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गया में महिला शिक्षक के ऊपर से गुजर गए मालगाड़ी के 30 डिब्बे, बाल-बाल बची जान,,,।

गया में महिला शिक्षक के ऊपर से गुजर गए मालगाड़ी के 30 डिब्बे, बाल-बाल बची जान,,,।



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एजेंसी डेस्क : (गया,टनकुप्पा)। जाको राखे साईयां मार सके ना कोय... ऐसा ही कुछ शुक्रवार को गया जिले के टनकुप्पा स्टेशन पर देखने को मिला। आसनसोल वाराणसी पैसेंजर पकड़ने स्टेशन आई महिला शिक्षक अप लाइन के लूप में खड़ी मालगाड़ी के नीचे घुसकर पटरी पार कर रही थी कि मालगाड़ी चल पड़ी। 

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ट्रेन के 30 डिब्बे महिला शिक्षक के ऊपर से निकल गए। ट्रेन निकलने के बाद शिक्षिका सही सलामत थी। महिला को देखने वालों की भीड़ जुट गई। ट्रेन से टकराने की वजह से महिला को सिर में चोट लगी है। महिला को लोग तत्काल चिकित्सा के लिए स्थानीय अस्पताल ले गए।

समाज सेवी सिकंदर यादव एवं पंकज कुमार ने बताया कि दोपहर करीब एक बजे अप लूप में काफी देर से मालगाड़ी खड़ी थी। 1.15 बजे अप मेन लाइन पर आसनसोल वाराणसी पैसेंजर ट्रेन आ गई थी। दुखी साव प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत गया की रहने वाली महिला शिक्षक विनीता कुमारी (35) पैसेंजर ट्रेन पकड़ने के लिए खड़ी मालगाड़ी के नीचे घुसकर पार जाने लगीं।

इसी दौरान बिना किसी सूचना के मालगाड़ी खुल गई। ट्रेन खुलने के वक्त चक्के से ब्रेक छूटने पर झटका लगता है। उसी झटके से शिक्षक चोट खाकर पटरी के बीच चिल्लाते हुए गिर गईं। शिक्षक ने उस वक्त सूझबूझ से काम लिया और रेल पटरी के बीच में चुपचाप पड़ी रहीं।

मालगाड़ी के 30 डिब्बे गुजर गए। इसी बीच लोग ड्राइवर को ट्रेन रोकने के लिए चिल्लाते रहे। जब ट्रेन महिला के ऊपर से निकल गई तब जाकर कुछ समय के लिए ट्रेन रुकी। उसके बाद फिर चली गई। महिला के सिर में चोट लगने से खून बह रहा था। वह काफी भयभीत हो गई थी। मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी।

तत्काल दो समाजसेवियों ने एम्बुलेंस को फोन कर बुलाया और पीएचसी टनकुप्पा ले गए। प्राथमिक उपचार के वक्त महिला शिक्षक घटना से भयभीत होकर बेहोश हो रही थी। लोगों ने घायल महिला शिक्षक के पास मिले फोन से स्वजन को घटना की जानकारी दी। कुछ समय बाद शिक्षक के स्वजन अस्पताल पहुंचे और महिला को घर ले गए। पीएचसी चिकित्सक ने बताया महिला खतरे के बाहर है। सिर में हल्की चोट लगी है।

सिकंदर एवं पंकज ने बताया कि मालगाड़ी खुलने का एनाउंसमेंट उसके खुलने से 10 मिनट पहले किया गया था। इसी बीच पैसेंजर ट्रेन आ गई थी। जब मालगाड़ी खुलने वाली थी, तब किसी प्रकार की सूचना यात्रियों को नहीं दी गई थी। रेल कर्मी की लापरवाही से महिला की जान जा सकती थी। रेल ओवर ब्रिज के अभाव में आए दिन इस तरह की घटनाएं होती हैं। कोरोना काल से ही यहां ओवर ब्रिज बनने का काम काफी धीमी गति से हो रहा है।