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 पितृ पक्ष 2022 : इस साल 16 दिन का रहेगा पितृपक्ष इस दौरान ना करें यह काम जाने जरूरी नियम विधि और तिथि

पितृ पक्ष 2022 : इस साल 16 दिन का रहेगा पितृपक्ष इस दौरान ना करें यह काम जाने जरूरी नियम विधि और तिथि


पितरों की विशेष पूजा आश्विन मास में किया जाता है।ये माह पितरों के लिए होता है। इतिहास की बात करे तो श्राद्ध वैदिक काल के बाद से शुरू हुआ है। पितृ पक्ष का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है क्योंकि पितरों की पूजा करने से न सिर्फ उनका आशीर्वाद मिलता है बल्कि कुंडली से जुड़ा पितृ दोष भी दूर होता है।वैसे तो पितृ पक्ष 14 या 15 दिनों का होता है। लेकिन इस बार 16 दिनों का बताया जा रहा है।

इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर दिन शनिवार से शुरू हो रहा है और 25 सितंबर दिन मंगलवार को खत्म होगा। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस बार पितृ 16 दिन का होगा। इस बार अष्टमी का श्राद्ध 17 सितंबर की बजाय 18 को होगा।

पितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितरों को तर्पण दिया जाता है। अगर पितर खुश होंगे तो जीवन खुशहाल बना रहेगा। पितृ पक्ष के समय में पितरों को जल अर्पित किया जाता है। आइए पितृ पक्ष की जरूरी बातों पर गौर करते हैं।
पितृ पक्ष 2022 श्राद्ध की तिथियां

10 सितंबर - पूर्णिमा का श्राद्ध

11 सितंबर - प्रतिपदा का श्राद्ध

12 सितंबर - द्वितीया का श्राद्ध

12 सितंबर- तृतीया का श्राद्ध

13 सितंबर- चतुर्थी का श्राद्ध

14 सितंबर- पंचमी का श्राद्ध

15 सितंबर- षष्ठी का श्राद्ध

16 सितंबर- सप्तमी का श्राद्ध

18 सितंबर- अष्टमी का श्राद्ध

19 सितंबर- नवमी श्राद्ध

20 सितंबर- दशमी का श्राद्ध

21 सितंबर- एकादशी का श्राद्ध

22 सितंबर- द्वादशी/संन्यासियों का श्राद्ध

23 सितंबर- त्रयोदशी का श्राद्ध

24 सितंबर- चतुर्दशी का श्राद्ध

25 सितंबर- अमावस्या का श्राद्ध

पितृ पक्ष में श्राद्ध करने वाले बरतें ये सावधानी

पितृ पक्ष में पितरों को पानी देना होता है तो उस समय जो पानी अर्पित करता है वो पूरे पितृ पक्ष में बाल और दाढ़ी नहीं बनाएगा। ना ही तमाशी भोजन करेगा। जो ऐसा नहीं किया उसके धन में हानि होता है। ऐसे में जो लोग पितृ पक्ष में पितरों के निमित्त तर्पण करते हैं, उन्हें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसी मान्यता है की श्राद्ध पक्ष में लहसुन, प्याज से बना भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष लगता है। यदि पितरों की मृत्यु की तिथि याद है तो उस तिथि के अनुसार पिंडदान करना सबसे उत्तम माना जाता है।

पितृ पक्ष में है पंचबली का खास महत्व

ज्योतिशास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष में पंचबली का बहुत महत्व है। इसके लिए सबसे पहला भोजन गाय के लिए निकाला जाता है , जिसे गौ बली के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद दूसरा भोजन कुत्ते के लिए निकाला जाता है, जिसे श्वानबली कहा जाता है। फिर तीसरा भोजन कौवे के लिए निकाला जाता है, जिसे काक बलि कहते हैं।

था भोजन देवताओं के लिए निकाला जाता है, जिसे देव बलि कहा जाता है, जिसे या तो जल में प्रवाहित कर दिया जाता है या गाय को खिला दिया जाता है। पांचवां और अंतिम बलि चीटियों का होता है, इसमें चीटियों के निमित्त भोजन निकाला जाता है। जिसे पिपीलिकादि बलि के नाम के जाना जाता है।