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मां विंध्यवासिनी के कूष्मांडा स्वरूप का दर्शन पाकर भक्त हुए निहाल, विंध्याचल में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़,,रिपोर्ट::सूरज द्विवेदी,,,।

मां विंध्यवासिनी के कूष्मांडा स्वरूप का दर्शन पाकर भक्त हुए निहाल, विंध्याचल में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़,,रिपोर्ट::सूरज द्विवेदी,,,।



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एजेंसी डेस्क : (मिर्जापुर, ब्यूरो)। विंध्याचल,रिपोर्ट::: सूरज द्विवेदी। ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी भगवती मां विंध्यवासिनी के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना शनिवार को भक्तों ने विधि-विधान से किया। चैत्र नवरात्र के चौथे दिन भक्तों का हुजूम मां विंध्यवासिनी धाम के साथ-साथ मां अष्टभुजा व मां काली के दरबार में उमड़ पड़ा।

विंध्यधाम में मंगला आरती के बाद से दर्शन-पूजन का दौर शुरू हुआ, जो अनवरत चलता रहा।चैत्र नवरात्र के चौथे दिन विंध्यधाम में पिछले तीन दिनों के अपेक्षा अधिक भीड़ रही। 

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भक्त बड़े ही भक्ति-भाव से मां का दर्शन करते हुए जयकारा लगा रहे थे। भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। मां कूष्मांडा का विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर सभी ने मंगलकामना की।

कुष्मांडा देवी को हरी इलायची, सौंफ और कुम्हड़े का भोग लगाया गया। मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के बाद भक्तों ने मंदिर परिसर पर विराजमान समस्त देवी-देवताओं के चरणों में मत्था टेका। इसके बाद विंध्य पर्वत पर विराजमान मांअष्टभुजा व मां काली के दर्शन को निकल पड़े। यहां पहुंचने के बाद दर्शन-पूजन कर भक्तों ने त्रिकोण परिक्रमा भी की। नवरात्र के चौथे दिन मां विंध्यवासिनी धाम के साथ विंध्य पर्वत व त्रिकोण पथ गुलजार दिखा। 

देवी कूष्मांडा का ऐसा है अद्भुत स्वरूप ,,,,,,,

देवी कूष्मांडा का स्वरूप मंद-मंद मुस्कुराहट वाला है। कहा जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तो देवी भगवती के इसी स्वरूप ने मंद-मंद मुस्कुराते हुए सृष्टि की रचना की थी। इसीलिए ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा और आदिशक्ति हैं। देवी कूष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में माना गया है।वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल देवी के इसी स्वरूप में है।

मां के शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही है। देवी कूष्मांडा के इस दिन का रंग हरा है। मां के सात हाथों में कमंडल, धनुष,बाण,कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा है। वहीं आठवें हाथ में जपमाला है, जिसे सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली माना गया है। मां का वाहन सिंह है। 

समाचार लिखे जाने तक मां विंध्यवासिनी के कुष्मांडा स्वरूप का दर्शन करने के लिए अब तक एक लाख से ज्यादा लोगों ने  दर्शन कर लिया है, और अभी भी भारी भीड़ देखी जा रही है।