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लखनपुरी में भगवान जगन्नाथ की आज शुक्रवार को निकली भव्य यात्रा , पूरी के मुख्य पुजारी मधुसूदन श्रृंगारी ने कहीं यह बात

लखनपुरी में भगवान जगन्नाथ की आज शुक्रवार को निकली भव्य यात्रा , पूरी के मुख्य पुजारी मधुसूदन श्रृंगारी ने कहीं यह बात


लखनऊ । लखनपुरी में आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि, शुक्रवार को निकलने वाली भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र की निकलने वाली भव्य यात्रा की तैयारियां पूरी कर ली गई है। गुरुवार को जोर-शोर से यात्रा की तैयारियां की गई।

शहर में मुख्य यात्राओं में डालीगंज के श्रीमाधव मंदिर से, चौक के श्री बड़ी काली जी मंदिर, रानीकटर के चारोधाम मंदिर, अलीगंज के नए हनुमान मंदिर, अमीनाबाद की मारवाड़ी वाली गली व मोती नगर से यात्राएं निकलेगी। इस बार दो साल बाद पुनः भगवान की यात्राएं निकलेंगी, जिस कारण से भक्तों में काफी उत्साह है। श्रीमाधव मंदिर से यात्रा से पूर्व एक दिन पहले हवन किया गया, जिसमें कई भक्तों ने आहुतियां डाली।

शहर में भगवान जगन्नाथ की यात्रा का आरंभ ओडिसा के जगन्नाथ मंदिर से इसी तिथि में निकलने वाली भव्य यात्रा को देखकर ही किया गया। वहां भगवान की इस यात्रा को देखने के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते है।



ओडिसा के भगवान श्रीजगन्नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी मधुसूदन श्रृंगारी से KESHARI NEWS NETWORK के चीफ़ एडिटर श्री ए. के. केसरी से फोन पर हुई बात में उन्होंने बताया कि यात्रा में निकलने वाले रथ का निर्माण कार्य वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीय तिथि से शुरू हो गया था। इसके निर्माण में हजारों की संख्या में भक्त जुटते हैं। तीन रथों को बहुत खूबसूरत ढंग से बनाया गया है। इनमें एक पर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र विराजित किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि गुरुवार की रात तक सारी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी। रथ निर्माण के समय से इसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है। इसके अलावा उन्होंने बताया आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को निकलने वाली इस यात्रा में भव्य सुंदर रथ पर विराजमान भगवान के दर्शन करने से बहुत पुण्य मिलता है।

धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीजगन्नाथ जी की द्वादश यात्राओं में यह यात्रा मुख्य है। इस मंदिर में आदि शिल्पी विश्वकर्मा ने भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र की दारूप्रतिमाएं बनाई थीं। महाराज इंद्रद्युम्न इन प्रतिमाओं को इसी मंदिर में प्रतिष्ठित किया था। इस मंदिर को ब्रह्मलोक या जनकपुर भी कहा जाता है। इस समय यहां जो महोत्सव होता है उसे गुण्डिचा महोत्सव कहा जाता है। यह यात्रा नौ दिनों की होती है। भगवान जनकपुर से मंदिर से विन्दुतीर्थ के तट तक जाते हैं और वहां पर सात दिनों तक निवास करते हैं। कहा जाता है कि इन सात दिनों में सारे तीर्थ वहीं निवास करते हैं। आठवें दिन रथों को दक्षिणमुखी कर दिया जाता है। उसके बाद आषाढ़ शुक्ल नवमी को भगवान की दक्षिणमुखी यात्रा होती है। यह यात्रा पूरे नौ दिनों की होती है। यह यात्रा भी बहुत पुण्यदायिनी मानी गई है।