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भारत का सबसे बेहतरीन किला, जिसे छत्रपति शिवाजी ने कहा था ‘अभेद्य दुर्ग’, रोचक है इतिहास

भारत का सबसे बेहतरीन किला, जिसे छत्रपति शिवाजी ने कहा था ‘अभेद्य दुर्ग’, रोचक है इतिहास


पुडुचेरी । भारत में एक से बढ़कर एक किले है जो अपनी भव्यता के लिए सारी दुनिया में जाने जाते हैं. यहां कई ऐसे किले मौजूद है जो सदियों से अपने इतिहास की कहानियों को बयां कर रहे हैं. उन्हीं में से एक है जिंजी किला. जिसे दुनिया जिंजी दुर्ग या सेंजी दुर्ग के नाम से भी जानती है. इस किले की खूबसूरती ये है कि यह सात पहाड़ियों पर निर्मित कराया गया है, जिनमें कृष्णगिरि, चंद्रागिरि और राजगिरि की पहाड़ियां प्रमुख हैं.

इस किले की गिनती देश के उत्कृष्टतम किलों में होती है. पुडुचेरी में स्थित इस किले का निर्माण नौंवी शताब्दी में संभवत: चोल राजवंशों द्वारा कराया था. चूंकि यह किला पहाड़ियों पर स्थित है, इसलिए आज भी पर्यटकों को इसके राज दरबार में पहुंचने में दो घंटे की चढ़ाई करनी पड़ती है. ये अद्भूत किला ऊंची दीवारों से घिरा हुआ और इसे तरीके से बनाया गया है कि दुश्मन भी इस पर आक्रमण करने से पहले कई बार जरूरत सोचते थे. इन्हीं खूबियों के कारण छत्रपति शिवाजी ने इसे भारत का सबसे ‘अभेद्य दुर्ग’ कहा था, वहीं अंग्रेजों ने इसे ‘पूरब का ट्रॉय’ कहा था.


आपकी जानकारी के लिए के लिए बता दें कि यह किला लगभग 11 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है, जिसकी दीवारों की लंबाई लगभग 13 किलोमीटर है. इसका मुख्य आकर्षण राजगिरि है, जहां एक पिरामिडनुमा शीर्ष से सजी बहुमंजिला कल्याण महल है. इसके अलावा राजगिरि पहाड़ी के निचले हिस्से में महल, अन्नागार और एक हाथी टैंक भी है.

यूं तो इस किले पर कई शासकों का कब्जा रहा, लेकिन 17वीं शताब्दी में शिवाजी महाराज के नेतृत्व में मराठों द्वारा इस किले को किसी भी हमलावर सेना से बचाने के लिए पुननिर्मित किया गया था. छत्रपति संभाजी महाराज के निधन के बाद उनके छोटे भाई छत्रपति राजाराम महाराज ने जिंजी से ही स्वराज का कारभार संभाला, लेकिन संभाजी की मृत्यु के बाद मुगलों सेना ने इसे अपना बनाने की इच्छा तो रखी लेकिन राजाराम महाराज ने कुछ बहदुर सरदार को साथ लेकर मुगलों को जोरदार टक्कर दी और आखिर तक ओरंगजेब कभी भी दक्कन पर राज नहीं कर सका और उसने अपनी अंतिम सास भी इस नाकाम सपने के साथ ही ली.

जिंजी का किला समय की कसौटियों के सामने भव्यता के साथ खड़ा रहा और कई घटनाओं का साक्षी रहा बाद में यह क्षेत्रीय दंतकथाओं और स्थानीय लोकगीतों के रूप में हमेशा के लिए अमर हो गया. फिलहाल यह किला फिलहाल तमिलनाडु पर्यटन क्षेत्र का एक सर्वाधिक रोचक स्थल है, जहां हर साल हजारों की संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं.