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पोप फ्रांसिस से पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात में यह फायदा देख रही है भाजपा, कांग्रेस भी चुप

पोप फ्रांसिस से पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात में यह फायदा देख रही है भाजपा, कांग्रेस भी चुप


नई दिल्ली । पीएम नरेंद्र मोदी की वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस से मुलाकात को लेकर भले ही सवाल उठ रहे हों, लेकिन बीजेपी की इसके पीछे खास रणनीति मानी जा रही है। पार्टी का मानना है कि इसका फायदा उसे मणिपुर और गोवा के विधानसभा चुनावों के दौरान मिलेगा, जो ईसाई बहुल राज्य हैं। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के बयान से भी ऐसा लगता है कि यह सोची-समझी रणनीति थी। होसबाले ने पोप से पीएम मोदी की मुलाकात को लेकर कहा कि यह एक राज्य के प्रमुख की दूसरे राज्य के मुखिया के साथ मुलाकात थी। हालांकि इस मुलाकात को लेकर इसलिए भी सवाल उठ रहे थे क्योंकि भाजपा और संघ से जुड़े संगठन अकसर ईसाई धर्मांतरण का मुद्दा उठाते रहे हैं। हाल ही में पंजाब में भी बीजेपी ने दलितों को ईसाई धर्म अपनाने का मुद्दा उठाया था।

गोवा, यूपी, उत्तराखंड समेत पंजाब भी उन 5 राज्यों में शामिल है, जहां अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने वाले हैं। 22 साल बाद यह किसी पोप की भारतीय राष्ट्राध्यक्ष से मुलाकात थी। इससे पहले 1999 में पोप जॉन पॉल द्वितीय भारत आए थे और कैथोलिक राइट्स की मांग की थी। पीएम मोदी की पोप से मुलाकात को लेकर बीजेपी ने चुनावी राज्यों में बात करना भी शुरू कर दिया है। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक गोवा में बीजेपी के कैथोलिक फेस कहे जाने वाले मौविन गोदिन्हो ने कहा कि यह मीटिंग देश के लिए ऐतिहासिक थी। इससे कांग्रेस का वह भ्रामक प्रचार खत्म हो सकेगा, जिसके तहत वह बीजेपी को सांप्रदायिक बताती रही है। 

उन्होंने कहा कि पार्टी इसे लेकर मीटिंग भी करेगी। गोवा में 27 फीसदी से ज्यादा कैथोलिक वोट हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने गोवा में कैथोलिक वोटों के लिए काफी काम किया है। 2017 में गोवा में बीजेपी सरकार की ओर से सेंट जेवियर की एग्जिबिशन लगवाए जाने का भी उन्होंने उदाहरण दिया। बीजेपी नेता ने कहा कि कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा था कि प्रदेश सरकार ऐसा नहीं होने देगी, लेकिन वह गलत साबित हुई है। बता दें कि ईसाई समुदाय में भी बीजेपी ने बीते कुछ सालों में पकड़ बनाई है। इसी के चलते गोवा में मनोहर पर्रिकर की लीडरशिप में वह सत्ता में आई थी।