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यूपी : कानपुर में गाल ब्लैडर के 80 प्रतिशत कैंसर के मरीज गंगा घाटी में मिला पित्त की थैली के मरीज।

यूपी : कानपुर में गाल ब्लैडर के 80 प्रतिशत कैंसर के मरीज गंगा घाटी में मिला पित्त की थैली के मरीज।


कानपुर। गाल ब्लैडर (पित्त की थैली) के 80 प्रतिशत कैंसर के मरीज गंगा घाटी में कानपुर से पटना के बीच पाए जाते हैं। इनके मुकाबले देश के अन्य हिस्सों में कैंसर के ऐसे मामले बहुत कम आते हैैं। बीएचयू के चिकित्सा विज्ञानियों द्वारा किए गए शोध में पता चला है कि इसकी सबसे बड़ी वजह गंगा जल में भारी धातुओं की उपस्थिति और टाइफाइड बुखार है।

वहीं बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रो. मनोज पांडेय, प्रो. वीके शुक्ल व उनके शोध छात्रों की टीम ने 300 मरीजों के सैंपल परीक्षण के बाद गाल ब्लैडर के कैंसर के बायो-मार्कर की खोज की है। प्रो. पांडेय बताते हैं कि औद्योगिक इकाइयों के अपशिष्ट के कारण भारी धातुएं जैसे निकिल, कोबाल्ट, आर्सेनिक, कैडमियम, कापर आदि भारी मात्रा में गंगा के जल में मिल जाते हैं। ये धातु भूगर्भ जल के स्रोतों में मिलकर पेयजल के रूप में भी आदमी के शरीर में पहुंच जाते हैं। 

वहीं इनका उपापचय नहीं हो पाता तो यह जीवनभर के लिए आदमी के शरीर में मौजूद रहते हैैं। यह पित्त की थैली को प्रभावित करते हैं और बाद कैंसर का कारण बन जाते हैं। पूर्व के शोधों में गंगा और इसकी सहायक नदियों में भारी धातुओं की उपस्थिति पाई गई है। इस जल से सिंचित सब्जियों, फलों के जरिये भी ये इंसान के शरीर में पहुंच जाते हैं।

वहीं गंगा तट का यह इलाका टाइफाइड बुखार का क्षेत्र माना जाता है। समुचित उपचार न होने से टाइफाइड के जीवाणु पित्त की थैली में रह जाते हैं। ये जीवाणु मरते हैं तो इनके चारों ओर पित्त जमा होने लगती है जो आगे चलकर पथरी में बदल जाती है। इन पथरियों पर लगातार घर्षण से होने वाला घाव कैंसर बन जाता है।

वहीं गंगा घाटी के क्षेत्र में मुख्य रूप से सरसों का तेल प्रयुक्त होता है। मिलावटखोर इसमें सत्यानाशी (अर्जीमोना मैक्सीकाना) के बीज का तेल मिला देते हैं। यह जहरीला और कैंसर का कारक होता है। प्रो. पांडेय ने बताया कि अन्य शोध में यह सामने आ चुका है कि सरसों के तेल को बार-बार गरम करने से भी उसमें होने वाले रासायनिक परिवर्तन उसे जहरीला बना देते हैं।

वहीं जो कैंसर का कारण बनता है। पटना के महावीर कैंसर संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डा. एलबी सिंह ने बताया कि गंगा से सटे शहरों के सर्वेक्षण में साबित हो चुका है कि हर एक लाख आबादी में 20 25 गाल ब्लैडर के कैंसर के मरीज हैं।