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'अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता,अस बर दीन जानकी माता'... हनुमान जी की 8 सिद्धियां और 9 निधियां क्या हैं? जानिए इसका महत्व...

'अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता,अस बर दीन जानकी माता'... हनुमान जी की 8 सिद्धियां और 9 निधियां क्या हैं? जानिए इसका महत्व...

Hanuman Chalisa Significance : हिंदू धर्म में हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल 23 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव है। इस विशेष दिन हनुमान जी की विधिवत पूजा-उपासना का बड़ा महत्व है। हनुमान चालीसा की एक चौपाई में प्रभु श्रीाराम के भक्त हनुमान जी को अष्टसिद्धि और नौ निधि के दाता के रूप में बताया गया है। जीवन की हर कष्ट से मुक्ति पाने के लिए रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करना बेहद लाभकारी माना गया है। 

धार्मिक मान्यता है कि हनुमान जी की पूजा-आराधना करने से अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों की प्राप्ति होती है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी हनुमान चालीसा के माध्यम से हनुमान बल, बुद्धि और पराक्रम का वर्णन किया है। आइए विस्तार से जानते हैं हनुमान जी की अष्ट सिद्धियां और नव निधियों के बारे में...

हनुमान जी की अष्ट सिद्धियां कौन-सी हैं ?

अणिमा सिद्धि: इस सिद्धि के सहारे हनुमान जी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।

महिमा सिद्धि : मान्यता है कि इस सिद्धि से हनुमान जी हनुमान जी विशाल रूप धारण कर सकते हैं। हनुमान जी ने समुद्र पार करते समय सुरसा राक्षसी के सामने और अशोका वाटिका में माता सीता के समक्ष महिमा सिद्धि का उपायोग किया था।

गरिमा सिद्धि : इस सिद्धि के बदौलत हनुमानजी स्वंय का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं।

लघिमा सिद्धि : इस सिद्धि से हनुमान जी स्वंय का भार बिल्कुल हल्का कर लेते हैं। पलभर में वे कहीं भी विचरण कर सकते हैं।

प्राप्ति सिद्धि : इस सिद्धि के सहारे हनुमान जी पशु-पक्षियों की भाषा समझ सकते हैं। आने वाले समय को देख लेते हैं।

प्राकाम्य सिद्धि : इस सिद्धि की मदद से हनुमान जी पृथ्वी से पाताल तक की गहराईयों का अनुमान लगा सकते हैं। आकाश में उड़ सकते हैं। मनचाहे समय तक पानी में जीवित रह सकते हैं।

ईशीत्व सिद्धि : इस सिद्धि की मदद से हनुमान जी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई थीं। मान्यता है कि इसे पाने वाला ईश्वर समान पूजनीय माना जाता है।

वाशित्व सिद्धि : मान्यता है कि इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमान जी पशु,पक्षी और मनुष्य किसी को भी वश में करके अपने मन के मुताबिक कार्य करवा सकते हैं। इसके प्रभाव से हनुमानजी जितेंद्रिय है और मन पर नियंत्रण रखते हैं।

हनुमान जी की नौ निधियां कौन-सी हैं ?

पद्म निधि : मान्यता है कि इस निधि से संपन्न व्यक्ति सात्विक होता है। हनुमान जी के ऐसे भक्त को जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। ऐसे लोग बहुत उदारवादी होते हैं और दान-पुण्य के कार्यों में रुचि रखते हैं।

महापद्म निधि : पद्म निधि की तरह महा पद्म निधि से संपन्न व्यक्ति सात्विक होता है। लेकिन यह केवल 7 पीढ़ियों तक प्रभावी रहता है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति दान-पुण्य के कार्यों में विश्वास रखते हैं और 7 पीढ़ियों तक सुख-समृद्धि और खुशहाली में जीवन गुजारते हैं।

नील निधि : मान्यता है कि नील निधि में सत्व और जन दोनों गुण होते हैं। इस निधि का प्रभाव केवल 3 पीढ़ियों तक रहता है।

मुकुंद निधि : मुकंदु निधि से सुशोभित व्यक्ति में रजोगुण होता है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति का मन राज्य संग्रह में लगा रहता है। एक पीढ़ी के बाद यह निधि समाप्त हो जाती है।

नंद निधि : नंद निधि से युक्त व्यक्ति रज और तम दोनों गुणों वाला होता है। यह निधि साधक को दीर्घायु और उन्नति प्रदान करती है।

मकर निधि : मान्यता है कि मकर निधि संपन्न व्यक्ति अस्त्र-शस्त्र का संग्रह करने वाला होता है। ऐसे जातक का शत्रुओं पर प्रभुत्व रहता है। राजा और प्रशासन में काफी प्रभाव रखता है।

कच्छप निधि : कच्छप निधि का व्यक्ति तामस गुण वाला होता है। ऐसे लोग धन छिपाकर रखते हैं। वह न स्वंय उसका उपयोग करते हैं और न ही दूसरों को करने देते हैं।

शंख निधि : शंख निधि प्राप्त करने वाला व्यक्ति भोग और विलास की इच्छा रखता है। ऐसे लोग खूब धन कमाते हैं, लेकिन घर में दरिद्रता का वास रहता है। 

खर्व निधि : कहा जाता है कि खर्व निधि से युक्त व्यक्ति में अन्य 8 निधियों का मिश्रण होता है। ऐसे निधि से संपन्न व्यक्ति के कार्यों और स्वभाव के बारे में अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।