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भारत को लेकर यूक्रेन ने उठाया बड़ा क़दम , यूएन में रूस के खिलाफ़ न बोलने पर तो नहीं ले रहा बदला

भारत को लेकर यूक्रेन ने उठाया बड़ा क़दम , यूएन में रूस के खिलाफ़ न बोलने पर तो नहीं ले रहा बदला



Russia - Ukraine War । रूस इस वक्त यूक्रेन पर जमकर हमला कर रहा है। अपनी नई रणनीति में कामयाब होता रुस इस वक्त एक-एक कर यूक्रेन के कई मुख्य शहरों पर कब्जा कर चुका है। यूक्रेन में जो तबाही का मंजर है वो जेलेंस्की के घमंड का परिणाम है।


न तो जेलेंस्की नाटो में जाने की जीद करते और न ही ये नौबत आती। जंग के बाद रूस से समझौते करने के बजाय जेलेंस्की अपने लोगों की ही जान दाव पर लगा दिए और पश्चिमी देशों के बहकावे में आ कर अब तक अपनी हार नहीं स्वीकार कर रहे। यही आलम रहा तो पूरे यूक्रेन पर रूस को जल्द कब्जा करने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। रूस ने जब यूक्रेन पर हमला बोला तो संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया जिसमें दुनिया भर के देशों ने भाग लिया और किसी ने रूस का बहिष्कार किया तो किसी ने न तो रूस के खिलाफ बोला और न ही यूक्रेन के पक्ष में। भारत भी उन्हीं में से एक है। अब ऐसा लगता है कि भारत के इस कदम से यूक्रेन खुश नहीं है क्योंकि, उसने इंडिया में अपने राजदूत को बर्खास्त कर दिया है।

हालांकि, यूक्रेन सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि, जर्मनी, तेक गणराज्य, नॉर्वे और हंगरी में अपने राजदूतों को बर्खास्त कर किया है। इसकी घोषणा यूक्रेनी राष्ट्रपति की वेबसाइट पर की गई है। हालांकि, इस कदम के पीछे का कोई वजह नहीं बताया गया है। भारत उन देशों में शामिल है जिसने रूस की ओर से यूक्रेन पर किए हमले का खुले रूप से विरोध नहीं किया था। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की ओर से इन राजदूतों के हटाए जाने के पीछे कोई वजह नहीं बताई गई है। यह भी नहीं बताया गया है कि क्या इन अधिकारियों को कोई और जिम्मेदारी तो नहीं दी जाएगी। ज़ेलेंस्की ने अपने राजनयिकों से यूक्रेन के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन और सैन्य सहायता उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।

बता दें कि, जर्मनी के साथ कीव के संबंध सही नहीं चल रहे हैं। ये दोनों ही रूसी ऊर्जा आपूर्ति और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिर निर्भर है। ऐसे में यह बेहद ही गंभीर मामला है। रूस और यूक्रेन के युद्ध शुरू होने के बाद से जर्मनी को अपना गैस भंडार भरने में समस्या हो रही है। जंग के चलते रूस की ओर से गैस सप्लाई में दिक्कत आ रही है। ऐसे में जर्मनी बिजली उत्पादन के लिए कोयले की ओर रुख कर रहा है। इसके साथ ही जर्मनी और कीव कनाडा में रखे गए एक जर्न निर्मित टरबाइन को लेकर भी आमने-सामने हैं। जर्मनी चाहता है कि ओटावा यूरोप को गैस पंप करने के लिए रूसी प्राकृतिक गैस की दिग्गज कंपनी गजप्रोम को वो टरबाइन लौटा दें लेकिन, यूक्रेन इसका विरोध कर रहा है। कीव ने कनाडा से टर्बाइन रखने का आग्रह करते हुए कहा है कि इसे रूस को भेजना मास्को पर लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन होगा।