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1 किलो सोना, पेट्रोल पंप, 210 बीघा जमीन, 1.51 करोड़ रुपये कैश; भांजे की शादी में 21 करोड़ का मायरा...

1 किलो सोना, पेट्रोल पंप, 210 बीघा जमीन, 1.51 करोड़ रुपये कैश; भांजे की शादी में 21 करोड़ का मायरा...

राजस्थान के नागौर जिले के झाडेली गांव में एक शादी समारोह ने पूरे राज्य का ध्यान खींच लिया. वजह थी एक ऐतिहासिक मायरा. मारवाड़ी समुदाय की पारंपरिक रस्म मायरा में भाई अपनी बहन के घर शादी में उपहार देते हैं, लेकिन इस बार जो हुआ, वह कल्पना से परे था.पोत्तलिया परिवार ने अपने भांजे की शादी में कुल 21.11 करोड़ रुपये का मायरा दिया। जिसमें शामिल थे: 1 किलो सोना, 15 किलो चांदी, 210 बीघा ज़मीन, 1 पेट्रोल पंप, अजमेर में प्लॉट, 1.51 करोड़ रुपये नकद, कपड़े, गाड़ियां, 500 परिवारों को एक-एक चांदी का सिक्का।

बैंड-बाजे के साथ पहुंचे 600 मेहमान, 100 गाड़ियों की रॉयल शोभायात्रा

इस भव्य मायरा कार्यक्रम में पोत्तलिया परिवार के 600 से ज्यादा सदस्य, लगभग 100 कारों और 4 लग्ज़री बसों के साथ पहुंचे. यह शोभायात्रा किसी राजघराने के स्वागत से कम नहीं थी. लोगों की भीड़ इस दृश्य को देखने उमड़ पड़ी, और सोशल मीडिया पर इस समारोह का वीडियो वायरल हो गया।
भांजे की शादी में 21 करोड़ का मायराकौन हैं पोत्तलिया परिवार?

इस ऐतिहासिक मायरा को दिया भंवरलाल पोत्तलिया, रामचंद्र पोत्तलिया, सुरेश पोत्तलिया और डॉ. करण पोत्तलिया ने. ये सभी दूल्हे श्रेयांश के मामा हैं. दूल्हे के पिता जगवीर छाबा पूर्व बीजेपी प्रदेश महासचिव हैं. कार्यक्रम में बीजेपी नेता डॉ. सतीश पूनिया और जनप्रतिनिधि हरीराम किनवाड़ा जैसे गणमान्य लोग भी मौजूद रहे. पोत्तलिया परिवार में वकील, बैंक मैनेजर और कॉन्ट्रैक्टर शामिल हैं. एक सदस्य ने मुस्कराते हुए कहा, “पोत्तलिया परिवार भी किसी से कम थोड़े हैं।”

नागौर में भव्य मायरा की लंबी परंपरा

नागौर जिले में भव्य मायरा देना एक परंपरा बन चुकी है. अप्रैल के अंत में नाथूराम सांगवा ने अपनी बेटी सीमा की शादी में 3.21 करोड़ रुपये का मायरा दिया. इससे पहले शेखासनी, ढींगासरा, और जाखन गांवों में 13.71 करोड़ रुपये, 8 करोड़ रुपये और 1 करोड़ रुपये के मायरे दिए जा चुके हैं. यह परंपरा प्यार और सम्मान का प्रतीक मानी जाती है।

परंपरा या दिखावा? उठ रहे हैं सवाल

जहां एक ओर इस परंपरा को पारिवारिक प्रेम का भव्य प्रदर्शन कहा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर कई लोग इस पर सवाल भी उठा रहे हैं: क्या ऐसे भव्य मायरे सामाजिक दबाव नहीं बढ़ाते? क्या यह दिखावे की दौड़ नहीं बन चुकी है? क्या इस कारण कमजोर वर्गों पर अनावश्यक बोझ नहीं बढ़ता? बहस जारी है—लेकिन फिलहाल, पोत्तलिया परिवार का मायरा हर किसी की जुबान पर है।