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यूपी : गोरखनाथ मंदिर में सीएम योगी की मौजूदगी में सात दिवसीय शिवमहापुराण का हुआ शुभारंभ,,,।

यूपी : गोरखनाथ मंदिर में सीएम योगी की मौजूदगी में सात दिवसीय शिवमहापुराण का हुआ शुभारंभ,,,।


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एजेंसी डेस्क : (गोरखपुर,ब्यूरो)।गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में मूर्ती प्राण- प्रतिष्ठा के अवसर पर सोमवार को सात दिवसीय शिव महापुराण का कथा प्रारंभ हुई। इस अवसर पर सीएम योगी मौजूद रहे। 

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गोरखनाथ मंदिर में मूर्ति प्राण -प्रतिष्ठा के अवसर पर आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के प्रथम दिन कथा व्यास पंडित बालक दास ने व्यासपीठ से कहा कि शिव महापुराण की कथा श्रवण करना बड़े सौभाग्य की बात है उसमें भी यदि शिवाव तारी भगवान गोरखनाथ की तपो भूमि गोरखनाथ मंदिर में अवसर प्राप्त हो तो महान सौभाग्य की बात है। यह भूमि भगवान के रज से पवित्र होकर तीर्थ बना है। गोरक्षपीठ शिव भक्तों के लिए पवित्र तीर्थ है।


कथा व्यास ने कहा कि शिव सहस्त्रनाम का पाठ करने से मोक्ष का द्वार खुल जाता है । शिव का वास होने के कारण ही काशी मोक्ष नगरी बनी। काशी में प्राण त्याग होने से मोक्ष की प्राप्ति होती है । धरती पर ब्रह्मा जी की सृष्टि से इतर भोलेनाथ ने अपने त्रिशूल पर पांच कोष की काशी नगरी बसाई है, जहां वे नित्य निवास करते हैं। 

भगवान भोले शिव परम तत्व है, इसीलिए इनको महादेव कहा गया। उनका भजन करना और कथा श्रवण करना मुक्ति और भुक्ति दोनों का द्वार खोलता है, कहते हुए कथा व्यास में "जय भोले भंडारी शिव हर " भजन सुनाया जिससे भक्तगण झूम उठे।

कथा व्यास ने कहा कि शिव आशुतोष है , वो थोड़े से जल व विल्व पत्र से प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों को बिना सोचे अपार सुख प्रदान करते हैं । भगवान भोलेनाथ अपने शरीर पर जो भस्म लगाते हैं वह वैराग्य का प्रतीक होता है, उनके गले में जो सर्प की माला है वह भी वैराग्य का प्रतीक है, उनकी सवारी बूढ़ा बैल भी वैराग्य का प्रतीक है । वैराग्य ही जीवन सार है इसलिए भगवान भोलेनाथ जीवो को वैराग्य की शिक्षा अपने भेषभूषा व रहन-सहन से देते हैं। इसके लिए हमें बचपन से ही भजन में मन लगाना चाहिए तभी हमारा मन वैराग्य की तरफ जाता है।

कथा व्यास ने कहा कि भिक्षा मांगने से अहंकार नष्ट होता है इसीलिए भगवान शिव काशी में भिक्षा मांगते हैं। शिवजी को भिक्षा मांगता देखकर उनके ससुर अपने पुत्र मैनाक को रत्नों से भरी गाड़ियां लेकर शिव जी के पास भेजते है। यह देखकर भोले भगवान शिव ने पूरे काशी नगरी को मणियों और हीरो से सजा देते है। यह देखकर मैनाक शिव जी की महिमा को समझ जाता है और उनकी पूजा करने लगता है, तब शिव जी का नाम रत्नेश्वर महादेव पड़ा। आज भी काशी में इस नाम से शिव जी की पूजा होती है।

कथा व्यास ने "ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय। हर हर बोले नमः शिवाय ।।

मत करना अभिमान रे बंदे मत करना अभिमान रे, भोलेनाथ से निराला और कोई नहीं, संसार तो नदिया है सुख दुख तो किनारे हैं, डम डम डमरु बजईया रे सांप गले लटकईया रे , जहां शिवजी विचरण करते है उस भूमि को काशी कहते हैं , इत्यादि भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

आरती में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ महाराज, योगी कमलनाथ जी, वाराणसी से आए सतुआबाबा, कालीबाड़ी के महंत रविन्द्र दास जी, रामानुज त्रिपाठी वैदिक, महंत शिव नारायण दास, यजमान में डॉ. संजीव गुलाटी, विकास जालान, अरुण कुमार अग्रवाल, उमेश अग्रहरि, संतोष अग्रवाल, बैजनाथ जायसवाल तथा डॉ. प्रदीप राव, डॉ. अरविंद चतुर्वेदी, बृजेश मणि मिश्र, डॉ. प्रांगेश मिश्र, अश्वनी त्रिपाठी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।