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नई दिल्ली : : RSS प्रमुख से मुलाकात के बाद चीफ इमाम इलियासी बोले- 'राष्ट्र-पिता' और 'राष्ट्र-ऋषि' हैं मोहन भागवत

नई दिल्ली : : RSS प्रमुख से मुलाकात के बाद चीफ इमाम इलियासी बोले- 'राष्ट्र-पिता' और 'राष्ट्र-ऋषि' हैं मोहन भागवत



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एजेंसी डेस्क
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को दिल्ली में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के मुख्य इमाम डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाकात की।हाल ही में उन्होंने मुस्लिम समुदाय के कुछ अन्य सिविल सोसाइटी के शीर्ष लोगों से मुलाकात की थी। आरएसएस ने इसे समाज के विभिन्न वर्गों से होने वाली उसकी रूटीन मुलाकात का हिस्सा बताया है, लेकिन देश में चल रही परिस्थितियों के बीच भागवत की इस मुलाकात को बेहद महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। 

लेकिन भारत की दृष्टि से अब तक यह सुखद रहा है कि देश के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने चरमपंथियों की न केवल आलोचना की है, बल्कि उनका साथ देने से पूरी तरह इनकार कर दिया है। लोगों की इस सोच का ही असर हुआ है कि भारत में चरमपंथ सफल नहीं हो पाया। मुस्लिम युवा चरमपंथियों की हरकतों में शामिल होने से दूर रहा है।

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अब यह स्पष्ट हो चुका है कि इन प्रदर्शनों को आयोजित कराने में चरमपंथी संगठन पीएफआई ने बडे स्तर पर भूमिका निभाई। मुसलमान समुदाय के बीच पीएफआई को मिली यह सफलता संघ को चिंतित करने वाली है। संघ की चिंता है कि इससे भारतीय मुसलमानों के बीच भी चरमपंथ की जड़े गहरा सकती हैं जिससे देश के आंतरिक हालात खराब हो सकते हैं। 

इस तरह के संगठन अपने वैचारिक विस्तार के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर हमला करते हैं, और उसके कुछ कार्यों को एंटी-इस्लामिक करार देते हैं। संघ मानता है कि यदि उसने समय रहते इन गलतफहमियों को दूर नहीं किया तो चरमपंथियों को अपने उद्देश्य में सफलता मिल सकती है। यही कारण है कि संघ अपने स्तर पर सक्रिय होकर इस तरह की गतिविधियों पर विराम लगाना चाहता है। 

संघ मानता है कि किसी देश-समाज की सांस्कृतिक जड़ें धार्मिक जड़ों से ज्यादा गहरी होती हैं। यदि मुस्लिम समुदाय को उनकी पुरानी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ा जाए तो हिंदू-मुसलमान दोनों समुदायों में बेहतर संबंध बनाए जा सकते हैं और मुसलमानों की धार्मिक मान्यताओं को साथ रखते हुए भी दोनों की पहचान में एकता स्थापित की जा सकती है। यही कारण है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत हिंदू-मुसलमानों दोनों का डीएनए एक बताते हैं, उन्हें भी इस देश का असली वंशज बताते हैं। दोनों समुदायों में एकता स्थापित करने के लिए ही वे हर मस्जिद में शिवलिंग खोजने से बचने की बात करते हैं।

प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है कि संघ का सर्वोच्च पदाधिकारी मुसलमानों के पास पहुंचा हो। इसके पहले बाला साहेब देवरस ने दिल्ली स्थित जामिअत-उलेमा-ए-हिंद के कार्यालय जाकर उनके नेताओं से मुलाकात की थी। इसी प्रकार सुदर्शन ने भी लखनऊ में कुछ मुसलमानों के घर जाकर उनसे मुलाकात की थी। अपने कठोर विचारों के लिए प्रसिद्ध गुरू गोलवलकर ने भी मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की थी। 

संघ प्रमुख नेताओं की मुस्लिम नेताओं से होने वाली इन मुलाकातों का सबसे बड़ा उद्देश्य यही रहा है कि मुसलमानों के मन में संघ को लेकर कोई गलतफहमी न पैदा हो और उन्हें भारतीय सांस्कृतिक विविधता के साथ जोड़ा जा सके। आज मोहन भागवत भी संघ की उसी परंपरा को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।