यूपी में भाजपा को लगा लोकसभा चुनाव में करारा झटका, योगी आदित्यनाथ ने लिया पहला ऐक्शन.. तीन खास वजहे आई सामने...
लखनऊ, ब्यूरो। लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी में करारा झटका लगा है। अकेले इसी राज्य से भाजपा को 29 सीटें कम मिली हैं और 2019 में 62 के मुकाबसे अब 33 पर अटक गई है। इसे लेकर मंथन का दौर अब भी जारी है। इस बीच भाजपा नेतृत्व की ओर से हार के कारणों का पता लगाने के लिए बनाई गई टास्क फोर्स ने भी रिपोर्ट सौंप दी है।
इस रिपोर्ट के बाद अब लोगों की नजरें इस बात पर हैं कि आखिर पार्टी क्या ऐक्शन लेगी। इस बीच योगी आदित्यनाथ सरकार ने 12 जिलों के डीएम बदल दिए हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे जिलों के हैं, जहां से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। इन जिलों में बांदा, संभल, सहारनपुर, मुरादाबाद, हाथरस, सीतापुर, श्रावस्ती और बस्ती शामिल हैं।
उनकी बजाय किसी और नेता को मौका मिलना चाहिए
इसकी वजह यह मानी जा रही है कि भाजपा ने हार के लिए प्रशासन और सरकारी अधिकारियों के असहयोग को भी जिम्मेदार माना है। कई जिलों में वोटों की गिनती जो हुई है, उसमें बैलेट पेपर में भाजपा को झटका लगा है। इससे संकेत मिलता है कि सरकारी कर्मचारियों ने भाजपा को पसंद नहीं किया है।
इसके अलावा खराब नतीजे की तीन और वजहें सामने आई हैं। एक वजह है- टिकटों के बंटवारे में खामी। पार्टी काडर को लगता है कि नेतृत्व को ज्यादा लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार बदल देना चाहिए था। या फिर जिन लोगों को टिकट मिला था, उनकी बजाय किसी और नेता को मौका मिलना चाहिए।
अयोध्या में लल्लू सिंह, सहारनपुर में राघव लखनपाल शर्मा और मोहनलाल गंज से कौशल किशोर जैसे नेताओं को रिपीट किया जाना लोगों ने पसंद नहीं किया। वहीं ठाकुरों ने की नाराजगी ने भी रही-सही कसर पूरी कर दी। सहारनपुर से लेकर बस्ती और बलिया तक इसका असर दिखाई दिया है। इसके अलावा भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी पुराने सांसदों से नाराजगी थे और वे ऐक्टिव नहीं हुए।
दूसरी वजह है- विपक्ष की ओर से संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने के नैरेटिव का कामयाब हो जाना। सपा और कांग्रेस ने लगातार कुछ सांसदों के बयान को पकड़कर चलाया कि भाजपा संविधान बदलने की फिराक में है और दलितों एवं पिछड़ों का आरक्षण खत्म कर देगी।
तीसरी वजह है- बसपा के वोटों का बड़े पैमाने पर छिटकना और वह सपा एवं कांग्रेस के खाते में जाना। इस तरह अखिलेश यादव की ओर से दिया गया पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक कार्ड चल गया। भितरघात को लेकर तो पार्टी के नेता भी मानते हैं कि इसा नुकसान हुआ है।
मेरठ और सहारनपुर मंडल के कई भाजपा नेताओं ने माना है कि आपसी कलह ने माहौल को खराब किया। इसके अलावा टिकट बंटवारे और राजपूतों के गुस्से ने भी बड़ा नुकसान किया है। अब आपसी कलह को आगे के लिए थामने पर पार्टी फोकस करेगी।