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विशेष लेख - पंचायती राज ही राष्ट्र निर्माण का आधार

विशेष लेख - पंचायती राज ही राष्ट्र निर्माण का आधार



 भारत में  विकेन्द्रीकरण वह प्रक्रिया है जिसके जरिए केंद्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर शासन संस्थाओं के बीच सत्ता का वर्गीकरण किया जाता है, जिसमें अधिकारों और कर्तव्यों का हस्तांतरण न्यूनतम संस्थागत या सामाजिक स्तर तक किया जाता है. यह एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है जिसके माध्यम से लोकतंत्र वास्तव में प्रतिनिधि और यर्थाथ रूप धारण करता है. विकेंद्रीकरण सुनिश्चित करता है कि जमीनी स्तर पर लोग निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लें.स्थानीय अधिकारियों को सत्ता का विकेंद्रीकरण लोगों को सशक्त बनाने का सबसे कारगर तरीका है. यह न केवल दक्षता बढ़ाने में मदद करता है बल्कि समान विकास को बढ़ावा देने का एक निश्चित तरीका है. भारत में, पंचायती राज व्यवस्था को विकेन्द्रीकरण के प्रमुख साधन के रूप में समझा जाता है जिसके माध्यम से लोकतंत्र वास्तव में प्रतिनिधित्वपूर्ण और उत्तरदायी बनता है. पंचायती राज संस्थाएं स्थानीय स्वशासन समझी जाती हैं जिनका उद्देश्य बुनियादी ढांचागत सुविधाएं प्रदान करना, समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना और देश के ग्रामीण हिस्सों में विकास प्रक्रिया शुरू करना है.

 

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस क्या है?


24 अप्रैल, 1993 से लागू संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया था. इस प्रकार यह तारीख जमीनी स्तर पर राजनीतिक सत्ता के विकेन्द्रीकरण के इतिहास में एक निर्णायक क्षण है. ग्रामीण भारत में 73वें संशोधन का प्रभाव बहुत दिखाई दे रहा है क्योंकि इसने सत्ता समीकरणों को अपरिवर्तनीय रूप से बदल दिया है. तदनुसार, भारत सरकार ने 2010 में राज्यों के परामर्श से 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. इस स्मरणोत्सव का संचालन और आयोजन पंचायती राज मंत्रालय द्वारा किया जाता है.इस अवसर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली पंचायतों को पुरस्कार दिए जाते हैं. ये हैं, दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार (डीडीयूपीएसपी) सामान्य और विषयगत श्रेणियों में पंचायतों के सभी तीन स्तरों के लिए, नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार (एनडीआरजीजीएसपी), ग्राम सभा के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए, देशभर में तीन सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली ग्राम पंचायतों को दिया जाने वाला ग्राम पंचायत विकास योजना ( जीपीडीपी) पुरस्कार, और बाल हितैषी ग्राम पंचायत पुरस्कार.जब से 73वां संशोधन लागू हुआ है, पंचायतों के राजनीतिक सशक्तिकरण की प्रक्रिया काफी हद तक हासिल की जा चुकी है. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पंचायत चुनाव नियमित रूप से होते रहे हैं और महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों को प्रत्येक पंचायत क्षेत्र में आबादी के उनके हिस्से के अनुपात में आरक्षण प्रदान किया गया है. पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने कई अन्य महत्वपूर्ण पहल की हैं.

 

स्वामित्व (गांवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के जरिए मानचित्रण) कार्यक्रम माननीय प्रधान मंत्री ने 2020 में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर शुरू किया था. इसके अंतर्गत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 'संपत्ति का मालिकाना विलेख’ प्रदान करके ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति को प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया गया था. इस योजना का उद्देश्य नवीनतम सर्वेक्षण पद्धति, ड्रोन-प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी वाली भूमि का सीमांकन करना है. यह पंचायती राज मंत्रालय, राज्यों के राजस्व विभागों, राज्य पंचायती राज विभागों और भारतीय सर्वेक्षण विभाग का संयुक्त प्रयास है. इस योजना में विविध पहलुओं को शामिल किया गया है. संपत्तियों के मुद्रीकरण की सुविधा और उन पर बैंक ऋण संभव बनाना, संपत्ति से संबंधित विवादों का समाधान, और व्यापक ग्राम स्तर की योजना बनाना जो सही मायने में ग्राम स्वराज का लक्ष्य प्राप्त करने और ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.इसके अंतर्गत ग्रामीण संपत्तियों के अलग-अलग सीमांकन के अलावा, ग्राम पंचायतों और अन्य सामुदायिक संपत्तियों जैसे गांव की सड़कें, तालाब, नहरें, खुले स्थान, स्कूल, आंगनवाड़ी, स्वास्थ्य उप-केंद्र आदि का भी सर्वेक्षण किया जाता है और जीआईएस मानचित्र बनाए जा रहे हैं. इसके अलावा, ये जीआईएस मानचित्र और स्थानिक डेटाबेस ग्राम पंचायतों और राज्य सरकार के अन्य विभागों द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों के लिए सटीक कार्य अनुमान तैयार करने में भी मदद करेंगे. इनका उपयोग बेहतर गुणवत्ता वाली ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) तैयार करने के लिए भी किया जा सकता है.

 

         i. सतत संचालन संदर्भ प्रणाली की स्थापना: यह संदर्भ केन्द्रों का एक नेटवर्क है जो वर्चुअल बेस स्टेशन प्रदान करता है जो वास्तविक समय में सेंटीमीटर-स्तरीय क्षैतिज स्थिति के साथ लंबी दूरी के उच्च-सटीकता नेटवर्क आरटीके सुधारों तक पहुंच की अनुमति देता है. सीओआरएस नेटवर्क सटीक भू-संदर्भ, जमीनी सच्चाई और भूमि के सीमांकन में मदद करता है.

       ii. ड्रोन का उपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर मानचित्रण: ड्रोन सर्वेक्षण का उपयोग करके भारतीय सर्वेक्षण द्वारा ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्र का मानचित्रण किया जाएगा. इससे स्वामित्व संपत्ति अधिकार प्रदान करने के लिए उच्च रिज़ॉल्यूशन वाले और सटीक मानचित्र तैयार किए जाते हैं. इन नक्शों या आंकड़ों के आधार पर ग्रामीण परिवारों को संपत्ति कार्ड जारी किए जा रहे हैं.

      iii. सर्वेक्षण पद्धति और इसके लाभों के बारे में ग्रामीण आबादी को जानकारी देने के लिए जागरूकता कार्यक्रम

iv . राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कार्यक्रम प्रबंधन इकाई की स्थापना.

V. स्थानीय स्तर पर योजना बनाने में सहायता के लिए स्कीम के डैशबोर्ड का विकास/रखरखाव और ड्रोन सर्वेक्षण स्थायनीय डेटा/मानचित्रों का मंत्रालय के स्थानीय नियोजन एप्लीकेशन के साथ एकीकरण.

Vi. सर्वोत्तम प्रथाओं का दस्तावेजीकरण/ राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कार्यशालाओं का आयोजन. योजना का उद्देश्य प्रत्येक परिवार को संपत्ति का अधिकार प्रदान करना है. यह संपत्ति के मालिकों द्वारा वित्तीय संस्थानों से ऋण के लिए आवेदन करने के रास्ते खोलता है. इससे संपत्ति से संबंधित विवादों को कम करने में मदद मिलेगी. स्पष्ट मालिकाना हक, सटीक आकार निर्धारण और पारदर्शी भूमि अधिकार विलेख के साथ, स्वामित्व राज्यों को संपत्ति कर लगाने और एकत्र करने के लिए ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने का एक अभूतपूर्व अवसर प्रदान करेगा, जो स्थानीय उपयोग / विकास कार्यों के लिए पंचायत को उपलब्ध होगा. इससे ग्राम पंचायतों को आर्थिक मदद मिलेगी. यह योजना पंचायतों के सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल को भी बढ़ाएगी, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकेंगी.

 

पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) में ई-गवर्नेंस को सुदृढ़ बनाने के लिए, 24 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर पंचायती राज के लिए एक सरलीकृत कार्य आधारित लेखा अनुप्रयोग-ई-ग्राम स्वराज ऐप शुरू किया

गया था.ई-ग्राम स्वराज पंचायती राज संस्थाओं को अधिक से अधिक धनराशि के हस्तांतरण के माध्यम से पंचायत की विश्वसनीयता बढ़ाने में सहायता करेगा. इसका उद्देश्य विकेंद्रीकृत योजना, प्रगति रिपोर्टिंग और कार्य-आधारित लेखांकन के माध्यम से बेहतर पारदर्शिता लाना है. इसके अलावा, एप्लिकेशन उच्च अधिकारियों द्वारा प्रभावी निगरानी किए जाने के लिए एक मंच प्रदान करता है. इसे ई-पंचायत मिशन मोड परियोजना (एमएमपी) के तहत सभी अनुप्रयोगों की कार्यक्षमता को मिलाकर विकसित किया गया है. ई-ग्रामस्वराज ई-एफएमएस अनुप्रयोगों को सम्मिलित करता है और इसमें निम्नलिखित मॉड्यूल शामिल हैं:

 

· ग्राम पंचायत प्रोफाइल : चुनाव संबंधी ब्यूरो, निर्वाचित सदस्यों और समिति संबंधी जानकारी आदि के साथ पंचायत प्रोफाइल का रखरखाव.

· पंचायत आयोजना: गतिविधियों की आयोजना और कार्य योजना निर्माण की सुविधा प्रदान करना.

· भौतिक प्रगति: अनुमोदित गतिविधियों की भौतिक और वित्तीय प्रगति का रिकॉर्ड तैयार करना.

· वित्तीय प्रगति: कार्य-आधारित लेखांकन और निधियों पर निगरानी की सुविधा प्रदान करना.

· परिसंपत्ति निर्देशिका : पंचायतों की सभी अचल और चल संपत्तियों का विवरण संगृहीत करना.

· मुक्त स्रोत प्रौद्योगिकियों पर आधारित सशक्त प्रमाणीकरण तंत्र भी शामिल है.

पारदर्शिता बढ़ाने और पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए मंत्रालय ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के लाभार्थी संबंधी ब्यौरों को ई-ग्राम स्वराज एप्लिकेशन के साथ एकीकृत किया है. इससे जानकारी ग्राम सभाओं के दौरान पढ़ने के लिए उपलब्ध होगी ताकि ग्राम पंचायतों द्वारा उसका सार्वजनिक सत्यापन किया जा सके. यह सत्यापन डिजिटलीकरण और जनभागीदारी के माध्यम से जवाबदेही सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होगा. इसके अलावा, मंत्रालय ने पीएफएमएस एकीकरण के माध्यम से ई-ग्रामस्वराज, पीएफएमएस और कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) के बीच डेटा साझाकरण की व्यवस्था की है. एप्लीकेशन में मैन्युअल रूप से रसीद वाउचर बुक करने की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए संबंधित राज्य कोषागार और ई-ग्राम स्वराज इंटरफेस (ईजीएसपीआई) के साथ रिवर्स इंटीग्रेशन की प्रक्रिया की परिकल्पना की गई है.

 

ग्रामीण प्रौद्योगिकी प्रगति - स्मार्ट वेंडिंग कार्ट

ग्रामीण विकास के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की दिशा में अपने प्रयासों के तहत पंचायती राज्य मंत्रालय ने भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और छह आईआईटी संस्थानों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में विक्रेताओं द्वारा उपयोग की जाने वाली स्मार्ट वेंडिंग कार्ट विकसित करने में सहयोग किया है. आईआईटी बॉम्बे द्वारा डिजाइन की गई स्मार्ट वेंडिंग ई-कार्ट का प्रदर्शन किया गया है और इसे ग्रामीण, अर्ध-शहरी और कृषि क्षेत्रों में विक्रेताओं/छोटे व्यापारियों द्वारा उपयोग के लिए काफी उपयुक्त पाया गया है.

 

स्मार्ट वेंडिंग ई-कार्ट में बहुआयामी उपयोगकर्ता-अनुकूल प्रौद्योगिकियां और विशेषताएं हैं जो खराब होने वाले खाद्य पदार्थों/सब्जियों और फलों आदि वस्तुओं के शेल्फ जीवन को बढ़ाने के लिए उचित भंडारण और तापमान प्रदान करती हैं. इसमें मॉड्यूलरिटी, एर्गोनॉमिक्स, फोल्डेबिलिटी, ग्राहक आकर्षण, सौर ऊर्जा एलईडी लाइटिंग, मिस्ट कूलिंग, भारोत्तोलन मशीन, मोबाइल चार्जिंग, रेडियो, बैठने की सुविधा, पानी, कैश बॉक्स, कचरा निपटान बिन, सैनिटाइज़र, डिजिटल भुगतान आदि के लिए उन्नत सुविधाएं हैं. आईआईटी बॉम्बे पीपीपी मॉडल के जरिए स्मार्ट वेंडिंग कार्ट के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए फैब्रिकेटर के साथ सहयोग कर रहा है. इस स्मार्ट वेंडिंग कार्ट को खराब होने वाले खाद्य पदार्थों की बर्बादी के कारण विक्रेताओं को होने वाले नुकसान को कम करने, ताजा और अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुओं से उनकी आय बढ़ाने, नए विक्रेताओं को लाभकारी रोज़गार देने, उन्हें वेंडिंग और गाड़ी की गतिशीलता के साथ-साथ आराम और सुविधा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि वे वर्षभर अपने आस-पास के लोगों को सस्ती कीमत पर ताजा सब्जी और फल आदि उपलब्ध करा सके. उत्पाद को विभिन्न प्रकारों में भी विकसित किया गया है, अर्थात् रेट्रोफिट, मैनुअल और स्मार्ट 'ई संस्करण’ प्रौद्योगिकी अनुकूलन के ऐसे उपक्रमों को बढ़ावा देने के पंचायती राज मंत्रालय के प्रयासों से ग्रामीण उद्यमिता के विकास के साथ-साथ ग्रामीण नागरिकों के लिए बुनियादी सेवाओं के प्रभावी और कुशल प्रावधान को बढ़ावा मिलेगा.

 

सशक्त ग्राम सभा 

संविधान के अनुच्छेद 243 में ग्राम सभा को गांव से संबंधित मतदाता सूची में पंजीकृत व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है. संविधान में ग्राम सभाओं की परिकल्पना ग्रामीण नागरिकों के स्व-शासन में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए एक अनूठी संस्था के रूप में की गई है, जो जमीनी स्तर के लोकतांत्रिक मंच और पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के विभिन्न विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए प्राधिकरण है. पंचायती राज मंत्रालय ने ग्राम सभाओं को जीवंत बनाने के प्रयास शुरू किए हैं. इनमें ग्राम सभाओं को जीवंत बनाना शामिल है, ताकि ग्रामीण स्थानीय स्व-शासन को मजबूत करने के प्रयास में एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण अपनाते हुए विकास योजनाओं के गहन कार्यान्वयन के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढावा दिया जा सके.

 

वाइब्रेंट ग्राम सभा पोर्टल एक एकीकृत वास्तविक समय ऑनलाइन निगरानी प्रणाली है, जिसमें जीपी/ग्राम स्तर पर प्रमुख फोकस क्षेत्रों के सभी प्रमुख प्रदर्शन मानकों को ट्रैक किया जाता है और सार्वजनिक डोमेन में प्रदर्शित किया जाता है. यह पूरी तरह से स्वचालित ऑनलाइन वर्कफ़्लो को कॉन्फ़िगर करने योग्य ग्राम सभा प्रबंधन प्रणाली की सुविधा प्रदान करता है, जो पेपर-आधारित मैनुअल प्रक्रिया का स्थान लेता है. 'वाइब्रेंट ग्राम सभा’ पोर्टल का प्राथमिक उद्देश्य ग्राम सभा की बैठकों को अधिक सहभागी, पारदर्शी और जीवंत बनाना है.