Headlines
Loading...
यूपी का एक ऐसा गांव जहां शादी करने के बाद यही बस जाते हैं दामाद जी,जानिए इस गांव का इतिहास,,।

यूपी का एक ऐसा गांव जहां शादी करने के बाद यही बस जाते हैं दामाद जी,जानिए इस गांव का इतिहास,,।



Published from Blogger Prime Android App

एजेंसी डेस्क : (ब्यूरो),लखनऊ: हमारे देश में कई अजीबोगरीब जगह होती है जहां पर जाने पर हम अजीबोगरीब तरह के रिवाजों के बारे में जानते हैं।

Published from Blogger Prime Android App

आज हम आपको उत्तर प्रदेश के एक ऐसे गांव के बारे में बताने वाले हैं जिसके बारे में सुनकर आप सच में हैरान रह जाएंगे लेकिन यह सच है.दरअसल, उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात का एक गांव दमादनपुरवा इसका उदाहरण है। इस गांव में 70 घर हैं। इनमें से 50 पड़ोसी गांव सरियापुर के दामादों के हैं। एक-एक कर यहां दामादों ने घर बनाए तो आसपास के गांवों के लोगों ने इस आबादी का नाम ही दमादनपुरवा रख दिया। सरकारी दस्तावेज ने भी यह नाम स्वीकार कर इसे सरियापुर गांव का मजरा मान लिया है। 

आइए जानते है इस गांव की कहानी,,,,,,,

गांव के बुजुर्गों की मानें तो 1970 में सरियापुर गांव की राजरानी का ब्याह जगम्मनपुर गांव के सांवरे कठेरिया से हुआ। सांवरे ससुराल में ही रहने लगे। उन्हे रहने के लिए गांव में ही जगह दे दी गई। हालांकि वह अब दुनिया में नहीं हैं, पर उनके द्वारा शुरू किया गया सिलसिला आज भी जारी है। उनके बाद जुरैया घाटमपुर के विश्वनाथ, झबैया अकबरपुर के भरोसे, अंडवा बरौर के रामप्रसाद जैसे लोगों ने सरियापुर की बेटियों से शादी की और इसी ऊसर में घर बना कर रहने लगे।

Published from Blogger Prime Android App

अब तीसरी पीढ़ी में भी दामादों ने यहां बसना शुरू कर दिया है। 2005 आते-आते यहां 40 दामादों के घर बन चुके थे। लोग इसे दमादनपुरवा कहने लगे। लेकिन सरकारी दस्तावेजों में इसे नाम नहीं मिला। दो साल बाद गांव में स्कूल बना और उस पर दमादनपुरवा दर्ज हुआ। उधर, परंपरा बढ़ती रही। दामाद बसते रहे। यह मजरा दमादनपुरवा नाम से दर्ज हुआ। प्रधान, प्रीति श्रीवास्तव ने कहा कि दमादनपुरवा की करीब 500 आबादी है और करीब 270 वोटर हैं। लोग दमादनपुरवा के बोर्ड पढ़ते हैं तो मुस्कुराते हैं।

गांव के सबसे बुजुर्ग दामाद रामप्रसाद की उम्र करीब 78 साल है। वह 45 साल पहले ससुराल आकर बसे थे। वहीं सबसे नए दामादों में अवधेश अपनी पत्नी शशि के साथ यहां बसे हैं।