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यूपी : वाराणसी में जन औषधि केंद्र पर डाक्‍टर सरकारी पर्चे पर लिखते हैं जेनेरिक दवा।

यूपी : वाराणसी में जन औषधि केंद्र पर डाक्‍टर सरकारी पर्चे पर लिखते हैं जेनेरिक दवा।

                       Aaditya Keshari City Reporter

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जन औषधि योजना का आरंभ आम लोगों को उच्च गुणवत्ता की दवाएं सस्ती कीमत में उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया था। लेकिन लोकहित से जुड़ी यह महत्वपूर्ण योजना सात वर्षों में भी परवान नहीं चढ़ सकी। इसकी बड़ी वजह है जिम्मेदारों की लापरवाही। जिन सरकारी डाक्टरों को इस योजना का लाभ लोगों तक पहुंचाना था, उन्होंने ही इससे दूरी बनाए रखी। वहीं मिडिया पड़ताल में सामने आया कि सरकारी डाक्टरों के कमीशन के चक्कर में जन औषधालय दम तोड़ रहे हैं।

वहीं दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर 'नारफ्लाक्स टी-जेड मांगा तो बताया गया कि मिल जाएगी। इस पर ग्राहक बने रिपोर्टर ने कहा कि जेनेरिक नहीं चाहिए, तो स्टोर संचालक का जवाब था वह भी मिल जाएगी। आपको और क्या-क्या चाहिए? यह पूछने पर कि क्या आप लोग ब्रांडेड दवाइयां रखते हैैं, उसने बताया कि इजाजत नहीं है। लेकिन कुछ दवाएं रखते हैैं, ताकि ग्राहकों को भटकना न पड़े।

वहीं प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के संचालक ने बताया कि अभी तक कोई चिकित्सक जेनेरिक दवाएं नहीं लिख रहे थे। पिछले दिनों बनारस दौरे पर आए उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक द्वारा अस्पतालों का निरीक्षण करने के बाद की गई कार्रवाई का असर यह हुआ कि अस्पताल के दो डाक्टरों डा. अश्विनी और डा. प्रेमप्रकाश ने सोमवार से जेनेरिक दवाएं लिखनी शुरू कर दी हैैं। दोनों ने केंद्र को दवाओं के जेनेरिक वर्जन की सूची भी भिजवाई है। हालांकि अस्पताल के अन्य चिकित्सक अब भी जेनेरिक दवाएं ही लिख रहे हैैं।

वहीं अस्पताल के एक मरीज ने बताया कि डाक्टर साहब ने दो पर्चे लिखकर दिए थे। कहा था एक पर्चे की दवाएं अंदर के मेडिकल हाल में मिल जाएगी, दूसरे सादे पर्चे की दवा बाहर से मिलेगी। नवीन उपवन वाटिका के मोड़ पर स्थित प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के संचालक ने बताया कि सरकारी डाक्टर मल्टी विटामिन व कुछ सामान्य दवाएं अस्पताल के पर्चे पर लिखते हैं और सादे पर्चे पर महंगी ब्रांडेड दवाएं लिखते हैं, ताकि उनका कमीशन बना रहे।

वहीं दूसरी तरफ़ पिपलानी कटरा जन औषधि केंद्र के संचालक राजकुमार कपूरिया बताते हैं कि सरकारी डाक्टर पर्चे पर ब्रांडेड दवा लिखते हैैं। साथ ही एकाध साल्ट का नाम भी लिखकर कहते हैैं, दवा लेकर दिखा लेना। जब मरीज जन औषधि केंद्र पर्ची लेकर आते हैं तो साल्ट का मिलान कर हम दवाएं दे देते हैं। मरीज वापस डाक्टर के पास जाता है तो वहां बैठे दलाल दवा को गलत बता देते हैं। कहते हैं यह दवा काम नहीं करेगी। इसे बाहर से खरीद लीजिए।

वहीं दीनदयाल राजकीय अस्पताल के प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर दवाओं की पर्ची लिए मिले पांडेय बाजार के दिलीप कुमार। उनकी पर्ची पर दवाओं के नाम थे तो दो-तीन दवाओं के साल्ट भी। उन्होंने कहा कि डाक्टर चाहे जो लिखें। हम जेनेरिक दवाइयां ही ले जाते हैं और वह फायदा भी करती हैं।

वहीं प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर मिले सेना के सूबेदार अवधेश पांडेय। अपनी माताजी को साथ लेकर आए थे। बोले-हम तो आर्मी अस्पताल में दिखाते हैं और वहां से दवाइयां लेते हैं। जब खत्म हो जाती हैं तो यहां से जेनेरिक दवाइयां लेते हैं। उन्होंने मिडिया के इस अभियान को सैल्यूट किया। कहा-आप जनता को जगाइये। हम सीमा पर गोली खाते हैैं और यहां गोलियां खिलाकर फार्मा कंपनी वाले लूट लेते हैैं।

वहीं मिडिया ने तहसील मोड़, नवीन उपवन मोड़, पिपलानी कटरा स्थित जन औषधि केंद्रों की पड़ताल की तो वहां भी ब्रांडेड दवाएं नहीं मिलीं। कई स्टोरों पर फर्मासिस्ट ही संचालक थे तो दो दुकानों पर फर्मासिस्ट नहीं मिले। पूछने पर बताया गया कि कहीं गए हुए हैैं।

वहीं भुवनेश्वरी नगर मोड़ पर एक ब्रांडेड और जन औषधि दवाओं का संयुक्त मेडिकल स्टोर दिखा। पूछने पर संचालक ने बताया कि यह मेडिकल स्टोर पूरी तरह निजी है। हमने आमजन की सुविधा के लिए इसे खोला है ताकि कोई सस्ती दवा चाहे तो दे सकें। मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट भी रहते हैं। कई स्टोरों पर फर्मासिस्ट ही संचालक थे तो दो दुकानों पर फर्मासिस्ट नहीं मिले। पूछने पर बताया कि वह कहीं गए हुए हैं।