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Budget 2022 - 2023 : इस सप्ताह स्टॉक मार्केट और म्यूचुअल फंड के निवेशक क्या करें?

Budget 2022 - 2023 : इस सप्ताह स्टॉक मार्केट और म्यूचुअल फंड के निवेशक क्या करें?


Budget 2022 से शेयर बाजार (Share market investors) और म्यूचुअल फंड के निवेशकों (Mutual fund investors) को काफी उम्मीदे हैं. इन्हें उम्मीद है कि सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (Long term capital gain) को लेकर राहत का ऐलान करेगी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार अगर शेयर के बेचने से होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स को माफ करती है तो स्टॉक मार्केट के जरिए प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में उछाल आएगा. LTCG टैक्स के कारण निवेशकों का विश्वास कमजोर होता है. सरकार को इस बजट में इंडियन लिस्टेड कंपनियों के लिए LTCG माफ कर देना चाहिए. शेयर बाजार के निवेशकों का कहना है कि हम पहले से सिक्यॉरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (Security Transaction Tax) जमा कर रहे हैं. ऐसे में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) का कोई मतलब नहीं रह जाता है. उनका ये भी कहना है कि भारत में ट्रांजैक्शन कॉस्ट काफी ज्यादा है. ऐसे में STT और LTCG इन्वेस्टर्स के मनोबल को कमजोर करने का काम करता है.

शुरुआत में STT को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के रूप में पेश किया गया था. अब इसके अलावा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स अलग से वसूला जा रहा है. स्वास्तिक इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील न्याती ने कहा कि सरकार को बजट में LTCG, STT को माफ कर देना चाहिए. अगर STT को पूरी तरह हटाया नहीं जाता है तो फिलहाल टैक्स रेट जरूर कम किया जाना चाहिए.


शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो 1 साल तक निवेश पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) लागू होता है. 1 साल के बाद शेयर को बेचने पर कैपिटल गेन लॉन्ग टर्म (LTCG) के अंतर्गत आता है. बजट 2018 तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन इन्वेस्टर के लिए टैक्स फ्री था. उस समय कमाई पर सिक्यॉरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स लगता था. STCG पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लागू था. बजट 2018 के बाद LTCG को लागू किया गया. एक वित्त वर्ष में 1 लाख तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है. उसके बाद 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.


अगर आप म्यूचुअल फंड निवेशक हैं तो भी आपको LTCG, STCG चुकाना होता है. म्यूचुअल फंड अपने निवेशकों को कैपिटल गेन और डिविडेंड के रूप में रिटर्न देता है. डिविडेंड जारी करने पर वह आपकी टोटल इनकम में शामिल हो जाती है और फिर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स जमा करना होता है. पहले डिविडेंड पूरी तरह टैक्स फ्री था क्योंकि कंपनी को डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स यानी DDT जमा करना होता था.


अगर आप इक्विटी फंड में निवेश करते हैं तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन 12 महीने का होता है. उसके बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. इक्विटी फंड के लिए शॉर्ट टर्म गेन पर टैक्स रेट 15 फीसदी है. 1 साल के बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है और टैक्स रेट 10 फीसदी है.


डेट फंड में निवेश करने पर शॉर्ट टर्म 36 महीने का होता है, जबकि लॉन्ग टर्म 36 महीने से ज्यादा का होता है. अगर डेट फंड में शॉर्ट टर्म गेन होता है तो वह आपकी टोटल इनकम में शामिल हो जाती है और टैक्स ब्रैकेट के हिसाब से टैक्स जमा करना होता है. लॉन्ग टर्म गेन के लिए 20 फीसदी टैक्स रेट है.