30 साल तक शरीर में रहा एचआईवी, लेकिन नहीं हुआ एड्स, अमेरिका के वैज्ञानिक ने BHU में बताई ये बड़ी बात...
वाराणसी जिला ब्यूरो। दुनिया भर में करीब 10 लाख से लोग ऐसे हैं, जिन पर एचआईवी वायरस का प्रभाव नहीं पड़ता। न इनके खून से, न इंफेक्टेड सीरिंज से और न ही दूसरी किसी प्रक्रिया से ही ये किसी को एड्स फैला सकते हैं।इन लोगों को एलीट श्रेणी में रखा गया है।
ये बातें बीएचयू के एडनेट कार्यक्रम में अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से पहुंचे जौनपुर के मूल निवासी डॉ. मानवेंद्र सिंह ने कहीं। डॉ. सिंह ने कहा कि ऐसे लोग एचआईवी से पूरी तरह प्रतिरोधी हो चुके हैं। इंसान 10 हजार साल से वायरस से लड़कर ही जीवित बचा है। जो नहीं लड़ पाया, उसकी मौत हो गई। वहीं बचने वाला वायरस का विजेता हो जाता है।
डॉ. सिंह ने कहा कि ऐसे कई लोग एचआईवी से संक्रमित पाए गए, जिनपर उसके वायरस का एक प्रतिशत भी फर्क नहीं दिखा। कुछ तो ऐसे हैं, जिनके अंदर 25-30 साल से वायरस पड़ा हुआ है, लेकिन उन्हें कभी कोई बीमारी या दिक्कत नहीं हुई। इन लोगों पर कोविड का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
वयस्क सांपों से ज्यादा खतरनाक होते हैं संपोले
बीएचयू के इनबिक्स एडनेट में आए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बंगलूरू के वैज्ञानिक डॉ. कार्तिक सुनागर ने सांपों पर अपने कई शोध अध्ययन साझा किए। उन्होंने बताया कि संपोले यानी सांप के बच्चों का जहर, वयस्क सांपों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा जानलेवा होता है। दरअसल, जंगल में अन्य जानवर इन्हें आसानी से शिकार बना लेते हैं। इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए प्रकृति ने इन्हें खतरनाक विष दिया है।
और बताया कि अब तक सांपों के जहर से बचाने वाला एंटी वेनम घोड़ों की एंटीबॉडी से तैयार होता था, लेकिन अब ऊंट की एंटीबॉडी का भी इस्तेमाल होगा। किसी भी तरह का सांप काटे इसका एक ही एंटी वेनम काफी होगा।