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बिहार : मुजफ्फरपुर में इंटर परीक्षा की उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन घोटाला के आरोपित का 21 वर्ष बाद हुआ कोर्ट में सरेंडर।

बिहार : मुजफ्फरपुर में इंटर परीक्षा की उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन घोटाला के आरोपित का 21 वर्ष बाद हुआ कोर्ट में सरेंडर।


बिहार। मुज्जफरपुर में इंटरमीडिएट परीक्षा-2000 की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में घोटाला के आरोपित बालूघाट के राजनारायण सिंह इंटर महाविद्यालय के तत्कालीन प्रधान लिपिक अखिलेश कुमार सिंह उर्फ अखिलेश्वर कुमार सिंह ने 21 वर्ष बाद गुरुवार को सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। 

वहीं इंटरमीडिएट परीक्षा-2000 को लेकर इस महाविद्यालय को उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का केंद्र बनाया गया था। विज्ञान संकाय की परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में भारी अनियमितता पकड़ी गई थी। तत्कालीन जिलाधिकारी अमृतलाल मीणा की रिपोर्ट पर बिहार इंटरमीडिएट शिक्षा परिषद के तत्कालीन सचिव दिनेश्वर पासवान ने 19 दिसंबर, 2001 को नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। 

वहीं इसमें कालेज के संस्थापक सचिव राजनारायण सिंह, तत्कालीन प्राचार्य अशोक कुमार सिंह व कालेज के प्रधान लिपिक अखिलेश कुमार सिंह उर्फ अखिलेश्वर कुमार सिंह, अन्य वीक्षकों, कालेज कर्मियों व छात्रों को आरोपित बनाया था। कालेज के संस्थापक सचिव राजनारायण सिंह का निधन हो चुका है। अशोक कुमार सिंह प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और फिलहाल इस मामले में उच्च न्यायालय से जमानत पर हैं। 

वहीं बीते 11 दिसंबर, 2001 को तत्कालीन जिलाधिकारी अमृतलाल मीणा के जनता दरबार में राजनारायण सिंह इंटर महाविद्यालय केंद्र पर उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में भारी अनियमितता की शिकायत की गई। इस पर जिलाधिकारी ने तत्कालीन उप समाहर्ता (स्थापना प्रशाखा) केशव कुमार सिंह के नेतृत्व में जांच टीम गठित की। 

वहीं टीम ने विज्ञान संकाय के सभी विषयों की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में भारी अनियमितता बरती जाने की रिपोर्ट समर्पित की। कहा गया कि रुपये लेकर अधिक अंक दिए गए। इसमें केंद्र के निदेशक, प्राचार्य, वीक्षक, कालेज कर्मियों व कई छात्रों की संलिप्तता सामने आई थी। 17 दिसंबर, 2001 को तत्कालीन जिलाधिकारी अमृतलाल मीणा ने यह रिपोर्ट बिहार इंटरमीडिएट शिक्षा परिषद को भेजी थी।

वहीं जांच में यह बात सामने आई कि आरोपित अखिलेश कुमार सिंह ने भी उत्तर पुस्तिकाओं की जांच की थी। इसके बदले उसे प्रति उत्तर पुस्तिका एक रुपये का भुगतान भी मिला था। यह सब उसने महाविद्यालय के प्रधान लिपिक रहते हुए किया था।

वहीं तत्कालीन एएसपी व चर्चित आइपीएस अफसर दीपिका सूरी ने 14 दिसंबर, 2001 को महाविद्यालय में छापेमारी की थी। इसमें कालेज में कई संदिग्ध कमरे व आलमारी बंद मिले थे। उन्होंने सभी संदिग्ध कमरों व आलमारी को सील कर दिया था। अगले दिन कालेज के प्राचार्य व प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में यह सील खोला गया। जांच में एक दिन में सात सौ मूल्यांकित उत्तर पुस्तिकाओं में से 111 में अनियमितता सामने आई। दीपिका सूरी ही इस मामले की पहली आइओ बनाई गई थीं।

वहीं इस मामले की जांच में पुलिस की भारी लापरवाही सामने आई है। 21 वर्षों में भी जांच पूरी नहीं कर सकी। पुलिस अब तक किसी आरोपित के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकी। आरोपित अखिलेश कुमार सिंह को गिरफ्तार नहीं कर सकी, जबकि 12, सितंबर 2015 को कोर्ट ने उसके विरुद्ध इश्तेहार जारी किया था। एक आरोपित महाविद्यालय के संस्थापक सचिव राजनारायण सिंह का निधन हो गया। 

वहीं दूसरे आरोपित महाविद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य अशोक कुमार सिंह जमानत ले चुके हैं। मूल्यांकन अनियमितता में शामिल अन्य वीक्षकों, महाविद्यालय कर्मियों व छात्रों की पुलिस पहचान नहीं कर सकी। एसएसपी जयंतकांत ने कहा कि पुलिस लगातार दबिश बना रही थी। इसी दबिश के कारण तीसरे आरोपित ने कोर्ट में सरेंडर किया है। जल्द ही मामले की जांच पूरी कर आरोपितों के विरुद्ध कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया जाएगा।