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Queen Elizabeth II ने संभालकर रखा था बापू का रूमाल, PM मोदी ने बताई कहानी

Queen Elizabeth II ने संभालकर रखा था बापू का रूमाल, PM मोदी ने बताई कहानी

 

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ का 96 साल की उम्र में निधन हो गया है. वह पिछले कुछ वक्त से बीमार थी जिसके बाद गुरुवार दोपहर को उनका निधन हो गया. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय स्टॉकलैंड के बाल्मोरल में थी.यहीं पर उनका निधन हुआ.अब शाही परिवार भी स्काटलैंड पहुंच गया है. उनके निधन पर शाही परिवार के ट्विटर से ट्वीट कर बताया गया कि महारानी का आज दोपहर बाल्मोरल में शांतिपूर्वक निधन हो गया. द किंग एंड द क्वीन कंसोर्ट आज शाम बाल्मोरल में रहेंगे और कल लंदन लौटेंगे.

महारानी की निधन की खबर से ब्रिटेन के साथ-साथ पूरी दुनिया को बड़ा झटका लगा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट किया, महामहिम महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को हमारे समय की एक दिग्गज के रूप में याद किया जाएगा. उन्होंने अपने राष्ट्र और लोगों को प्रेरक नेतृत्व प्रदान किया. उन्होंने सार्वजनिक जीवन में गरिमा और शालीनता का परिचय दिया. उनके निधन से आहत हूं.इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और ब्रिटेन के लोगों के साथ हैं.

उन्होंने आगे कहा, 2015 और 2018 में यूके की अपनी यात्राओं के दौरान मेरी महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के साथ यादगार मुलाकातें हुईं. मैं उनकी गर्मजोशी और दयालुता को कभी नहीं भूलूंगा. एक बैठक के दौरान उन्होंने मुझे वह रूमाल दिखाया जो महात्मा गांधी ने उन्हें शादी में उपहार में दिया था.


वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर दुख जताया.उन्होंने कहा कि महारानी ने पूरी प्रतिबद्धता और गरिमा के साथ अपने देश की सेवा की. राहुल ने ट्वीट किया, महारानी के निधन पर ब्रिटेन की जनता और राज परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं. उन्होंने लंबे समय तक पदासीन रहने के दौरान पूरी प्रतिबद्धता और गरिमा के साथ अपने देश की सेवा की.”

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने भी महारानी के निधन पर शोक जताया. उन्होंने कहा कि, महारानी के निधन से ब्रिटेन शोक में डूब गया है; महारानी वह चट्टान थीं, जिस पर आधुनिक ब्रिटेन का निर्माण हुआ था.

एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन पर सबसे लंबे समय तक राज करने वाली शाही हस्ती हैं.वह 70 साल शासन के शीर्ष पर रहीं.महारानी 1952 में गद्दी पर बैठी थीं और वह अभूतपूर्व सामाजिक परिवर्तन की गवाह रहीं. उनके निधन के बाद उनके सबसे बड़े बेटे और उत्तराधिकारी चार्ल्स 14 राष्ट्रमंडल क्षेत्रों के प्रमुख के रूप में उनके अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे. डॉक्टरों द्वारा महारानी को चिकित्सकीय देखरेख में रखने के बाद चार्ल्स और महारानी के करीबी परिवार के सदस्य एबरडीन के पास बालमोरल पहुंचे.