जग माहीं, जो नहिं होइ तात तुम पाहीं
नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरतंर हनुमत बीरा

बड़ा मंगल के दिन नियमों का करें पालन

* बड़ा मंगल के दिन काले या सफेद रंग के कपड़े न पहनें।
* बड़ा मंगल के दिन तामसिक चीजों (मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज) से दूर रहें।
* बड़ा मंगल के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
* इस दिन किसी का भी अपमान न करें और न ही किसी के लिए कोई अपशब्द का प्रयोग करें।

(Disclaimer): यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। "केसरी न्यूज 24 सोशल मीडिया नेटवर्क" एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)