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यूपी : एसटीएफ ने कानपुर से 85 किलो चरस के साथ तीन तस्कर को किया गिरफ़्तार, वहीं बोलेरो की चेसिस में छिपाकर करते थे तस्करी।

यूपी : एसटीएफ ने कानपुर से 85 किलो चरस के साथ तीन तस्कर को किया गिरफ़्तार, वहीं बोलेरो की चेसिस में छिपाकर करते थे तस्करी।

                                 ℝ𝕖𝕟𝕦 𝕋𝕚𝕨𝕒𝕣𝕚 ℝ𝕖𝕡𝕠𝕣𝕥𝕖𝕣 

कानपुर। नेपाल के रास्ते गोरखपुर से लखनऊ होते हुए कानपुर लाई गई चरस की एक बड़ी खेप के साथ एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने तीन तस्करों को गिरफ्तार किया है। नौबस्ता थानाक्षेत्र में रामगोपाल चौराहे के पास हुई गिरफ्तारी में एसटीएफ ने आरोपितों के पास से 85.6 किलोग्राम चरस बरामद की है। आरोपितों से पूछताछ की जा रही है।  

वहीं एसटीएफ कानपुर के निरीक्षक लान सिंह और निरीक्षक शैलेंद्र सिंह ने बताया कि काफी दिनों से विभिन्न माध्यमों से भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में अन्तरर्राष्ट्रीय अवैध मादक पदार्थ (चरस ) की तस्करी करने वाले गिरोह के सक्रिय होने की जानकारी मिल रही थी। मुखबिर से सूचना मिली कि एक बड़ी खेप नेपाल से बिहार, गोरखपुर, लखनऊ होते हुए कानपुर आ रही है। 

वहीं यहां से इसकी सप्लाई आसपास के जनपदों में की जानी है। इस सूचना पर एसटीएफ ने बर्रा थानाक्षेत्र के रामगोपाल चौराहे के पास फील्डिंग सजाई। सुबह करीब चार बजे यूपी 79 टी 5095 नंबर की बुलेरे पिकअप व यूपी 79 डब्लू 8106 नंबर की मोटर साइकिल सवार तीन लोगों को रोका गया। तलाशी में बुलेरो पिकअप में बनवायी गयी गुप्त स्थान से 85 किलो 600 ग्राम मादक पदार्थ (चरस) बरामद किया। 

वहीं एसटीएफ के मुताबिक गिरफ्तार आरोपितों की पहचान रोशन पटेल पुत्र सन्तोष पटेल निवासी बरापेरू कुआ ढाबा, थाना- मोतिहारी, जनपद रक्सौल (बिहार), आशीष टक्कर पुत्र हरवंश लाल टक्कर निवासी डी-49 बर्रा 8 व शैलेन्द्र कुमार सोनी उर्फ शीलू निवासी ईशा गार्डन के पास जालौन चौराहा, औरैया के रूप में हुई। 

वहीं आरोपितों के पास से इसके अलावा दो हजार भारतीय रुपये और 13,500 नेपाली रुपये, तीन मोबाइल, सुनौली बार्डर से नेपाल में प्रवेश करने की रशीद मिली। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आरोपितों ने सुनौली बार्डर से चरस को भारत लाने का काम किया। 

वहीं दूसरी तरफ़ एसटीएफ के मुताबिक गिरफ्तार रोशन पटेल के पिता संतोष पटेल रक्सौल (नेपाल बार्डर) के निवासी है। संतोष भी लंबे समय से ड्रग्स तस्करी में लिप्त है। फिलहाल पर नेपाल में ड्रग्स तस्करी के चलते ही बंद है। रोशन के ही संबंध शैलेन्द्र कुमार सोनी उर्फ शीलू से था। शीलू औरैया के आस-पास क्षेत्र में मादक पदार्थ चरस की तस्करी में लिप्त था। 

वहीं दूसरी तरफ़ शीलू ने बताया कि संतोष की पत्नी बबिता कुछ दिनों पूर्व उसके पास औरैया आयी थी और तभी चरस की खेप मंगाए जाने का सौदा हुआ। तब शीलू ने बबिता को छह लाख रुपये अग्रिम भुगतान भी किया था। बबिता बेटा रोशन पटेल तब से औरैया में ही रुका था। चरस की खेप लाने के लिए शीलू द्वारा ही सेकेंड हैंड बुलेरो पिकअप रसूलाबाद कानपुर देहात निवासी राधेश्याम से खरीदी। 

वहीं एसटीएफ के मुताबिक शीलू उने पिकअप चलाने के लिए आटो चालक आशीष टक्कर को तैयार किया। प्रति चक्कर उसे 20 हजार रुपये देने की बात तय हुई थी। 19 अप्रैल को रोशन व आशीष टक्कर उक्त बुलेरो से तरबूज लादकर सुनौली बार्डर तक गये, तरबूज को सुनौली बार्डर के पास बेच कर 20 अप्रैल को सुनोली बार्डर से नेपाल में प्रवेश किया। इसके लिए उन्होंने दो दिन का परमिट लिया था। रोशन व आशीष वहां से काठमांडू पहुंचे और पहाड़ से चरस तैयार करने वाले नेपाली तस्करों से माल पिकअप में लादा। 

वहीं एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक सौदा एक क्विंटल चरस का हुआ था। पिकअप की चेसिस के नीचे दो गुप्त कैविटी बनावाकर उसमें चरस रखी गई, ताकि आसानी से पकड़ में न आए। दोनो कैविटी छोटी पड़ने के कारण उसमें 85 किलो ही चरस रखी जा सकी। इसके बाद नेपाल बार्डर से भारत में सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज से गोरखपुर, लखनऊ होते हुए कानपुर आये।