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भारत / आज अजीत डोभाल से मिलेंगे रूस के NSA निकोले पेत्रुशेव, अफगानिस्तान के हालातों को लेकर होगी चर्चा

भारत / आज अजीत डोभाल से मिलेंगे रूस के NSA निकोले पेत्रुशेव, अफगानिस्तान के हालातों को लेकर होगी चर्चा

नई दिल्ली । देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अफगानिस्तान पर परामर्श के लिए एक स्थायी द्विपक्षीय चैनल बनाने पर सहमत होने के दो सप्ताह बाद रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार निकोले पेत्रुशेव उच्च-स्तरीय चर्चा के लिए भारत दौरे पर हैं. अपने समकक्ष अजीत डोभाल के अलावा पत्रुशेव के विदेश मंत्री एस जयशंकर और प्रधानमंत्री से मिलने की उम्मीद है. इससे पहले अप्रैल में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने दिल्ली का दौरा किया था लेकिन, प्रधानमंत्री से मुलाकात नहीं की थी.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल बुधवार को अपने रूसी समकक्ष जनरल निकोलाई पात्रुशेव से नई दिल्ली में मुलाकात करेंगे. इस दौरान दोनों अधिकारी अफगानिस्तान मुद्दे पर चर्चा करेंगे. रूस सुरक्षा परिषद के सचिव जनरल निकोलाई पात्रुशेव भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के निमंत्रण पर भारत आ रहे हैं. साउथ ब्लॉक में इस यात्रा को मास्को से एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो तालिबान के सत्ता में आने और अमेरिका द्वारा अराजक निकास पूरा करने के बाद अफगानिस्तान की स्थिति में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है.


इसके अलावा, भारत और रूस अगले 10 दिनों में दो महत्वपूर्ण आभासी शिखर सम्मेलनों में भाग लेंगे. ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), जहां अफगानिस्तान के बातचीत पर हावी होने की उम्मीद है. 9 सितंबर को मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे, जिसमें पुतिन के भाग लेने की उम्मीद है. इसके बाद 16-17 सितंबर को एससीओ शिखर सम्मेलन होगा, जब मोदी के एक बार फिर रूसी नेता से मुलाकात की उम्मीद है.


तालिबान की मदद करने में पाकिस्तान की सक्रिय भूमिका के कारण चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दोनों शिखर सम्मेलन में भाग लेने की संभावना है, क्योंकि उनका देश भी अफगानिस्तान में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि रूसी एनएसए से जुड़े विचार-विमर्श 24 अगस्त को मोदी और पुतिन के बीच टेलीफोन पर बातचीत का फॉलोअप है. दोनों नेताओं ने विचार व्यक्त किया था कि दोनों रणनीतिक भागीदारों के लिए एक साथ काम करना जरूरी है. साथ ही उनके वरिष्ठ अधिकारियों को अफगानिस्तान पर संपर्क में रहने के लिए कहा गया है.