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मुस्लिम बेटे करेंगे 40वां, हिंदू तेरहवीं की तैयारी में जुटे, 6 लोगों के परिवार में 3 हिंदू 3 मुसलमान है,,,।

मुस्लिम बेटे करेंगे 40वां, हिंदू तेरहवीं की तैयारी में जुटे, 6 लोगों के परिवार में 3 हिंदू 3 मुसलमान है,,,।


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एजेंसी डेस्क : एक महिला केचार बेटे, दो हिन्दू और दो मुसलमान. चौंकिए नहीं, यह हकीकत है। 

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ऐसा बिहार के लखीसराय जिले में चानन प्रखंड में देखने को मिला है.दरअसल महिला ने पहले एक मुस्लिम से शादी की थी और उससे दो बच्चे हुए. लेकिन जब मुस्लिम पति ने तलाक दे दिया तो महिला ने एक ब्राह्मण से शादी कर ली और इससे भी दो बेटे हो गए।

इस प्रकार, यहां छह आदमी के परिवार में तीन हिन्दू और तीन मुसलमान एक साथ रहे रहे थे. सभी अपने अपने तरीके से धर्म का पालन भी कर रहे थे. लेकिन बीते मंगलवार को महिला की भी मौत हो गई. इसके बाद जो लोग आज तक एक साथ रहते थे, अब मां के अंतिम संस्कार के लिए आमने सामने आ गए।

मामला पुलिस तक पहुंचा। आखिर में फैसला हुआ है कि अभी महिला के पति हिन्दू थे, इसलिए उनका दाह संस्कार होगा और हिन्दू बेटे अपने रीति रिवाज के मुताबिक 13वीं करेंगे, वहीं मुस्लिम बेटे अपने रीति रिवाज के मुताबिक 40वां कर सकते हैं। इस बात पर दोनों पक्षों मेंसहमति भी बन गई है. इस महिला की मौत के सामने आई कहानी से हर कोई हैरत में है।

दरअसल करीब 45 साल पहले एक मुस्लिम परिवार की लड़की रायका खातून का निकाह हुआ और उसके दो बच्चे मो. मोफिल और मो. सोनेलाल पैदा हुए, लेकिन बाद में उसके शौहर ने उसे तलाक दे दिया, ऐसे में रायका अपने दोनों बेटों को साथ लेकर अलग हो गई।

बाद में हिन्दू से की थी शादी,,,,,,,

इसी बीच उसके संपर्क में कर्मकांडी ब्राह्मण राजेंद्र झा से हुई और दोनों प्यार में पड़ गए। लेकिन चूंकि राजेंद्र झा की रोजी रोटी का जरिया जजमानी था, और मुस्लिम से विवाह करने पर इसमें अड़चन पैदा हो गई थी। ऐसे में वह अपना घर छोड़ कर जानकीडीह में जाकर रहने लगे। वह जजमनिका कराते और अपने परिवार का भरण पोषण करते रहे. इस दौरान रायका खातून से रेखा बनी महिला के दो और बेटे हुए. इनमें बेटे के नाम बबलू और बेटी का तेतरी रखा गया।

एक ही घर में होता था नमाज और मंत्रोच्चार,,,,,,,

परिवार के लोगों ने बताया कि इस घर में सबको अपने हिसाब से धार्मिक कर्म करने की छूट थी. इसलिए राजेंद्र झा से शादी के बाद रेखा बनी रायका अब भी अपनी परंपरा के मुताबिक नमाज पढ़ती थी. उसके दोनों बेटे भी नमाज पढ़ते थे. वहीं राजेंद्र झा अपने बेटे और बेटी के साथ मंत्रोच्चार करते थे. इस बात को लेकर इनके बीच कभी कोई विवाद नहीं हुआ. बल्कि सभी एक दूसरे का जरूरत के मुताबिक सहयोग भी करते थे।

महिला की मौत के बाद शुरू हुआ विवाद,,,,,,,

कुछ समय पहले राजेंद्र झा की मौत हुई तो उनका हिन्दू रीति रिवाज से दाह संस्कार किया गया. इन्हीं दिनों मो. मोफिल का निकाह हो गया. ऐसे में वह अपनी बीबी और भाई के साथ अलग रहने लगा. इधर महिला अपने हिन्दू बेटों के साथ रहती थी. लेकिन उसका भी मंगलवार को देहांत हो गया. विवाद की शुरुआत यहीं से हुआ. दरअसल मुस्लिम बेटे मो. मोफिल और मो. सोनेलाल चाहते थे कि उनकी मां का मुस्लिम रीति रिवाज के मुताबिक अंतिम संस्कार होना चाहिए, लेकिन हिन्दू बेटे बबलू और बेटी तेतरी ने इसके लिए मना कर दिया. विवाद इतना बढ़ा कि पुलिस बुलानी पड़ी।

पंचायत में हुआ फैसला,,,,,,,

सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे थानाध्यक्ष ने दोनों पक्षों को काफी समझाया, लेकिन बात नहीं बनी. आखिर में एएसपी सैयद इमरान मसूद आए. उन्होंने दोनों पक्षों को समझाते हुए कहा कि अभी महिला हिन्दू पति के साथ थी, इसलिए दाह संस्कार ही होगा, लेकिन मुस्लिम बेटे चाहें तो अपने रीति रिवाज से आगे के संस्कार कर सकते हैं. वहीं हिन्दू बेटे भी परंपरा के मुताबिक महिला की तेरही कर सकते हैं।