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RUSSIA-UKRAINE WAR : रूसी सैनिकों का शर्मनाक चेहरा, अंकल-अंकल कहते बच्चों को भी भून डाला

RUSSIA-UKRAINE WAR : रूसी सैनिकों का शर्मनाक चेहरा, अंकल-अंकल कहते बच्चों को भी भून डाला


यूक्रेन अपने आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ रहा है। एक ऐसे तानाशाह के खिलाफ जिस पर सत्ता की सनक सवार है। यूरोपीय संसद में व्लादिमीर जेलेंस्की ने कहा, हम अपनी आजादी, जिंदगी और जमीन के लिए लड़ रहे हैं। मंगलवार को रुसी हमले में 16 बच्चे मारे गये। क्या बच्चों को मार वे (रूस) जंग जीतेंगे ? उन्होंने यूरोपीय संसद की आत्मा को झकझोरने के लिए कहा, अब तो साबित कीजिए कि आप (यूरोपीय संघ) यूक्रेन के साथ हैं ! यह सब सुन कर यूरोपीय संघ से अधिक अमेरिका की अंतर्आत्मा जगनी चाहिए। अमेरिका ताइवान के लिए चीन से भिड़ने को तैयार रहता है। इजरायल के लिए अरब देशों से भिड़ने को तैयार रहता है। लेकिन वह यूक्रेन के लिए क्यों नहीं ऐसी तेजी दिखा रहा ? क्या यूक्रेन में अमेरिका का कोई व्यापारिक या नस्लीय हित नहीं है इसलिए उसने बच्चों को मरने के लिए छोड़ दिया है ? ऐसे में कोई क्यों समझेगा कि अमेरिका भी एक सुपर पावर है ? तानाशाह पुतिन बच्चों को निशाना बना रहा है और अमेरिका आज-कल परसों में लगा हुआ है। 


RUSSIA-UKRAINE WAR : दक्षिणी यूक्रेन का शहर नोबोया काखोवाका। रूसी सैनिकों के हमले से शहर दहशत का आलाम है। 27 साल की इरिना अपनी 6 साल की बेटी सोफिया फेडको, डेढ़ महीने के बेटे इवान और बुजुर्ग सास-ससुर के साथ कार में सवार हो कर किसी सुरक्षित ठिकाने की तरफ भाग रहीं थीं। इरिना के पति ओलेग यूक्रेनी पुलिस के मुलाजिम हैं। वे ड्यूटी पर थे। इरिना जब अपने बच्चों और सास-ससुर के साथ कार से जा रहीं थीं। तभी रुसी कैनिकों ने उन्हें सड़क पर घेर लिया। जब उन्होंने कार की तरफ अपनी एसॉल्ट राइफन तानी तो इरिना ने बच्चों का हवाला दिया। बुजुर्ग सास-ससुर की तऱफ ध्यान दिलाया। छह साल की सोफिया बड़े-बड़े बंदूक देख के डर गयी और अंकल अंकल कह कर चिल्लाने लगी। लेकिन रूसी सैनिकों को कई दया नहीं आयी और उन्होंने गोलियों की बौछार शुरू कर दी। इस हमले में सभी पांच लोग मारे गये जिसमे डेढ़ महीने का इवान और छह साल की सोफिया भी शामिल थी। इसी परिवार के डेनिस फेडको भी एक अन्य कार से भाग रहे थे। उन्होंने गोलियों की गूंज और धमाके सुने तो फोन से पश्चिमी मीडिया को इसकी जानकारी दी। क्या बच्चों के खून से जंग जीतना चाहता है रूस ?

यूक्रेन के जिन 16 बच्चों के मारे जाने की जलेंस्की ने चर्चा की है उनमें पोलिना नामक की एक स्कूली बच्ची भी है। बारह साल की पोलिना कीव में बहुत मजे से पढ़ाई कर रही थी। क्या अच्छे दिन थे। लेकिन यह लड़ाई उसके परिवार पर मौत बन टूट पड़ी। रूसी सेनिकों के हमले के डर से पोलिना अपने दस साल के भाई सेमोन, छह साल की छोटी बहन सोफिया और माता-पिता के साथ कहीं छिपने के लिए जा रही थी। वे कार में सवार थे। पोलिना के पिता एंटोन कुरदिन कार चला रहे थे। मां स्वेतलाना उनके बगल में बैठी थीं। पीछे तीनों बच्चे थे। तभी रूसी सैनिकों ने उनकी कार पर हमला कर दिया। इस हमले में पोलिना और उसके माता-पिता मारे गये। भाई सेमोन और बहन सोफिया गोलियों से घायल हो गये। अब वे अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।


केजीबी के जासूस से रूस के राष्ट्रपति बने ब्लादिमीर पुतिन निरंकुश और अत्याचारी सत्ता के प्रतीक हैं। रूस में साम्यवाद का पतन तो हुआ लेकिन प्रजातंत्र विकसित नहीं हो पाया। अब यहां पुतिन की तानाशाही स्थापित है। वे आजीवन रूस के राष्ट्रपति रहेंगे। उनके 2036 तक राष्ट्रपति रहने के लिए संविधान में संशोधन किया गया है। इस कानून पर 2020 में जनमत संग्रह कराया गया था। इसमें पुतिन को जीता हुआ बताया गया था। कोरोना संकट के बीच हुए इस जनमत संग्रह की विश्वसनीयता को संदिग्ध बताया गया था। रूस में पुतिन के विरोध का मतलब है जेल। सत्ता की सारी शक्तियों को उन्होंने हड़प लिया है। सितम्बर 2021 में रूस में संसदीय चुनाव हुआ था। प्रमुख विरोधी नेताओं को चुनाव लड़ने ही नहीं दिया। विपक्षी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ रशियन फेडरेशन के कई नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गयी थी। पुतिन के धुर विरोधी एलेक्सी नवालनी को गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया था। इसके बाद भी चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी। बैलेट बॉक्स में फर्जी मतपत्र भर दिये गये थे। अभी रूस में अधिनायकवादी शासन है और पुतिन का कोई विरोध नहीं कर सकता। रूस की विस्तारवादी नीति का खामियाजा अब दुनिया भुगतने वाली है .