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पंजाब : बठिंडा में छोटा हाथी टाटा एस मैजिक वाहन मालिकों ने की सरकार से टैक्स में छूट देने की मांग।

पंजाब : बठिंडा में छोटा हाथी टाटा एस मैजिक वाहन मालिकों ने की सरकार से टैक्स में छूट देने की मांग।


पंजाब। बठिडा में मोटरसाइकिल रेहड़ियों पर प्रतिबंध के निर्णय को वापस लेने से राज्य सरकार के लिए नई समस्याएं पैदा हो गई है। प्रतिबंध हटने से नाराज पिकअप ट्रक व छोटे हाथियों के मालिकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शहर में छोटे हाथी व टाटा एस यूनियन ने जुगाड़ रेहड़ियों पर से प्रतिबंध हटाने के विरोध में प्रदर्शन किया। साथ ही कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती तो उनके वाहनों पर लगाए गए सभी टैक्सों को माफ कर दिया जाना चाहिए।

वहीं वाहन मालिकों का कहना है कि जुगाड़ रेहड़ी पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इसलिए वे कम दरों पर काम कर रहे हैं। इसका नुकसान सीधे-सीधे उनको हो रहा है। पंजाब सरकार ने मोटरसाइकिल रेहड़ियों पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले को वापस ले लिया है, जो एक बहुत ही बुरा कदम है। इन मोटरसाइकिल रेहड़ियों को सड़कों पर चलाने की अनुमति देना अवैध है।

वहीं इन मोटरसाइकिल रेहड़ियों के मालिकों पर कोई टैक्स नहीं है। इसलिए या तो छोटे हाथियों को टैक्स से छूट दी जाए या इन मोटरसाइकिल रेहड़ियों पर टैक्स लगाया जाए। अगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती है तो इन मोटरसाइकिल रेहड़ियों के संचालन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। अगर ऐसा न किया गया तो कड़ा संघर्ष किया जाएगा।

वहीं उधर जिला मानसा में छोटा हाथी व पिकअप यूनियन जय बाबा ध्यान दास, जय बाबा प्रेम दास झूनीर की ओर से डीसी दफ्तर समक्ष रोष प्रगट करते हुए पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। इस अवसर पर यूनियन प्रधान गुरविदर सिंह, गोरा सिंह, जगतार सिंह झूनीर, बिदर सिंह, बोघा सिंह, निक्का सिंह, प्रगट सिंह ने कहा कि वह सभी तरह के टैक्स भर कर अपने वाहन चला रहे हैं।

बता दें कि लेकिन मोटरसाइकिल रेहड़ी चालक कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाकर सड़क पर अपने वाहन चला रहे हैं। सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार द्वारा उक्त वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया गया था, जिसको अचानक बदल दिया गया।

वहीं उनके द्वारा लिए गए वाहन की किस्त व टैक्स भरना मुश्किल हो रहा है। इसलिए उनकी पंजाब सरकार से मांग है कि जुगाड़ वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। अगर उनकी मांग को पूरा न किया गया तो आने वाले समय में संघर्ष तेज किया जाएगा।