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भगवान श्री राम शत्रु को भी प्रिय इसलिए लगते हैं कि उन्होंने कभी किसी पर संदेह नहीं किया

भगवान श्री राम शत्रु को भी प्रिय इसलिए लगते हैं कि उन्होंने कभी किसी पर संदेह नहीं किया


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वाराणसी। भगवान शत्रु को प्रिय इसलिए लगते हैं क्योंकि भगवान श्रीराम कभी किसी को शत्रु समझते ही नहीं। रावण ने कभी किसी पर विश्वास नहीं किया और श्रीराम ने कभी किसी पर संदेह नहीं किया।

ये विचार दुर्गाकुंड स्थित अंध विद्यालय में भाईजी जयंती के चौथे दिन सोमवार को कथा मर्मज्ञ पं उमाशंकर व्यास ने व्यक्त किए।

 उन्होंने कहा कि यही कारण था कि रावण ने भगवान के पास कभी अकेले कोई दूत नहीं भेजा क्योंकि उसे किसी एक पर भरोसा नहीं था। जबकि प्रभु श्रीराम अंगद और हनुमान को अकेले संपूर्ण विश्वास के साथ भेजा।

 भगवान श्री राम रिश्तों को जीना अपनी मर्यादा समझते हैं तभी लोग उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं। 

व्यासजी ने भाई भरत के अलावा रामायण के अनेक पात्रों के समर्पण और स्वभाव का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम के करीब जो भी आया उसकी नकारात्मकता समाप्त हो गई।