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पीएम मोदी का बड़ा ऐलान- शहीद भगत के नाम पर होगा चंडीगढ़ एयरपोर्ट, पढ़िए 'मन की बात' हूबहू

पीएम मोदी का बड़ा ऐलान- शहीद भगत के नाम पर होगा चंडीगढ़ एयरपोर्ट, पढ़िए 'मन की बात' हूबहू

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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने अहम ऐलान करते हुए कहा कि 28 सितंबर को भगत सिंह की जयंती के मौके पर चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम बदला जाएगा।



पीएम मोदी ने पिछले दिनों भारत में आए चीतों के जिक्र से शुरुआत की और कहा कि MyGov पर उनके नाम सुझाए जा सकते हैं। पीएम मोदी ने 'मन की बात' में क्या कहा, उसे आप हूबहू यहां पढ़ सकते हैं- 




130 करोड़ भारतवासी खुश हैं, गर्व से भरे हैं - यह है भारत का प्रकृति प्रेम। इस बारे में लोगों का एक common सवाल यही है कि मोदी जी हमें चीतों को देखने का अवसर कब मिलेगा ?


साथियो, एक task force बनी है। यह task force चीतों की monitoring करेगी और ये देखेगी कि यहाँ के माहौल में वो कितने घुल-मिल पाए हैं। इसी आधार पर कुछ महीने बाद कोई निर्णय लिया जाएगा, और तब आप, चीतों को देख पायेंगे। लेकिन तब तक मैं आप सबको कुछ-कुछ काम सौंप रहा हूँ, इसके लिए MyGovके platform पर, एक competition आयोजित किया जाएगा, जिसमें लोगों से मैं कुछ चीजें share करने का आग्रह करता हूँ।



चीतों को लेकर जो हम अभियान चला रहे हैं, आखिर, उस अभियान का नाम क्या होना चाहिए! क्या हम इन सभी चीतों के नामकरण के बारे में भी सोच सकते हैं, कि, इनमें से हर एक को, किस, नाम से बुलाया जाए! वैसे ये नामकरण अगर traditional हो तो काफी अच्छा रहेगा, क्योंकि, अपने समाज और संस्कृति, परंपरा और विरासत से जुड़ी हुई कोई भी चीज, हमें, सहज ही, अपनी ओर आकर्षित करती है। यही नहीं, आप ये भी बतायें, आखिर इंसानों को,animals के साथ कैसे behave करना चाहिए! हमारी fundamental duties में भी तो respect for animals पर जोर दिया गया है।



मेरे प्यारे देशवासियो, आज 25 सितंबर को देश के प्रखर मानवतावादी, चिन्तक और महान सपूत दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्मदिन मनाया जाता है। किसी भी देश के युवा जैसे-जैसे अपनी पहचान और गौरव पर गर्व करते हैं, उन्हें, अपने मौलिक विचार और दर्शन उतने ही आकर्षित करते हैं। दीनदयाल जी के विचारों की सबसे बड़ी खूबी यही रही है कि उन्होंने अपने जीवन में विश्व की बड़ी-बड़ी उथल-पुथल को देखा था। वो विचारधाराओं के संघर्षों के साक्षी बने थे। इसीलिए, उन्होंने 'एकात्ममानवदर्शन' और 'अंत्योदय' का एक विचार देश के सामने रखा जो पूरी तरह भारतीय था। दीनदयाल जी का 'एकात्ममानवदर्शन' एकऐसा विचार है, जो विचारधारा के नाम पर द्वन्द्व और दुराग्रह से मुक्ति दिलाता है।उन्होंने मानव मात्र को एक समान मानने वाले भारतीय दर्शन को फिर से दुनिया के सामने रखा। हमारे शास्त्रों में कहा गया है - 'आत्मवत् सर्वभूतेषु', अर्थात्, हम जीव मात्र को अपने समान मानें, अपने जैसा व्यवहार करें।आधुनिक, सामाजिक और राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में भी भारतीय दर्शन कैसे दुनिया का मार्गदर्शन कर सकता है, ये, दीनदयाल जी ने हमें सिखाया। एक तरह से, आजादी के बाद देश में जो हीनभावना थी, उससे आजादी दिलाकर उन्होंने हमारी अपनी बौद्धिक चेतना को जागृत किया।