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ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग की पूजा पर वाराणसी कोर्ट का आज आएगा फैसला

ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग की पूजा पर वाराणसी कोर्ट का आज आएगा फैसला



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एजेंसी डेस्क : वाराणसी में एक फास्ट-ट्रैक अदालत आज शिवलिंग की पूजा करने की याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी. हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग पाए जाने का दावा किया है.सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट वादी द्वारा तीन मुख्य मांगों पर अपना फैसला सुनाएगा जिसमें स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की प्रार्थना तत्काल शुरू करने की अनुमति, पूरे ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को सौंपना और प्रतिबंध लगाना शामिल है.ज्ञानवापी परिसर के अंदर मुसलमानों का प्रवेश पर रोक लगाने की मांग भी इसमंे शामल है. ध्यान रहे कि मुस्लिम पक्ष को वर्तमान में नमाज अदा करने की अनुमति है.अक्टूबर में हुई पिछली सुनवाई के दौरान, वाराणसी की अदालत ने कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.

हिंदू पक्ष ने उस संरचना की कार्बन डेटिंग की मांग की थी, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया था कि वह ज्ञानवापी मस्जिद के वजुखाना के अंदर पाया गया एक शिवलिंग है.हालांकि मुस्लिम पक्ष ने कहा कि जो ढांचा मिला वह एक फव्वारा है. हिंदू पक्ष ने तब 22 सितंबर को वाराणसी जिला न्यायालय में एक आवेदन प्रस्तुत किया था जिसमें उन्होंने शिवलिंग होने का दावा करने वाली वस्तु की कार्बन डेटिंग की मांग की थी.

हिंदू पक्ष ने कहा कि वे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाए जाने का दावा करने वाले कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की अनुमति देने से इनकार करने वाले वाराणसी अदालत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.

हिंदू पक्ष ने 29 सितंबर की सुनवाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच और अर्घा और उसके आसपास के क्षेत्र की कार्बन डेटिंग की मांग की थी.वाराणसी की अदालत ने कहा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वेक्षण का आदेश देना उचित नहीं होगा. ऐसा आदेश देकर उक्त शिवलिंग की उम्र, प्रकृति और संरचना का पता चल जाता है.

ज्ञानवापी मामले में पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा, कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की हमारी मांग को खारिज कर दिया है. हम इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और वहां इसे चुनौती देंगे. मैं अभी तारीख की घोषणा नहीं कर सकता, लेकिन जल्द ही इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दूंगा.

हिंदू पक्ष के एक अन्य वकील मदन मोहन यादव ने कहा, हालांकि अदालत ने कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज कर दिया है, लेकिन उच्च न्यायालय जाने का विकल्प उपलब्ध है और हिंदू पक्ष उच्च न्यायालय के समक्ष भी अपनी बात रखेगा.

सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश का जिक्र करते हुए वाराणसी कोर्ट ने कहा था कि अगर सैंपल लेने से कथित शिवलिंग को नुकसान पहुंचता है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा.वाराणसी कोर्ट ने कहा, अगर शिवलिंग को नुकसान पहुंचता है तो आम जनता की धार्मिक भावनाएं भी आहत हो सकती हैं.

कार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो किसी पुरातात्विक वस्तु या पुरातात्विक खोजों की आयु का पता लगाती है.कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद-शृंगार गौरी मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा से जुड़े मामले को सिविल जज से वाराणसी के जिला जज को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था.मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अखलाक अहमद ने कहा है कि हिंदू पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ है जिसमें कहा गया है कि संरचना की रक्षा करना (जिसे मुस्लिम पक्ष एक फव्वारा होने का दावा करता है और हिंदू पक्ष दावा करता है शिवलिंग हो).

हमने कार्बन डेटिंग पर आवेदन का जवाब दिया. स्टोन में कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने 17 मई के आदेश में, जिसके अनुसार, आयोग को जो वस्तु मिली, उसे संरक्षित किया जाना था. सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्रबल होगा, इसलिए वस्तु को खोला नहीं जा सकता.

हिंदू पक्ष के अनुसार, प्रक्रिया वैज्ञानिक होगी. यदि ऐसा है, तो भी वस्तु के साथ छेड़छाड़ होगी. परीक्षण के लिए रसायनों का उपयोग किया जाएगा. हम इसके आधार पर कार्रवाई करेंगे.मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अन्य वकील तोहिद खान ने कहा, अदालत अपना फैसला सुनाएगी कि कार्बन डेटिंग की मांग करने वाला आवेदन स्वीकार्य है या नहीं,या इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए. यह संरचना एक फव्वारा है. शिवलिंग नहीं है. फव्वारे को अभी भी चालू किया जा सकता है.