Headlines
Loading...
अनंत चतुर्दशी 2022: कल है अनंत चतुर्दशी जाने कौन है अनंत भगवान जाने पूजा-पाठ व्रत एवं शुभ लग्न संपूर्ण विधि

अनंत चतुर्दशी 2022: कल है अनंत चतुर्दशी जाने कौन है अनंत भगवान जाने पूजा-पाठ व्रत एवं शुभ लग्न संपूर्ण विधि


अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु  यमुना नदी और शेषनाग जी की पूजा की जाती है.शास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत मनुष्य को जीवन के सभी कष्टों से बाहर निकलता है. लेकिन अनंत चतुर्दशी व्रत  के नियमों का पालन किए बिना आप इसे पूर्ण नहीं कर सकते हैं और न हीं इसके शुभफलों को प्राप्त कर सकते है. अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से पहले आपको इस व्रत के नियम अवश्य ही जान लेनी चाहिए. जानें अनंत चतुर्दशी व्रत के नियम  पूजा विधि  और शुभ समय, मुहूर्त.

अनन्त चतुर्दशी पूजा मुहूर्त - 06:03 सुबह से 06:07 शाम

अवधि - 12 घण्टे 04 मिनट्स





इस दिन सुबह सुबह स्नान कर साफ सुथरे कपडे़ पहन लें.

उसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करें.





अब भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें.


अनंत चतुर्दशी व्रत के नियम



अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के साथ कलश के रूप में माता यमुना और दूर्वा के रूप में शेषनाग जी को स्थापित करें

इस दिन अनंत सूत्र भी धारण किया जाता है, इसलिए पूजा के समय 14 गांठों वाला अनंत धागा भगवान विष्णु के चरणों में अवश्य रखें, इसके बाद ही इसे धारण करें




अगर आपने अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत किया है तो आपको अनंत धागे को साल भर अवश्य बांधना चाहिए, यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो कम से कम 14 दिन तक जरूर बांधे.

अनंत चतुर्दशी के दिन यदि आपने व्रत किया है तो आपको इस दिन नमक का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए आपको इस दिन मीठा ही भोजन करना चाहिए.




पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई. यह भगवान विष्णु का दिन माना जाता है. अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी. इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे. इसलिए अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है. धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है.