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भारत जोड़ो यात्रा : राहुल गांधी की यात्रा से गरमाई मप्र, की राजनीति, दलों में तोड़-जोड़ ,,,,,।

भारत जोड़ो यात्रा : राहुल गांधी की यात्रा से गरमाई मप्र, की राजनीति, दलों में तोड़-जोड़ ,,,,,।


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एजेंसी डेस्क : (ब्यूरो), भोपाल विधानसभा चुनाव की आहट के बीच राहुल गांधी की यात्रा ने मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा दी है। बयानों, आरोप-प्रत्यारोप के बाद अब पार्टियों से पलायन और प्रवेश का दौर शुरू हो गया है।

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को मध्य प्रदेश में अभी चार दिन ही हुए हैं, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी जंग तेज हो गई है। कांग्रेस और खासतौर से पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के सबसे भरोसेमंद कहे जाने वाले उनके मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा को भाजपा में शामिल कर पार्टी ने संदेश दे दिया कि आने वाले दिनों में भी कांग्रेस को कमजोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। 

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अब भाजपा की नजर कांग्रेस के उन विधायकों पर है, जिन्हें पार्टी ने अपने सर्वे में कमजोर बताया है। भाजपा ऐसे विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर कांग्रेस को तगड़ा झटका देना चाहती है। इसके साथ ही भाजपा उन विधायकों पर भी फोकस कर रही है, जिन्होंने राष्ट्रपति के चुनाव में कांग्रेस में रहते हुए भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में क्रास वोटिंग की थी।

इधर, कांग्रेस की नजर भाजपा के उन उम्रदराज नेताओं पर है, जिन्हें अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में दावेदारी को लेकर शंका है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को मौका मिलने से भाजपा में करीब ढाई दर्जन नेताओं का भविष्य संकट में दिखाई पड़ रहा है। इनमें कई उम्रदराज नेताओं ने अगली पीढ़ी के लिए टिकट की मांग भी की, जिसे पार्टी ने फिलहाल अनसुनी कर रखी है। 

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कांग्रेस की नजर ऐसे नेताओं पर है। गौरीशंकर बिसेन, कुसुम मेहदेले, दीपक जोशी, गौरीशंकर शेजवार सहित ऐसे अन्य नेताओं से कांग्रेस संपर्क कर सकती है। उम्र सीमा तय करने के फेर में भाजपा ने 2018 में बाबूलाल गौर को टिकट देने में देरी की और अंतत: उनकी पुत्रवधू कृष्णा गौर को टिकट देना पड़ा था, वहीं सरताज सिंह को टिकट नहीं मिला, तो कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया था। भाजपा के असंतुष्ट नेताओं पर दांव लगाने में कांग्रेस सफल हो जाती है, तो मिशन 2023 के लिए भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। संकेत मिल रहे हैं कि राहुल गांधी की यात्रा के दौरान ही मध्य प्रदेश में ऐसे पलायन और पार्टियों में प्रवेश के मामले बढ़ेंगे।

गौरतलब है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक 28 विधायक कांग्रेस छोड़ चुके हैं। वर्ष 2018 में कांग्रेस के 114 विधायक जीते थे और कमल नाथ मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन कांग्रेस के 22 विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ी तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस अल्पमत में आ गई थी। इसके बाद ही मप्र में भाजपा की सरकार बन पाई थी।