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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला 8 साल बाद बन सकेंगे आईएएस , हाई BMI की वजह से परीक्षा पास के बाद भी नहीं मिली थीं नौकरी

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला 8 साल बाद बन सकेंगे आईएएस , हाई BMI की वजह से परीक्षा पास के बाद भी नहीं मिली थीं नौकरी


नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अनोखे मामले में कल मंगलवार को अपनी सर्वव्यापक धारा 142 शक्तियों ( Omnibus Article 142 Powers ) का इस्तेमाल करते हुए एक व्यक्ति को 8 साल के लंबे इंतजार के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा ( Indian Administrative Service ) का अधिकारी बनने की अनुमति दे दी, जो 2014 की सिविल सर्विस परीक्षा कामयाब रहा था, लेकिन हाई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के कारण वह अयोग्य पाया गया.

TOI के अनुसार, के राजशेखर रेड्डी (K Rajashekhar Reddy) अपने पांचवें और आखिरी प्रयास में सिविल सर्विस परीक्षा-2014 में कामयाब हो गए थे. लेकिन सिविल सर्विस में शामिल होने के खातिर उम्मीदवार के लिए 30 या उससे कम के बीएमआई (body mass index) की अनिवार्य आवश्यकता के मुकाबले उनकी मेडिकल टेस्ट में 32 का बीएमआई सामने आया. और इस कारण उन्हें ‘अस्थायी रूप से अयोग्य’ श्रेणी में रख दिया गया था.


फिर 4 जुलाई 2015 को अंतिम सिविल सर्विस परीक्षा-2014 की जारी फाइनल लिस्ट में ग्रुप ‘ए’ और ग्रुप ‘बी’ की अलग-अलग सेवाओं में नियुक्ति के लिए उनकी योग्यता के क्रम में 1,236 उम्मीदवारों की सिफारिश की गई थी, लेकिन इस लिस्ट में रेड्डी का नाम शामिल नहीं था. लेकिन, वह 19 जनवरी 2016 को प्रकाशित आरक्षित सूची में शामिल थे.

सिविल सर्विस परीक्षा के नियमों के अनुसार, ऐसी श्रेणी में रखे गए उम्मीदवार को छह महीने के भीतर मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट देना अनिवार्य होगा. रेड्डी ने 9 मार्च, 2016 को फिर से मेडिकल टेस्ट के लिए एक अभ्यावेदन दिया, जिसे अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि यह निर्धारित छह महीने की समय सीमा को पार कर गया था.


यह देखते हुए कि यह रेड्डी का पांचवां और आखिरी प्रयास था, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 6 अप्रैल को अधिकारियों से उनकी चिकित्सकीय जांच करने का निर्देश दिया था. और फिर से हुए मेडिकल टेस्ट में रेड्डी को छह साल बाद चिकित्सकीय रूप से फिट पाया गया.


जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि रेड्डी का चिकित्सकीय पुन: परीक्षण का मामला समय वर्जित है, उम्मीदवार खुद को कैच-22 की स्थिति में पाया, बेंच ने पूर्ण न्याय करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सर्वव्यापी शक्तियों का इस्तेमाल किया.

अपना फैसला लिखते हुए, जस्टिस रस्तोगी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट यह निर्देश देना उचित समझता है कि फिर से हुए मेडिकल फिटनेस रिपोर्ट के आधार पर, केंद्र सरकार रेड्डी की नियुक्ति के लिए सिविल सर्विस परीक्षा-2014 में मूल रूप से 19 जनवरी, 2016 को प्रकाशित समेकित आरक्षित सूची में उनकी नियुक्ति के अनुसार पुलिस सत्यापन के अधीन, वरिष्ठता, वेतनमान और अन्य परिणामी लाभों सहित सभी राष्ट्रीय लाभों के साथ विचार कर सकती है, लेकिन इस अवधि के दौरान वास्तविक वेतन के लिए नहीं जिसके लिए उन्होंने आज से चार हफ्ते की अवधि के भीतर काम नहीं किया है.