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वाराणसी : शिलान्‍यास के बाद निर्माण कराना भूले , तटबंध के बाद गंगा में न मचाती तबाही

वाराणसी : शिलान्‍यास के बाद निर्माण कराना भूले , तटबंध के बाद गंगा में न मचाती तबाही


वाराणसी । आश्वासन और फाइलों में अटका रमना तटबंध योजना शिलान्यास के साल भर बाद भी फ्लैपर गेट नहीं लगने से बाढ़ हर साल डराती है। बाढ़ से रमना क्षेत्र के किसानों का हर साल करोड़ों का नुकसान होता है। वहीं सामनेघाट क्षेत्र की दर्जनों कालोनियों में बाढ़ से होने वाली तबाही भी बरकरार है और एक बार फ‍िर बाढ़ की दस्‍तक है। वहीं ज्ञानप्रवाह नाले पर 2.86 करोड़ की लागत से बनने वाला फ्लैपर गेट का निर्माण अब तक अटका हुआ है।

रमना क्षेत्र के आधा दर्जन गांव के किसानों की बाढ़ में करोड़ों की फसल हर साल डूब जाती है। बाढ़ के समय माननीय और प्रशासन सक्रिय रहते हैं लेकिन इसके बाद मामला फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। रमना के अमित पटेल ने बताया कि पिछले कई वर्षो से क्षेत्र के लोग रमना से तारापुर तक बनने वाले तटबढ़ की आस लगाए थे लेकिन योजना सिर्फ आश्वासन और फाइलों में ही लटक गई। पूर्व विधायक और वर्तमान विधायक ने भी अविलंब तटबंध की बात कही लेकिन सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित रहा।

बाढ़ के समय तारापुर और टिकरी के बीच गंगा का बहाव काफी तेज होता है जिसके कारण गंगा किनारे कटाव बनकर बाढ़ का पानी आसपास के नरोत्तमपुर, तारापुर, सराय डांगरी, टिकरी, रमना, बनपुरवां, नैपुरा गांव के किसानों की सैकड़ों एकड़ सब्जी की फसल तबाह कर देता है। सब्जी उत्पादन के लिए यह क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण है। हर वर्ष बाढ़ के समय माननीय और प्रशासन बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा कर आश्वासन की घुट्टी पिलाकर लौट जाते हैं।

लंका क्षेत्र के सामनेघाट इलाके की दर्जनों कालोनियों में रहने वाले 50 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ की तबाही का शिकार होते हैं। सामनेघाट स्थित ज्ञानप्रवाह नाले के पास कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव तथा निवर्तमान विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह ने 2.86 करोड़ की लागत से बनने वाले फ्लैपर गेट का पिछले 22 सितंबर को शिलान्यास किया। लेकिन, आजतक गेट नहीं लग पाया। यहां ज्ञान प्रवाह पुलिया के पास से बाढ़ का पानी घुसने के कारण कालोनियों में पानी डूब जाता है। क्षेत्र के रहने वाले लोगों को बाढ़ से निजात की आस पर एक बार फिर पानी फिर गया। योजना सिर्फ शिलापट्ट तक ही सीमित रह गई।

सामनेघाट क्षेत्र के बालाजी नगर, मदरवां, मारुती नगर, पटेल नगर, गायत्री नगर, सत्यम नगर, छित्तूपुर और सीरगोवर्धनपुर तक दो दर्जन से ज्यादा कालोनी में रहने वाले 50 हजार से ज्यादा लोगों को बाढ़ से राहत की उम्मीद जगी थी लेकिन फ्लैपर गेट नहीं लगने के कारण लोगों को चिंता सता रही है। वर्ष 2013 और 2016 , 2019 और 2021 के बाढ़ के दौरान इस इलाके के लोग घरों से सामान लेकर पलायन करने को मजबूर हो गए थे। बाढ़ के कारण लोगों से संपर्क टूटने पर खाने पीने की बहुत बड़ी समस्या होती है। सामने घाट के प्रहलाद पांडेय और संतोष साहनी ने कहा कि अगर यहां गेट लग गया होता तो क्षेत्र के लोगों को बाढ़ ने राहत मिल जाती।