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2 अक्टूबर गांधी जयंती विशेष: महात्मा गांधी के तीन चर्चित किस्से , विशेष लेख पढ़े

2 अक्टूबर गांधी जयंती विशेष: महात्मा गांधी के तीन चर्चित किस्से , विशेष लेख पढ़े


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विशेष लेख (एके केसरी)
आज (2 अक्टूबर) को महात्मा गांधी की जयंती है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। गांधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई थी। गांधी जी कहा करते थे, 'हमें इस तरह जीना चाहिए, जैसे हम कल ही मरने वाले हैं। हमें इस तरह सीखना चाहिए, जैसे हम वर्षों जीवित रहने वाले हैं।' गांधी जी के कई ऐसे किस्से हैं, जिनसे हम जीवन प्रबंधन के सूत्र सीख सकते हैं। यहां पढ़िए महात्मा गांधी के 3 चर्चित किस्से...

किस्सा 1- शरीर और समय सबसे कीमती है

दांडी यात्रा के समय की घटना है। एक जगह गांधी जी आराम करने के लिए थोड़ी देर रुके और फिर चल दिए। उस समय अमेरिका एक पत्रकार वॉकर भी यात्रा में आया हुआ था।गांधी जी चल रहे थे, वॉकर ने उनके साथ चलते हुए कहा, 'मेरा नाम वॉकर है और मैं अमेरिकी अखबार का पत्रकार हूं।'


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वॉकर सोच रहा था कि गांधी जी रुककर उससे बात करेंगे, लेकिन गांधी जी ने चलते-चलते ही कहा, 'इस समय मैं भी वॉकर हूं, आप मेरे साथ चलें, हम चलते-चलते बात कर लेंगे।'

ये सुनकर वॉकर वहीं रुक गया, क्योंकि वह गांधी जी की गति के साथ चल नहीं पा रहा था। गांधी जी वहां आगे बढ़ गए।

उस समय गांधी जी से एक व्यक्ति ने कहा, 'वॉकर बड़ा पत्रकार है, उससे बात करते तो दांडी यात्रा का प्रचार हो जाता।’

गांधी जी ने उस व्यक्ति से कहा, ‘मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण समय है। वह पत्रकार ऐसे समय आया है, जब मेरे पास समय ही नहीं है। मैं प्रचार के लिए रुक नहीं सकता।'

गांधी जी ने सभी साथियों को समझाते हुए कहा, ‘हमारा शरीर और समय, ये दोनों सबसे कीमती हैं। शरीर को स्वस्थ रखें और समय का सही उपयोग करें।'

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किस्सा 2 - दूसरों की कमजोरी का लाभ न उठाएं

महात्मा गांधी बैडमिंटन बहुत कम खेलते थे, एक दिन एक महिला ने उनसे कहा, 'मुझे बैडमिंटन खेलना आता है और आप भी थोड़ा बहुत खेल लेते हैं, मैं आपको ये खेल और सिखा दूंगी।'

गांधी जी उस महिला के साथ बैडमिंटन खेलने के लिए तैयार हो गए। खेलते समय गांधी जी ने देखा कि उस महिला के दाएं हाथ में चोट लगी है और उस पट्टी बंधी है। इस वजह से उसने बाएं हाथ में रैकेट पकड़कर खेल रही है।

गांधी जी ने भी बाएं हाथ में रैकेट लेकर खेलना शुरू कर दिया। ये देखकर उस महिला ने कहा, 'मेरे सीधे में तो चोट लगी है, इस कारण मैं उल्टे हाथ से खेल रही हूं। लेकिन, आप क्यों बाएं हाथ से खेलने लगे?'

गांधी जी बोले, 'अभी तुम सीधे हाथ से नहीं खेल पा रही हो, मैं इस बात का फायदा उठाना नहीं चाहता। अगर मैं सीधे हाथ से खेलूंगा तो संभव है कि मैं जीत जाऊं, खेल में जीत-हार अपनी जगह है, लेकिन जब किसी से मुकाबला हो तो समानता के साथ करना चाहिए। किसी कमजोरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए।'

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किस्सा 3 - खाली समय में ऐसे काम करें, जो भविष्य में काम आएं

महात्मा गांधी एक गांव में पहुंचे। गांव वालों ने गांधी जी कहा, 'अभी हमारे पास बहुत समय है। फसलें कट चुकी हैं, इस कारण सभी फूर्सत में हैं।'

गांधी जी ने कहा, 'अगर समय है तो इस समय कुछ ऐसे बीज बोएं, जिसकी फसल अलग ढंग से उगे। इस समय कर्म के बीज बोएं।'

गांव वालों ने पूछा, 'कर्म के बीज कैसे होते हैं?'

गांधी जी ने जवाब देते हुए कहा, 'कर्म के बीज से आदत, चरित्र, भाग्य और सेवा जैसे फल उगते हैं। कर्म के बीज बोएंगे तो आप लोगों की आत्मा तृप्ति होगी। ऐसे काम करें, जिनसे भविष्य में लोगों का कुछ भला हो। खाली का समय का सही उपयोग करेंगे तो जब हम व्यस्त होंगे, उस समय ये काम हमारा जीवन आसान बना सकते हैं।