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वाराणसी :: डेंगू के बाद अब गले में खराश और सीने में कफ की समस्या, ऐसे बरतें सावधानी,,,।

वाराणसी :: डेंगू के बाद अब गले में खराश और सीने में कफ की समस्या, ऐसे बरतें सावधानी,,,।

वाराणसी जिले में डेंगू संक्रमण का खतरा कम होने के बाद अब गले में खराश, सीने में कफ की समस्या बढ़ गई है। लगभग हर घर में एक दो लोग इससे ग्रसित हैं। सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों पर ऐसे मरीजों की भीड़ बढ़ गई है।कुछ लोगों को भर्ती करना पड़ रहा है। कुछ को दवा देकर आराम की सलाह दी जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि मौसम में बदलाव की वजह से ऐसा हो रहा है। ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत है।

दिन में तेज धूप से गर्मी लग रही है। शाम होते ही ठंड का अहसास हो रहा है। दिन और रात के तापमान में अंतर दिखने लगा है। ऐसे में मौसमी बीमारी की समस्या बढ़ गई है। दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल की ओपीडी में भी सर्दी, खासी, जुकाम वाले मरीजों की लाइन लगी रही। राजकीय आयुर्वेद कॉलेज चौकाघाट में भी ज्यादा तादात में मरीज दिखे।

दीनदयाल अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में 17 बच्चे भर्ती

दीनदयाल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि बदलते मौसम का असर बच्चों पर अधिक है। इस समय पीडियाट्रिक वार्ड में 17 बच्चे भर्ती हैं। वायरल फीवर की वजह से बच्चों में प्लेटलेटस कम होने की समस्या देखने को मिल रही है। सीएमएस डॉ. दिग्विजय सिंह ने बताया कि 1500 मरीज आए जिसमें 300 से 400 लोग मौसमी बीमारियों वाले रहे।

मंडलीय अस्पताल : रोज भर्ती हो रहे मरीज

मंडलीय अस्पताल में इस समय ओपीडी में 1400 से 1600 मरीज आ रहे हैं। फिजिशियन, बाल रोग विभाग के साथ ही ईएनटी की ओपीडी में संख्या कुछ बढ़ी है। मरीजों को जांच कराने की सलाह दी जा रही है। 80 से 100 मरीजों को जरूरत के हिसाब से भर्ती भी किया जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से डेंगू मरीजों की संख्या में कमी आई है।

शास्त्री अस्पताल : 153 बेड का अस्पताल, 121 का इलाज

रामनगर स्थित शास्त्री अस्पताल में 153 बेड है। यहां 121 लोग भर्ती हैं। सीएमएस डॉ. एसी दूबे ने बताया कि ओपीडी में करीब 800 नए मरीज आए जबकि 700 पुराने भी पहुंचे। गले में खरास और कफ की समस्या वाले मरीजों में बच्चे भी हैं। हालांकि बाल रोग विशेषज्ञ नहीं है, इस वजह से बच्चों को भर्ती नहीं किया जा रहा है।

ये बरतनी होंगी सावधानी

भोर में टहलने वाले लोग जरूरत के हिसाब से गर्म कपड़े पहनें।
मौसमी फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
रात में जरूरी होने पर ही पंखा चलाएं।
कूलर और एसी चलाकर न सोएं।
बिना चिकित्सकीय सलाह के दवा नहीं लेनी चाहिए।