ये है 5 कारण... और ठंडा पड़ गया पाकिस्तान? कहा- नहीं करेंगे अब भारत पर पलटवार...
भारत ने पाकिस्तान को पहलगाम आतंकी हमले (India's Strike On Pakistan) का करारा जवाब दिया है और मंगलवार रात को 'ऑपरेशन सिंदूर' (Operation Sindoor) के तहत पाकिस्तान और POK में मौजूद आतंकियों के 9 ठिकानों को तबाह कर दिया.वहीं दूसरी ओर बीते 15 दिनों से लगातार गीदड़भभकी दे रहा पाकिस्तान इस एयर स्ट्राइक के बाद ठंडा पड़ा नजर आ रहा है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ (Khawaja Asif) ने एक इंटरव्यू में खुद कहा है कि हम कोई कार्रवाई नहीं करेंगे. लेकिन अगर बात करें, पाकिस्तान के पस्त पड़ने के पीछे के कारणों के बारे में, तो इसकी एक नहीं कई वजह नजर आती हैं. ऐसे ही 5 कारण आपको बताते हैं...
PAK रक्षा मंत्री बोले- 'हम कुछ नहीं करेंगे...'
अब तक Pakistan की ओर से भारत को लगातार धमकियां दी जाती नजर आ रही थीं और यहां तक कि पाकिस्कान सरकार के मंत्री परमाणु हमले तक की धमकी दे रहे थे. लेकिन भारत की एयर स्ट्राइक के बाद इनके सुर बदले-बदले नजर आ रहे हैं. पाकिस्तान के मंत्रियों के बयान हैरान करने वाले हैं और उसकी हालत बयां करने वाले भी हैं. दरअसल, जहां भारत ने Operation Sindoor चलाते हुए पाकिस्तान और पीओके में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया, तो इस हमले के बाद Pakistan Defence Minister ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि हम अपनी रक्षा करेंगे. उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में आगे कहा है कि अगर भारत और कार्रवाई नहीं करता तो हम हम भी कुछ नहीं करेंगे.
पहला कारण- सैन्य ताकत में भारत से मुकाबला नहीं
भले ही पाकिस्तान बौखलाहट में बड़े-बड़े दावे करे और अपनी सैन्य ताकत का ढिंढोरा पीटे, लेकिन इस मामले में वो भारत से कहीं पीछे है. पहलगाम हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद बीते दिनों स्वीडन के प्रमुख थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसके मुताबिक बीते साल 2024 में भारत का सैन्य खर्च पाकिस्तान के खर्च से करीब नौ गुना ज्यादा रहा है. दोनों देशों के बीच जितने भी युद्ध हुए हैं Pakistan को हार का ही सामना करना पड़ा है।
भारत सेना और हथियारों पर भारी-भरकम खर्च के मामले में दुनिया में 5वें पायदान पर है, जबकि पाकिस्तान लिस्ट में काफी नीचे. सीपरी की रिपोर्ट को देखें, तो भारत ने पिछले साल 2024 में अपनी सेना पर 86.1 अरब डॉलर (करीब 7,32,453 करोड़ रुपये) खर्च किए, जबकि पाकिस्तान का खर्च महज 10.2 अरब डॉलर (लगभग 2,85,397 करोड़ पाकिस्तानी रुपये) का रहा था।
दूसरा कारण- आर्थिक तौर पर भारत के सामने PAK पस्त
आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान भारत के आगे कहीं नहीं टिकता है. World Economics के मुताबिक, लंबे समय से आर्थिक संकट झेल रहे पाकिस्तान की जीडीपी (Pakistan GDP) 350 अरब डॉलर है और इसपर कुल बाहरी कर्ज GDP का 42 फीसदी के आसपास है. तो वहीं भारत की जीडीपी (India GDP) 4 ट्रिलियन डॉलर के करीब है. यानी भारत और पाकिस्तान के बीच कोई मुकाबला ही नहीं हैं. देश में महंगाई का आलम ये है कि जनता खाने-पीने के सामानों से लेकर रोजमर्रा के सामानों तक को न खरीद पाने के लिए मजबूर हैं।
तीसरा कारण- दोस्त भी चुप, चीन देख रहा है नफा-नुकसान
पहलगाम हमले के बाद से भारत के कड़े तेवरों से पाकिस्तान बौखलाया हुआ नजर आया है. इस बीच उसने आर्थिक मदद के लिए अपने मित्र देशों से लेकर आईएमएफ (IMF) तक से भीख मांगी है. लेकिन उसे मदद नहीं मिल पा रही है. जी हां, पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने खुद बीते दिनों के एक इंटरव्यू के दौरान कबूल किया था कि Pakistan ने China से अपने स्वैप लाइन को 10 अरब डॉलर बढ़ाने की मांग की है. फिलहाल ये 30 अरब युआन है और इसे 40 अरब युआन करने की गुहार लगाई गई है. लेकिन चीन इस मामले में चुप्पी साधे हुए है, जो पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है।
चौथा कारण- पाकिस्तानी शेयर बाजार हो जाएगा बदहाल
आर्थिक रूप से बदहाल पाकिस्तान का शेयर बाजार भी हांफता नजर आ रहा है और पहलगाम अटैक के बाद भारत के एक्शन से घबराया हुआ है. निवेशकों की बिकवाली का आलम ये है कि Pahalgam Attack वाले दिन 22 अप्रैल से अब तक पाकिस्तानी शेयर बाजार 11000 अंक फिसल चुका है और India's Air Strike के बाद बुधवार को तो ये खुलने के साथ ही क्रैश (Pakistan Stock Market Crash) हो गया और 6,000 अंक से ज्यादा टूट गया. मंगलवार को KSE-100 1,13,568.51 पर बंद हुआ था, लेकिन आज अचानक फिसलकर 1,07,296 के लेवल तक आ गया।
पांचवां कारण- युद्ध होने पर IMF- वर्ल्ड बैंक से मदद रुकने का डर
एक ओर जहां पाकिस्तान की गुहार पर चीन की चुप्पी उसके लिए परेशानी का सबब है, तो वहीं दूसरी ओर युद्ध की स्थिति में Pakistan को वैश्विक निकायों अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) व वर्ल्ड बैंक (World Bank) से मिलने वाली मदद रुकने का डर सता रहा है. ये एक बड़ी वजह मानी जा रही है, क्योंकि 9 मई को आईएमएफ की बैठक में उसे 1.3 अरब डॉलर की मदद मिलने पर फैसला होने वाला है।