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 Prayagraj : मोटर दुर्घटना दावा प्रतिकर की सुनवाई , अब न्यायाधिकरण गठित

Prayagraj : मोटर दुर्घटना दावा प्रतिकर की सुनवाई , अब न्यायाधिकरण गठित


मोटर वाहन दुर्घटना प्रतिकर दावा मामलों की सुनवाई और नए दाखिले जिला कचहरी की अदालतों में मंगलवार 26 मई से नहीं होंगे। मोटर वाहन दुर्घटना न्यायाधिकरण गठित होने के बाद पीठासीन अधिकारी ने विधिवत कार्यभार संभाल लिया है। इसलिए जिला न्यायालय का क्षेत्राधिकार समाप्त हो गया। नवगठित मोटर वाहन दुर्घटना प्रतिकार दावा न्यायाधिकरण में उच्च न्यायिक सेवा के न्यायिक अधिकारी बीएम त्रिपाठी ने कार्यभार संभाल लिया।

जिला जज उमेश कुमार शर्मा ने बताया कि मोटर वाहन दुर्घटना दावा प्रतिकर मामलों के मुकदमों की और इनसे संबंधित किसी भी प्रकीर्ण प्रार्थना पत्रों की सुनवाई और नये दाखिले अब जिला न्यायालय की अदालतों में नहीं होंगे, क्योंकि न्यायाधिकरण गठित होने के बाद पीठासीन अधिकारी द्वारा कामकाज संभाल लिया गया है। ऐसी स्थिति में जिला न्यायालय को इन मामलों की सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार नहीं रह गया है।

जिला जज ने सभी अपर जिला जजों के कार्यालय लिपिक को तत्काल ऐसे मुकदमों की सूची बना कर प्रस्तुत करने निर्देश दिया है ताकि मुकदमों को न्यायाधिकरण में स्थानांतरित किया जा सके।

पुराने फैमिली कोर्ट भवन में स्थापित हुआ न्यायाधिकरण

जिला कचहरी परिसर में बहुमंजिला न्यायालय भवन के पश्चिमी ओर पुराना फैमिली कोर्ट भवन है। इसी भवन का जीर्णोद्धार करके न्यायाधिकरण का न्यायालय और कार्यालय स्थापित किया गया है। पूर्व में न्यायाधिकरण आरटीओ ऑफिस में स्थापित किए जाने का मामला सामने आने पर अधिवक्ताओं ने इसके विरुद्ध आंदोलन चलाया था, तब यह तय हुआ था कि इसे जिला कचहरी के पास ही बनाया जाएगा।

एक माह में करीब 100 दावा दाखिल होते हैं

हजारों मुकदमे विचाराधीन जिला न्यायालय में जिला जज की अदालत में प्रतिदिन औसतन चार से छह मुकदमे मोटर वाहन दुर्घटना प्रतिकर दावों के दाखिल होते हैं। वर्तमान समय में विचाराधीन मुकदमों की संख्या हजारों की है। जिला जज की अदालत में मुकदमा दाखिल होने के पश्चात इन्हें सुनवाई, निस्तारण के लिए अपर जिला जज की अदालतों में स्थानांतरित कर दिया जाता है जहां दोनों पक्षों के सबूत लेने और बहस सुनने के उपरांत मुकदमे का निर्णय किया जाता है। लोक अदालत के माध्यम से भी पक्षकारों के मध्य सुलह समझौता कराकर भी ऐसे मामले निपटाए जाते हैं। राष्ट्रीय लोक अदालत में औसतन 100 के करीब मुकदमे सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित किए जाते हैं।