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बीएचयू में आ रहे हैं ऐसे मामले, पैदा होते ही बच्चे नहीं रो रहे, ऑक्सीजन की कमी बताया जा रहा है  प्रमुख कारण... स्पेशलिस्ट डॉक्टर...

बीएचयू में आ रहे हैं ऐसे मामले, पैदा होते ही बच्चे नहीं रो रहे, ऑक्सीजन की कमी बताया जा रहा है प्रमुख कारण... स्पेशलिस्ट डॉक्टर...

वाराणसी, ब्यूरो बीएचयू। गर्भावस्था का समय किसी भी गर्भवती महिला के लिए सेहत पर अधिक सतर्कता बरतने वाला होता है। ऐसे समय में जरा सी लापरवाही न केवल उनकी सेहत बल्कि उनके होने वाले बच्चे की सेहत पर भी भारी पड़ सकती है।पिछले कुछ सालों से से यह देखने को मिल रहा है कि नवजात (तुरंत पैदा होने वाले बच्चे) सांस नहीं ले पा रहे हैं, उनकी आवाज बंद हो जाती है।

इस वजह से उनके रोने की आवाज नहीं आती है। उनको ऑक्सीजन की कमी भी हो रही है। बीएचयू अस्पताल के एनआईसीयू में हर महीने ऐसे 15-20 नवजात बच्चे आ रहे हैं, जिनमें इस तरह की समस्या हो रही है।

डिलीवरी के समय बाल रोग विशेषज्ञ का होना जरूरी

गर्भावस्था से लेकर महिला की डिलीवरी होने तक कोई परेशानी न हो, इसको लेकर सरकार की ओर से अभियान चलाकर महिलाओं को जागरूक किया जाता है। इसमें हाईरिस्क प्रेग्नेंसी यानी की गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर बढ़ने, डायबिटीज, थायरायड,लीवर संबंधी परेशानी, बेचैनी अधिक होने की समस्या होती है। 

इन महिलाओं की डिलीवरी के समय विशेष निगरानी की जाती है। जहां तक नवजात बच्चों को परेशानी की बात है तो बीएचयू अस्पताल के एनआईसीयू में वाराणसी और आसपास के जिलों के साथ ही बिहार सहित अन्य जगहों से रेफर होकर ऐसे 15-20 बच्चे हर माह आ रहे हैं, जिनको कि जन्म के तुरंत बाद सांस लेने में तकलीफ है। इस कारण उनकी आवाज नहीं सुनाई दे रही है। ऐसे बच्चों को ऑक्सीजन तुरंत देना पड़ता है।

बोले अधिकारी,बच्चों में होती है ऑक्सीजन की कमी की समस्या

गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर जांच करवाने के साथ ही खान-पान पर ध्यान देने की जरूरत होती है। हर महीने करीब तीन-चार महिलाएं ऐसी आ रही है, जिनकी डिलीवरी के बाद बच्चों को ऑक्सीजन की कमी देखने को मिल रही है। तुरंत उन्हें एनआईसीयू रेफर किया जाता है। 
- प्रो. संगीता राय, विभागाध्यक्ष, स्त्री रोग विभाग

दर्द होने पर अस्पताल में देरी मुख्य वजह
बहुत सी महिलाएं नौवें महीने में दर्द होने के बाद भी उसको सहन करती रहती हैं। इस वजह से उनकी डिलीवरी के दौरान सामान्य गर्भवती महिलाओं की तुलना में अधिक परेशानी होती है। ऐसी महिलाओं के होने वाले बच्चे को सांस लेने में तकलीफ के साथ ही अन्य परेशानी होती है। अस्पताल में डिलीवरी के दौरान नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ को इसीलिए रखा जाता है, कि नवजात को तुरंत इलाज मिल सके। 
- डॉ. नीलम ओहरी, स्त्री रोग विशेषज्ञ

नवजात के ब्रेन पर पड़ रहा है असर
गर्भवती महिलाओं को खुद के साथ-साथ होने वाले बच्चे की सेहत की परवाह भी करना चाहिए। यह समय विशेष सजगता, सतर्कता बरतने वाला होता है। बीएचयू अस्पताल के एनआईसीयू में ऐसे महीने 15-20 बच्चे सांस लेने में तकलीफ वाले आ रहे हैं। कभी-कभी तो एंबु बैग के सहारे ऑक्सीजन देना पड़ता है। ऐसे बच्चों को तुरंत इलाज दिया जाता है। ऐसा न होने पर उनके ब्रेन पर असर पड़ता है। 
- प्रो. अशोक चौधरी, प्रभारी, एनआईसीयू, आईएमएस बीएचयू

डिलीवरी के समय बाल रोग विशेषज्ञ का होना जरूरी

अस्पताल में महिलाओं की डिलीवरी के दौरान बाल रोग विशेषज्ञ का रहना बहुत जरूरी होता है। बाल रोग विभाग के वार्ड और इमरजेंसी में आने वाले नवजात बच्चों के सांस लेने में परेशानी की समस्या देखने को मिल रही है। यहां प्राथमिक स्तर पर जांच के बाद तुरंत बच्चों को एनआईसीयू में रेफर कर दिया जाता है। साथ ही ओपीडी में बच्चों के परिवारीजन को उसकी सेहत का विशेष ख्यान रखने की सलाह दी जाती है। 
- प्रो. सुनील राव, विभागाध्यक्ष, बाल रोग विभाग, आईएमएस बीएचयू ।।