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Teachers Day Special: भारत के ऐसे टीचर जिनका दुनियां में बजता है डंका, आज भी मिलती है सीख

Teachers Day Special: भारत के ऐसे टीचर जिनका दुनियां में बजता है डंका, आज भी मिलती है सीख


करियर डेस्क: आज भारत में शिक्षक दिवस (Shikshak Divas 2022) मनाया जा रहा है। महान शिक्षकों को याद किया जा रहा है और नई पीढ़ी को उनकी बातें सिखाई जा रही हैं। महान शिक्षाविद, दर्शनशास्त्री और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्‍ली राधाकृष्णन (Sarvapalli Radhakrishnan) के जन्मदिन पर हर साल यह दिन सेलिब्रेट किया जाता है।

इस दिन शिक्षकों का सम्मान किया जाता है। उनका आभार जताने कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं। शिक्षक दिवस के अवसर पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के उन 5 महान शिक्षकों के बारें में जिन्होंने न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि दुनिया में भी अपना डंका बजाया। आज भी उनकी बातें बेहतर जीवन का निर्माण कर रही हैं। जानें ऐसे ही शिक्षकों के बारें में..


भारत के मिसाइल मैन को कौन नहीं जानता। युवा पीढी की सबसे बड़े आइडिया माने जाते हैं पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam)... देश के 11वें राष्ट्रपति डॉ कलाम का शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान है। वे कहते थे कि डिग्री की बजाय बच्चों को पर्सनल स्किल बढ़ानी चाहिए, जिससे उनका करियर और लाइफ अच्छी बन सके. कलाम आईआईएम शिलॉन्ग, अहमदाबाद और इंदौर के गेस्ट लेक्चरर थे। कई यूनिवर्सिटीज में जाकर वे पढ़ाया करते थे। बच्चे उनके काफी करीब थे। उनका नॉलेज आज भी दुनिया को काफी सीख दे रहा है। डॉ कलाम ने साइंस, आध्यात्मिकता और मोटीवेशन पर कई किताबें भी लिखीं, जो प्रेरणास्त्रोत हैं।



डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन की जयंती पर राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वे देश के पहले उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्‍ट्रपति थे। एक बेहतरीन शिक्षक के तौर पर छात्र उन्हें काफी पसंद किया करते थे। उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान को काफी महत्व दिया और बच्चों को जीवन में आगे बढ़ने की ऐसी शिक्षा देते थे जो आज भी दुनिया के लिए पहल करने योग्य है। उनकी विद्वता, प्रजेंस ऑफ माइंड की आज भी दुनिया कायल है।



एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्थापक पंडत मदन मोहन मालवीय ( Madan Mohan Malaviya) का शिक्षा के क्षेत्र में काफी और अहम योगदान है। वे एक शिक्षाविद् थे। वे करीब दो दशकों तक बीएचयू के चांसलर रहे। इस यूनिवर्सिटी में विज्ञान, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, कानून, कृषि, कला और प्रदर्शन कला जैसे कई कोर्स संचालित होते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उनके काम आज भी लोगों को प्रेरणा देते हैं।



रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore), जिन्हें प्यार से लोग गुरुदेव कहकर बुलाते थे। उन्होंने लाइफ के कई लेसन सिखाए। अंग्रेजी हुकूमत के दौर में उन्होंने पारंपरिक गुरुकुल शिक्षण कॉन्‍सेप्‍ट को मॉडर्न तरीके से खोजा और शांति निकेतन और विश्‍व भारती की नींव रखी। उन्होंने काफी जगह से ज्ञान प्राप्त किया और देश-दुनिया को काफी कुछ सिखाया। उनकी शिक्षा पद्दति आज भी देश-विदेश में अपनाई जाती है।

 

19वीं सदी जब महिलाओं के अधिकार की कोई बात नहीं होती थी, तब उस वक्त उनके अधिकारों के लिए और अशिक्षा, छुआछूत, सतीप्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाली सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं। उनका जन्म महाराष्‍ट्र में हुआ था। उस जमाने में जब लड़कियों के लिए पढ़ना-लिखना ठीक नहीं माना जाता था, तब एक दो नहीं बल्कि लड़कियों के लिए 18 स्‍कूल खोले। दुनिया उनको आज भी फॉलो करती है। आज भी उनके पाठ जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।